किसानों को उनकी उपज की सही कीमत मिले और उनके उत्पाद की प्रोसेसिंग कर बाजार उपलब्ध कराया जा सके, इसके लिए सरकार ने वर्ष 2009 में देश में 42 मेगा फूड पार्क बनाए जाने की परियोजना शुरू की, मगर दस साल बाद भी देश में सिर्फ 04 मेगा फूड पार्क ही शुरू हो सके हैं।
अलग-अलग राज्यों में मेगा फूड पार्क की धीमी रफ्तार से एक तरफ जहां कारोबारी परेशान हैं, वहीं किसान भी बेरुखी दिखा रहे हैं। इन दस सालों में अभी भी 13 मेगा फूड पार्क में काम चल रहा है, जबकि 21 मेगा फूड पार्क में काम शुरू होना है। अब तक सिर्फ उत्तराखंड, मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक में ही मेगा फूड पार्क शुरू हो सके हैं।
बिहार के खगड़िया में प्रिसटाइन मेगा फूड पार्क 39 एकड़ में बनाया जा रहा है। फूड पार्क की धीमी रफ्तार को लेकर प्रिसटाइन मेगा फूड पार्क के चीफ एग्जीक्यूटिव ऑफिसर आशीष झा ‘गांव कनेक्शन’ से फोन पर बताते हैं, “पहले तो हमें सरकार की ओर से फूड पार्क के लिए अधिकृत जमीन के लिए ही पांच साल तक इंतजार करना पड़ा। फिर फूड पार्क में बड़े कारोबारी नहीं आए, बड़े कारोबारी आएंगे तो छोटे कारोबारी भी फूड पार्क में अपनी यूनिट लगाने के लिए प्रोत्साहित होंगे, मगर फूड पार्क को आगे लाने के लिए सरकार की ओर से कोई खास पहल नहीं की गई।”
“फूड पार्क में अभी भी कई यूनिट खाली हैं। हम सरकार को भी टैक्स दे रहे हैं, जमीन का किराया भी दे रहे हैं और हम छोटे निवेशकों को भी फूड पार्क के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं, तो केंद्र के साथ राज्य सरकारों को भी बड़े कारोबारियों को साथ लाने के लिए प्रेरित करना होगा तभी सभी को फायदा मिल सकेगा,” आशीष कहते हैं।
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असल में मेगा फूड पार्क परियोजना का उद्देश्य किसानों, प्रसंस्करणकर्ताओं और खुदरा व्यापारियों को एक साथ लाते हुए कृषि उत्पादन को बाजार से जोड़ने के लिए एक ऐसा तंत्र उपलब्ध कराना है ताकि किसानों की उपज की बर्बादी न्यूनतम कर किसानों की आय में वृद्धि की जाए और विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्र में रोजगार के अवसर दिए जाएं। मगर दस साल बाद भी सरकार के मेगा फूड पार्क अधूरे पड़े हैं।
उत्तराखंड के हरिद्वार में पतंजलि फूड एंड हर्बल पार्क शुरू हो चुका है, जबकि उधम सिंह नगर के काशीपुर के महुआखेड़ा गंज स्थित हिमालयन मेगा फूड पार्क में काम चालू है और अभी शुरू नहीं हो सका है।
‘आज किसान और उद्यमी, दोनों को फायदा नहीं’
उत्तराखंड में ही फूड प्रोसेसिंग से जुड़े छोटे कारोबारी और हिमालयन मेगा फूड पार्क में प्रोजेक्ट मैनेजर के पद पर काम कर चुके आरडी बटोला ‘गांव कनेक्शन’ से बताते हैं, “मेगा फूड पार्क के जरिए यह कोशिश की जानी थी कि स्थानीय किसानों और उद्यमियों दोनों को लाभ मिले, मगर आज दोनों को ही फायदा नहीं मिल रहा है।”
आरडी बटोला बताते हैं, “मैं खुद भी चाह रहा था कि फूड पार्क में प्रोसेसिंग की एक छोटी यूनिट लगा सकूं मगर छोटे कारोबारियों के लिए यह इतना आसान नहीं था। वहीं किसानों के लिए भी नहीं संभव हुआ क्योंकि फूड पार्क में कृषि की उपज बाहर से भी मंगाई जाती रही। ऐसे में मैंने खुद की प्रोसेसिंग यूनिट अलग से लगाई और आज क्षेत्र के 100 से ज्यादा किसानों को लाभ दे पा रहा हूं।”
मेगा फूड पार्क के लिए छोटे निवेशकों के लिए आ रहीं मुश्किलों को हिमाचल प्रदेश के उना में क्रेमिका मेगा फूड पार्क के मैनेजिंग डायरेक्टर अक्षय बेक्टर भी मानते हैं। हिमाचल प्रदेश के इस फूड पार्क में अभी काम जारी है और शुरू नहीं हो सका है।
