एटा : लागत भी नहीं निकाल पा रहे अमरूद की खेती करने वाले किसान

Mo. AmilMo. Amil   21 Dec 2017 3:59 PM GMT

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एटा : लागत भी नहीं निकाल पा रहे अमरूद की खेती करने वाले किसानगाँव कनेक्शन

एटा। अमरूद की खेती करने वाले किसानों को इस बार उम्मीद थी कि फसल से अच्छा मुनाफा हो जाएगा, लेकिन इस बार अच्छी फसल आने से किसानों की उम्मीदों पर पानी फिर गया।

अमरुद की कम पैदावारी ने इसके दाम आसमान पर पहुंचा दिए हैं, अमरुद के बाग़ करने वाले किसानों व कृषि विशेषज्ञ फसल की कम पैदावार को फसली चक्र का कारण बता रहे हैं, किसानों का दावा है कि जहा उन्हें एक बीघा में 20 से 30 हजार रुपए का मुनाफ़ा होता था इस बार अमरुद की कम पैदावार से उन्हें खासा घाटा हुआ है।

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मारहरा ब्लॉक के गाँव ककरेट नगला गाँव के किसान अनार सिंह (60 वर्ष) बताते हैं, “इस बार अमरुद पेड़ों पर कम आया गए, बरसात के मौसम में अधिक आया था जिसके कारण सर्दी की फसल में अमरुद कम आया है, हमें एक वर्ष में एक बीघा बाग़ से 20 से 30 हजार रुपए का मुनाफ़ा हो जाता है।”

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अमरुद के पेड़ पर एक वर्ष में दो बार बरसात व सर्दी में फल आता है, पिछली बार बरसात में अमरुद की बम्पर पैदावार हुयी थी जिसके कारण इस बार सर्दी में अमरुद कम आया है, वहीं कभी जनपद में अमरुद के बाग़ शोभा बढ़ाते थे आज किसानों का लगाव बाग़ से हटकर खेती की ओर देखने को मिल रहा है, तो किसानों का आरोप है कि पहले उन्हें सरकार की ओर से अमरुद के पेड़ लगाने को मिलते थे इस बार हमे को पौध नहीं मिली।

जिला उद्यान अधिकारी वीके शर्मा बताते हैं, “अमरुद के बाग़ का रकबा घटकर मात्र तीन हजार हेक्टेयर रह गया है, दूसरी ओर अमरुद के पेड़ में उकटा रोग भी बाग़ को भारी नुकसान पहुंचा रहा है।”

कभी थे 500 बीघा बाग अब रह गया सिर्फ 60 बीघा

मारहरा ब्लॉक में अमरुद की बागवानी दूर-दूर तक मशहूर हुआ करती थी, अमरुद के बागों से ही यहां की पहचान हुआ करती थी लेकिन वक़्त की रफ़्तार के साथ अमरुद के बाग़ विलुप्त होते नजर आ रहे हैं, किसान इसका मुख्य कारण उकटा रोग बता रहे हैं, नगला ककरेट निवासी किसान उमा शंकर (50वर्ष) कहते हैं, “कभी हमारे गाँव के समीप 500 बीघा में अमरुद के बाग़ हुआ करते थे आज यह घटकर 50 से 60 बीघा रह गए हैं, मैंने खुद 6 बीघा जमीन पर अमरुद का बाग़ लगाया था आज रोग लगने के कारण इसमें मात्र 21 पेड़ बचे हैं, इसका सबसे बड़ा कारण पेड़ में लगने वाला उखटा रोग है जिससे अमरुद के पेड़ में गिडार कीट लग जाता है जो पेड़ को पूरी तरह से नष्ट कर देता है, एक पेड़ की आयु भी 20 वर्ष तक रहती है।”

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अमरुद के पेड़ में उकटा रोग लगने से नष्ट होने वाले पेड़ फिर पूरी तरह से बेजान हो जाते हैं इसकी जानकारी देते हुए जिला उद्यान अधिकारी वीके शर्मा बताते हैं, “अमरुद के बाग़ में उकटा रोग लगने का मतलब पेड़ों का नष्ट होना है, इसका एक ही बचाव है कि अगर बाग में रोग लग जाए तो उस प्लाट में तीन वर्ष तक कोई पेड़ नही लगाएं, तीन वर्ष के बाद ही नई पौध लगा सकते हैं।”

10 व 15 रुपए किलो भाव में बिकने वाला अमरुद इस बार कम पैदावार होने से दोगुने से अधिक दाम में बिक रहा है, बाजार में अमरुद के दाम 35 रुपए 40 रुपए प्रति किलो तक हैं।

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