डिजिटल कृषि की दिशा में एक और कदम, कृषि मंत्रालय ने अमेजॅन और पतंजलि समेत तीन कंपनियों से एमओयू
कृषि में डिजिटलीकरण के महत्व को स्वीकार करते हुए विभाग एक संघीय किसान डेटाबेस तैयार कर रहा है व इसके आधार पर विभिन्न सेवाओं का सृजन कर रहा है ताकि कृषि के डिजिटल पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण किया जा सके। इस डेटाबेस को देशभर के किसानों के भूमि रिकॉर्ड से जोड़ा जाएगा और यूनिक किसान आईडी सृजित की जाएगी।
गाँव कनेक्शन 1 Jun 2021 2:58 PM GMT
नई दिल्ली। कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा है कि कृषि क्षेत्र को साथ लेकर ही आत्मनिर्भर व डिजिटल भारत का सपना साकार हो सकेगा। कृषि क्षेत्र के डिजिटलीकरण के लिए कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने ठोस कदम आगे बढ़ा रहा है।
केंद्रीय मंत्री नरेंद्र तोमर ने यह बात कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के साथ चार संस्थानों के समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर समारोह के दौरान कही। कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने (i) पतंजलि ऑर्गेनिक रिसर्च इंस्टीट्यूट, (ii) अमेजॅन वेब सर्विसेज (एडब्ल्यूएस), (iii) ईएसआरआई इंडिया प्राइवेट लिमिटेड और (iv) एग्रीबाजार इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के साथ समझौता किया है।
इन संगठनों के साथ एकवर्ष की अवधि के भीतर आधार के रूप में किसान डेटाबेस का उपयोग करके पायलट परियोजना के लिए एमओयू किया गया है- "नेशनल एग्रीकल्चर जियो हब" की
I participated in video conferencing of the signing of MoU between the Ministry of Agriculture and Farmers Welfare with (i) Patanjali Organic Research Institute, (ii) Amazon Web Services, (iii) ESRI India Pvt. Ltd and (iv) Agribazaar India Pvt Ltd from Delhi residence. (Part-1) pic.twitter.com/a2toaDJDgC
— Parshottam Rupala (@PRupala) June 1, 2021
स्थापना और प्रारम्भ हेतु ईएसआरआई के साथ जबकि कृषि मूल्य श्रृंखला में डिजिटल सेवाओं और डिजिटल कृषि से संबंधित नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र के सृजन के लिए अमेजॅन वेब सर्विसेज के साथ और डिजिटल कृषि को बढ़ावा देने के लिए 3 राज्यों (उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान) में पायलट परियोजना के लिए कृषि विभाग के साथ सहयोग करने हेतु एग्रीबाजार के साथ तथा 3 जिलों (हरिद्वार- उत्तराखंड, हमीरपुर- उत्तर प्रदेश एवं मुरैना- मध्य प्रदेश) में कृषि प्रबंधन और किसान सेवा के लिए पतंजलि के साथ एमओयू हुआ है।
कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने डिजिटल कृषि की रूपरेखा तैयार करने हेतु इस क्षेत्र के विशेषज्ञों व प्रौद्योगिकी विशेषज्ञों के एक टास्क फोर्स और एक वर्किंग ग्रुप का गठन किया था। कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के सचिव संजय अग्रवाल की अध्यक्षता में तथा इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना तकनीक मंत्रालय, भारत सरकार के पूर्व सचिव जे. सत्यनारायण की सह-अध्यक्षता में टास्क फोर्स ने मुक्त डिजिटल तकनीकों को बढ़ावा देते हुए किसानों को कृषि पारिस्थितिकी के केन्द्र में रखने के दृष्टिकोण के साथ इंडिया इकोसिस्टम आर्किटेक्चर (IndEA) डिजीटल इकोसिस्टम आफ एग्रीकल्चर (IDEA) पर परामर्श-पत्र तैयार किया है।
कृषि मंत्री तोमर ने कृषि विशेषज्ञों, किसानों, आईटी विशेषज्ञों व जनता की टिप्पणियों के लिए इस दस्तावेज़ का अनावरण भी इस समारोह में किया। इसका अंतिम दस्तावेज आने वाले वर्षों में डिजिटल कृषि क्षेत्र के लिए एक मार्गदर्शक का कार्य करेगा।
