लखनऊ। केंद्र सरकार के बाद प्रदेश सरकारें भी खतरनाक कीटनाशकों पर तेजी से प्रतिबंध लगा रही हैं। इस कड़ी में अब राजस्थान सरकार भी जुड़ गया है। प्रदेश सरकार ने 18 कीटनाशकों की बिक्री पर रोक लगा दी है।
भारत सरकार के निर्देशानुसार राजस्थान सरकार ने आठ अगस्त को अधिसूचना जारी करके प्रदेश में 18 कीटनाशकों के निर्माण और विक्रय पर पूरी तरह से रोक लगा दी है। इसे एक जनवरी 2019 से प्रभावी किया जाएगा। बावजूद इसके अगर प्रदेश में इसकी बिक्री की जाती है तो कीटनाशक अधिनियम 1968 एवं 1971 के तहत कार्रवाई की जाएगी।
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संयुक्त सचिव कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय राजस्थान ने जो विज्ञप्ति जारी की है उसके अनुसार बेनोमाइल, कार्बराइल, फेनारिमोल, डायजिनोन, फेथिओन, लिनुरोन, मेथेकमी ईथाइल मरकरी क्लोराइड, मिथाईल पैराथियॉन, थियोमेटान, ट्राईडेमोर्फ, ट्राईप्लूरेलिन, अलाक्लोर, फास्फोमिडान, ट्रायाजोफॉस, ट्राईक्लोरोफोर्न, फोरेट, सोडियम सायनाईड और मेथाक्सी ईथाइल जैसे कीटनाशकों पर पाबंदी लगा दी है जो एक जनवरी 2019 से लागू होगी। इसके बाद इसकी खरीद फरोख्त पर पूरी तरह से पाबंदी होगी।
कृषि मंत्रालय ने भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के डॉ. अनुपम वर्मा की अध्यक्षता में भारत में रजिस्ट्रीकृत नीयो-निकोटीनोईड कीटनाशक उपयोग के पुर्नरावलोकन के लिए 8 जुलाई 2013 को एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया था। इस समिति की सिफारिश पर केंद्र सरकार ने उक्त 18 कीटनाशकों पर प्रतिबंध लगाने का निर्णय लिया है।
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भारत में करीब 250 तरह के कीटनाशकों का इस्तेमाल किया जाता है, जिसमें से 18 क्लास वन (सबसे घातक) हैं। इनका अंधाधुंध और गैर जरूरी इस्तेमाल किसानों के लिए जानलेवा और पर्यावरण के लिए घातक साबित हो रहा है। राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो की रिपोर्ट के मुताबिक, वर्ष 2015 में 7062 लोगों की मौत कीटनाशकों से हुई थी। सीएसई के मुताबिक, भारत में औसतन कीटनाशकों से जुड़े 10 हजार मामले हर साल सामने आते हैं।