केन्द्रपाड़ा (ओडिशा)। देश के कई हिस्सों में लू चल रही है और मानसून के सक्रिय होने में अभी समय है। इस जानलेवा गर्मी के मौसम में, ओडिशा में स्थानीय भाषा में तलसाजा कहे जाने वाले ताड़गोले की मांग बढ़ गई है, जो केंद्रपाड़ा जिले में ताड़ के पेड़ के मालिकों के लिए खुशी की बात है।
गर्मी को मात देने और लू की वजह से होने वाली समस्याओं को दूर करने के लिए, गाँव और कस्बों के लोगों में ताड़गोले (मराठी और हिंदी में ताड़गोला और तमिल में नुंगू कहा जाता है) की खपत बढ़ गई है।
केंद्रपाड़ा के ताड़गोले के एक विक्रेता 52 वर्षीय नागेंद्र बेहरा ने गाँव कनेक्शन को बताया, “गर्मी का लेवल हर गुजरते दिन के साथ बढ़ रहा है, जिसकी वजह से तलसाजा की मांग काफी ज्यादा है। मैंने दो दिनों के अंदर लगभग छह सौ तलसाजा बेच दिया और हर एक ताड़गोले की कीमत दस रुपये है।”
केंद्रपाड़ा के मारसाघई कस्बे के एक दूसरे ताड़गोला विक्रेता 48 वर्षीय अशोक दास ने बताया, “ग्रामीण इलाकों में बहुत से लोग गर्मियों में अपनी प्यास बुझाने के लिए हरा नारियल और ताड़गोला पसंद करते हैं।”
ताड़गोले के फायदे
ताड़गोले के शीतल प्रभाव की वजह से गर्मियों में इसकी मांग सबसे ज्यादा रहती है। यह जेली जैसा रसदार फल है (लीची जैसी बनावट के साथ) और कार्बोहाइड्रेट, फाइटोन्यूट्रिएंट्स और कैल्शियम जैसे आवश्यक पोषक तत्वों से भरा होता है। इसमें कैलोरी की मात्रा कम होती है, फल में प्रोटीन और कई विटामिन भी होते हैं। इसमें आयरन पोटैशियम, जिंक और फास्फोरस जैसे कई मिनरल्स भी होते हैं। न सिर्फ ये गर्मियों के लिए एक अच्छा फल है, बल्कि न्युट्रिशियन इसे सुपरफूड कहते हैं।
केंद्रपाड़ा के एक सेवानिवृत्त चिकित्सक जीसी दास ने बताया, “गर्मी के चिलचिलाते दिन काफी असहज हो सकते हैं और डिहाइड्रेशन का कारण बन सकते हैं। ऐसी स्थिति में, ताड़गोला का सेवन काफी फायदेमंद है जो शरीर को ठंडा रखता है और प्राकृतिक रूप से डिहाइड्रेशन से निपटने में मदद कर सकता है।” उन्होंने कहा, “ताड़गोला विटामिन और खनिजों से भरे हुए हैं जो एक मजबूत प्रतिरक्षा प्रणाली के लिए आवश्यक हैं।”
केंद्रपाड़ा निवासी शरत साहू ने गांव कनेक्शन को बताया, “ताड़गोले के रस में काफी सारे पोषक तत्व होते हैं और यह किसी व्यक्ति को सनस्ट्रोक और डिहाइड्रेशन से बचने में मदद करता है।”
ताड़गोला: आजीविका का स्रोत
बढ़ती गर्मी ने राज्य में ताड़ के पेड़ की खेती करने वाले किसानों के मूड को उठा दिया है, जो दो साल की महामारी के बाद, इस गर्मी के मौसम में अच्छी कमाई की उम्मीद कर रहे हैं। ओडिशा में बड़ी संख्या में गरीब ग्रामीण गर्मी के मौसम में ताड़गोला बेचकर अपना जीवन यापन करते हैं।
केंद्रपाड़ा शहर के एक ताड़गोला विक्रेता विजय बेहरा ने बताया, “मैंने पिछले हफ्ते अपने दो ताड़ के पेड़ों से पांच सौ से अधिक ताड़गोला इकट्ठा किए और लगभग पांच हजार रुपये कमाए।”
केंद्रपाड़ा के एक ताड़ के पेड़ के मालिक नलिनीकांत सेठी ने गांव कनेक्शन को बताया,”आजकल ताड़ के पेड़ पर चढ़ने वालों के लिए पेड़ों से ताड़गोला इकट्ठा करना मुश्किल है।अब युवाओं को पेड़ों पर चढ़ने में कोई दिलचस्पी नहीं है और हमें बूढ़े लोगों पर निर्भर रहना पड़ता है। पेड़ पर चढ़ने वाला एक ताड़ के पेड़ पर चढ़ने के लिए सौ से दो सौ रुपये लेता है।”
केंद्रपाड़ा के एक ताड़ के पेड़ के मालिक तपन बेहरा ने बताया, “परंपरागत रूप से, गर्मी के मौसम में तटीय जिला केंद्रपाड़ा में लगभग दस हजार परिवारों के लिए ताड़गोला आय का एक प्रमुख स्रोत रहा है।” उन्होंने आगे बताया,”लेकिन हाल के वर्षों में स्थिति नाटकीय रूप से बदल गई है। अब लगभग पांच हजार लोग ताड़ के पेड़ की खेती पर निर्भर हैं क्योंकि 1999 के बाद से कई ताड़ के पेड़ चक्रवातों में उखड़ गए थे, “
केंद्रपाड़ा के पट्टामुंडई के एक ताड़गोला विक्रेता आगनी बेहरा ने बताया कि गर्मी के दौरान, फल विक्रेताओं ने राहगीरों की प्यास बुझाने और गर्मी को मात देने में मदद करने के लिए व्यस्त सड़कों और बाजार स्थानों पर ताड़गोला रखे हैं।
अनुवाद: मोहम्मद अबदुल्ला सिद्दीकी