सब्जियों और फलों को सुरक्षित रखने के लिए नहीं है पर्याप्त भण्डारण की सुविधा
Devanshu Mani Tiwari 7 April 2017 6:40 PM GMT
स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क
लखनऊ। मंडियों में आधुनिक भंडारण सुविधाएं बनाने के लिए सरकार द्वारा बीते तीन वर्षों में कई योजनाएं चलाई गई हैं। इसके बावजूद मंडियों में माल रखने व खाद्यों के संरक्षण के लिए कोई भी ठोस कदम नहीं उठाया गया है।
जिले की सीतापुर रोड पर नवीन गल्ला मंडी में सब्जियों के बड़े व्यापारी बाबू सोनकर (45 वर्ष) के पास मंडी में खुद की एक दुकान होने के बावजूद, उन्हें अपना पांच बोरी आलू मंडी में रास्ते पर रख कर बेचना पड़ रहा है।
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बाबू बताते हैं, “मंडी में हमें जो दुकान दी गई है वो इतनी छोटी है कि उसमें पूरा माल नहीं आ पाता है। अभी गर्मी पड़ रही है, इसलिए छोटी दुकान पर आलू की बोरियां ठूंस-ठूंस रखेंगे, तो माल सड़ने का खतरा रहता है, इसलिए हम लोग बचा हुआ माल दुकान के सामने रास्ते पर रख कर बेच रहे हैं।”
संयुक्त राष्ट्र के खाद्य व कृषि संगठन (यूएनएफएओ) के अनुसार भारत में अपर्याप्त भंडारण के कारण किसानों की 30 प्रतिशत मेहनत हर साल बर्बाद हो जाती है। खाद्य एवं प्रसंस्करण मंत्रालय ने हाल ही में देश में मंडियों, कोल्ड स्टोरेज, डेयरी उद्योग व खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों में फल, सब्जियों और डेयरी उत्पादों के संरक्षण के लिए 101 नई एकीकृत कोल्डचेन परियोजनाओं को मंजूरी दी है। लेकिन अभी तक मंडियों में फल और सब्जियों के संरक्षण के लिए कोई भी खास योजना नहीं चलाई जा रही है।
मंडियों में व्यापारी अधिकतर फल और सब्जियां दूसरे राज्यों से डिमांड पर मंगवाते हैं, जिसे वो सीमित समय में बेच देते हैं। इसलिए मंडी समितियां भंडारण प्यवस्था बनाने के लिए अलग से कोई खर्च नहीं करती हैं।दिनेश चंद्र , सह निदेशक , कृषि विपणन एवं विदेश व्यापार, उत्तर प्रदेश
मंडी में हर रोज़ लाखों का व्यापार होता है। यह बात सच है कि यहां पर दुकानों में सामान स्टोर करने के लिए जगह की कमी है। जल्द ही बजट मिलने के बाद मंडी में कुछ दुकाने बढ़ाने का काम किया जाएगा।दिनेश कुमार वर्मा, मंडी सचिव, नवीन गल्ला मंडी
मंडियों का नहीं हुआ आधुनिककरण
उत्तर प्रदेश में किसानों को बेहतर सुविधाएं देने के लिए वर्ष 2014 में प्रदेश सरकार ने यूपी में 2,000 से ज्यादा कृषि विपणन केंद्रों का निर्माण व प्रदेश की 30 बड़ी मंडियों में उचित भंडारण इकाई के साथ-साथ मंडियों को आधुनिक सुविधाओं से लैस किए जाना था। इस योजना में लखनऊ की नवीन गल्ला मंडी, सीतापुर रोड और दुबग्गा मंडी शामिल थे, लेकिन मंडी में भंडारण सुविधाओं की कमी है।
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