गेहूं की किस्में अब पहले की तरह सामान्य नहीं है, देश के कृषि वैज्ञानिकों ने प्रोटीन और पोषक तत्वों से भरपूर गेहूं की तीन नई किस्मों को तैयार किया है।
एक ओर, गेहूं की ये किस्में न सिर्फ खाद्यान्न उत्पादन में आत्मर्निभर बनाएंगी, बल्कि देश में कुपोषण की समस्या को दूर कर पाने में सक्षम रहेंगी। दूसरी ओर, इन किस्मों की उपज से न सिर्फ किसानों की जेब भर सकती हैं, बल्कि सरकार के खाद्यान्न गोदाम भी भर सकते हैं।
भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों ने गेहूं की एचडब्ल्यू 5207, एचआई 1612 और एचआई 8777 तीन नई किस्मों को विकसित किया है। गेहूं की पहले की किस्मों की अपेक्षा इन किस्मों में प्रोटीन और सूक्ष्म पोषक तत्व 15 प्रतिशत तक अधिक हैं। संस्थान के वैज्ञानिकों ने इन किस्मों को कुपोषण को मिटाने और विशेषकर बच्चों और महिलाओं में खून व सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमियों को दूर करने के उद्देश्य से बनाया है।
हरियाणा के करनाल स्थित भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान के गेहूं के प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. रवीश चतराथ ने ‘गाँव कनेक्शन’ से फोन पर बातचीत में बताया, “इन नई किस्मों में प्रोटीन के साथ-साथ आयरन, तांबा, जिंक और मैग्नीज भरपूर मात्रा में है। इन किस्मों से न सिर्फ रोटियां स्वादिष्ट बनती हैं, बल्कि ये बिस्कुट और पास्ता बनाने में भी उपयुक्त होंगी।” डॉ. रवीश ने इन किस्मों के बारे में कई जानकारियां दीं। आइये आपको बताते हैं गेहूं की इन तीन नई किस्मों के बारे में…
पहली किस्म: एच डब्ल्यू 5207
गेहूं की एचडब्ल्यू 5207 किस्म को वैज्ञानिकों ने विशेषकर तमिलनाडु राज्य की भूमि के लिए विकसित किया गया है। लीफ रस्ट और स्टीम रस्ट प्रतिरोधी इस किस्म से कम सिंचाई में भी भरपूर पैदावार होती है। इस किस्म में भरपूर पोष्टिक तत्व भी हैं। इसमें 11 प्रतिशत से अधिक प्रोटीन, उच्च लौह तत्व (53.1 पीपीएम), मैग्नीज (47.5 पीपीएम) और जिंक (46.3 पीपीएम) पाया जाता है। इस किस्म से औसतन 40.76 और अधिकतम 59.6 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक पैदावार हो सकती है।
दूसरी किस्म: एच आई 8777
गेहूं की एचआई 8777 किस्म बारिश आधारित और प्रायद्वीप क्षेत्रों के लिए विकसित की गई किस्म है। यह किस्म भी लीफ रस्ट और स्टीम रस्ट प्रतिरोधी है। इस किस्म में प्रोटीन की मात्रा 14.3 प्रतिशत है, जबकि जिंक 43.6 पीपीएम और लौह तत्व 48.7 पीपीएम पाया जाता है। ऐसे में इस किस्म में सामान्य गेहूं की किस्मों से इतर भरपूर पोषक तत्व मौजूद हैं। इस किस्म से किसान औसतन 18.5 कुंतल प्रति हेक्टेयर उत्पादन ले सकते हैं, जबकि अधिकतम 28.8 कुंतल प्रति हेक्टेयर तक उत्पादन होता है।
तीसरी किस्म: एचआई 1612
गेहूं की यह किस्म बिहार के अलावा पूर्वोत्तर के राज्यों के लिए विकसित की गई है। अच्छी पैदावार के लिए इस किस्म की समय से बुआई करनी पड़ती है। इस किस्म में प्रोटीन की मात्रा 11.5 प्रतिशत पाया जाता है, जबकि आयरन और जिंक समेत कई पोषक तत्वों की अच्छी मात्रा इस किस्म में मौजूद हैं। इस किस्म की बड़ी विशेषता यह है कि सीमित सिंचाई में भी इस किस्म से औसतन 37.6 और अधिकतम 50.5 कुंतल प्रति हेक्टेयर होता है।
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