कृषि में डिजिटलीकरण के महत्व को स्वीकार करते हुए विभाग एक संघीय किसान डेटाबेस तैयार कर रहा है व इसके आधार पर विभिन्न सेवाओं का सृजन कर रहा है ताकि कृषि के डिजिटल पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण किया जा सके। इस डेटाबेस को देशभर के किसानों के भूमि रिकॉर्ड से जोड़ा जाएगा और यूनिक किसान आईडी सृजित की जाएगी।
किसानों के लिए एकीकृत डेटाबेस के तहत केंद्र व राज्य सरकार की विभिन्न योजनाओं के सभी लाभों व सहयोगों की जानकारी इस डेटाबेस में रखी जा सकती है और यह भविष्य में किसानों को लाभ प्रदान करने के लिए जानकारी प्राप्त करने का स्रोत हो सकता है। अभी तक लगभग 5 करोड़ किसानों के विवरणों का डेटाबेस तैयार हो चुका है, आशा है कि जल्द ही समस्त भूमिधारी किसानों को जोड़कर डेटाबेस पूरा कर लिया जाएगा।
पीएम किसान, मृदा स्वास्थ्य कार्ड व पीएम फसल बीमा योजना संबंधित, उपलब्ध डेटा को एकीकृत कर लिया है। कृषि मंत्रालय के साथ-साथ उर्वरक, खाद्य और सार्वजनिक वितरण आदि मंत्रालयों के अन्य डेटाबेस से डेटा संयोजित करने की प्रक्रिया जारी है।
भारत के प्रधानमंत्री श्री @narendramodi जी के नेतृत्व में भारत ने आने वाले वर्षों में किसानों की आय को दोगुना करने के लिए कृषि क्षेत्र में कई महत्वाकांक्षी सुधारों की शुरूआत की है। pic.twitter.com/rADqxngtTI
— Narendra Singh Tomar (@nstomar) June 1, 2021
इन पायलट परियोजनाओं के माध्यम से विकसित केस बेस्ड यूज द्वारा IDEA और इस पर आधारित समाधानों सहित डेटाबेस से विभिन्न सहायता मिलेगी, जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं- किसान इस बारे में सूचित निर्णय प्राप्त करने सक्षम होंगे कि किस फसल को उगाना है, किस किस्म के बीज उपयोग करना है, कब बुआई करनी है और उपज को अधिकतम करने के लिए किन सर्वोत्तम प्रथाओं को अपनाना है। कृषि आपूर्ति श्रृंखला से जुड़े लोग सटीक और समयबद्ध सूचना द्वारा अपनी खरीद व लॉजिस्टिक की योजना बना सकते हैं। उचित समय पर, उचित सूचना प्राप्त होने से सटीक और स्मार्ट कृषि संभव हो सकती है। किसान निर्णय कर सकते हैं कि उन्हें अपनी उपज बेचना है या भंडारित करनी है, और आगे कब, कहां तथा किस कीमत पर बेचनी है।
मंत्रालय के बयान के मुताबिक इस प्रक्रिया में किसानों को निजता की सुरक्षा के साथ उभरती प्रौद्योगिकियों द्वारा संचालित अभिनव समाधानों और व्यक्ति-विशिष्ट सेवाओं का लाभ मिलता है।
कृषि मंत्री तोमर ने कहा कि सरकार किसानों की आय बढ़ाकर उनके जीवन को बेहतर बनाने के लिए एक आदर्श मार्ग पर तेजी से अग्रसर है। सरकार ने प्रौद्योगिकी को प्राथमिक क्षेत्र के रूप में चिन्हित किया व कृषि क्षेत्र में नई डिजिटल तकनीकों का उपयोग करने का प्रावधान किया है। कृषि व ग्रामीण अर्थव्यवस्था भारत का मूल आधार है और कठिन से कठिन परिस्थितियों से जूझने व विजयी प्राप्त करने की ताकत इनमें है। कोविड में भी अपनी प्रासंगिकता को इन क्षेत्रों ने सिद्ध किया है। किसानों ने पहले से ज्यादा उत्पादन किया, जो आगे भी बेहतर होने की उम्मीद है। ग्रीष्मकालीन बुवाई भी 21 प्रतिशत अधिक हुई है।
कार्यक्रम में कृषि राज्य मंत्री परषोत्तम रूपाला ने अपेक्षा जताई कि जल्द से जल्द खेतों तक प्रौद्योगिकी पहुंचे और किसानों को इनका पूरा लाभ मिलें। उन्होंने नई पहल की सराहना की। कृषि सचिव संजय अग्रवाल, पतंजलि जैविक अनुसंधान संस्थान के आचार्य बालकृष्ण, ईएसआरआई के एमडी अगेंद्र कुमार, एग्रीबाजार के कार्यकारी निदेशक अमित गोयल, अमेजॅन वेब सर्विसेज के भारत एवं दक्षिण एशिया के लीडर पंकज गुप्ता, एमईआईटीवाई के भूतपूर्व सचिव जे. सत्यनारायण, अपर सचिव (डिजिटल कृषि) विवेक अग्रवाल ने भी विचार व्यक्त किए। राज्यों के प्रधान सचिव, सचिव (कृषि) एवं टास्क फोर्स, कार्य समिति, संचालन समिति, एग्री स्टॉर्टअप व कृषि फर्मों के प्रतिनिधि वर्चुअल जुड़े थे।
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