हमारे फूड पार्क में अभी कुछ यूनिट ही पूरी हो सकी हैं और जितनी तेजी से आनी चाहिए, उतनी तेजी से नहीं आ रही हैं। छोटे निवेशक भी परेशान हैं क्योंकि बैंक के सख्त नियम और शर्तों की वजह से भी उन्हें यूनिट शुरू करने के लिए कर्ज नहीं मिल रहा है और इसलिए भी फूड पार्क के लिए रफ्तार बहुत धीमी है।
– अक्षय बेक्टर, मैनेजिंग डायरेक्टर, क्रेमिका मेगा फूड पार्क, हिमाचल प्रदेश
अक्षय बेक्टर ‘गांव कनेक्शन’ से बताते हैं, “हमारे फूड पार्क में अभी कुछ यूनिट ही पूरी हो सकी हैं और जितनी तेजी से आनी चाहिए, उतनी तेजी से नहीं आ रही हैं। छोटे निवेशक भी परेशान हैं क्योंकि बैंक के सख्त नियम और शर्तों की वजह से भी उन्हें यूनिट शुरू करने के लिए कर्ज नहीं मिल रहा है और इसलिए भी फूड पार्क के लिए रफ्तार बहुत धीमी है।”
उत्तराखंड की ही तरह हरियाणा में भी सोनीपत और रोहतक जिले में मेगा फूड पार्क खोले जाने हैं, मगर अभी तक दोनों ही जिलों में मेगा फूड पार्क में काम शुरू नहीं हो सका है।
हरियाणा में ही जड़ी-बूटियों की किसानी के साथ ही फूड प्रोसेसिंग के काम से जुड़े और राष्ट्रपति से सम्मानित किए गए धर्मवीर कंबोज सरकार के मेगा फूड पार्क से ज्यादा प्रभावित नहीं हैं।
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धर्मवीर ‘गांव कनेक्शन’ से बताते हैं, “यहां भले ही दो मेगा फूड पार्क खुलने हैं मगर इन फूड पार्क से किसानों को कोई खास फायदा नहीं होने वाला है। देश में ज्यादातर छोटे और सीमांत किसान हैं। ऐसे में जरूरी यह है कि किसान खुद की उपज की प्रोसेसिंग करे और अपनी उपज की मार्केटिंग करे।”
सरकार को किसानों को उपज की खुद प्रोसेसिंग के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए क्योंकि ये मेगा फूड पार्क का फायदा तो सिर्फ बड़े कारोबारी ही उठाएंगे और छोटा किसान दबा रह जाएगा।
– धर्मवीर कंबोज, राष्ट्रपति से सम्मानित किसान, हरियाणा
“सरकार को किसानों को उपज की खुद प्रोसेसिंग के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए क्योंकि ये मेगा फूड पार्क का फायदा तो सिर्फ बड़े कारोबारी ही उठाएंगे और छोटा किसान दबा रह जाएगा,” धर्मवीर कहते हैं।
इसी तरह राजस्थान के अजमेर के रुपनगढ़ गांव में अभी ग्रीनटेक मेगा फूड पार्क पर काम जारी है और जल्द ही शुरू होने की संभावना है। राजस्थान के ही जोधपुर में रहने वाले और कृषि पत्रकार मोईनुद्दीन चिश्ती बताते हैं, “पिछली सरकार के समय खाद्य मसालों के लिए काम कर रहे स्पाइस बोर्ड की ओर से जोधपुर के ही रामपुरा गांव में एक स्पाइस पार्क शुरू किया गया था। मगर आज वह स्पाइस पार्क सुनसान पड़ा रहता है, ऐसे में मेगा फूड पार्क के ऊपर सवाल उठना लाजमी है। मैं समझता हूं कि इससे भले ही उद्योगपतियों को फायदा मिले, मगर किसानों को पूरा लाभ मिलने की संभावना कम ही नजर आती है।”
वहीं उत्तर प्रदेश में भी मेगा फूड पार्क खोले जाने हैं, मगर यहां भी अब तक फूड पार्क शुरू नहीं हो सके हैं। उत्तर प्रदेश के सीतापुर और लखीमपुर जिले में फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी चला रहे विकास सिंह ‘गांव कनेक्शन’ से बताते हैं, “हम यूपी में बहुत सालों से सुनते आ रहे हैं कि अमेठी में मेगा फूड पार्क बनेगा, मथुरा में बनेगा, मगर आज तक कहीं कुछ नजर नहीं आया। कहा जाता है कि जमीन चिन्हित कर ली गई है, मगर सब हवाहवाई बातें ही हैं। ऐसे में किसान को भला क्या फायदा हो सकता है।”
ऐसा है मेगा फूड पार्क
देश में मेगा फूड पार्क खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय की ओर से प्रधान मंत्री किसान संपदा योजना के तहत तैयार किए जा रहे हैं। मेगा फूड पार्क के जरिए किसानों के जल्द खराब हो जाने वाले खाद्य पदार्थों की बर्बादी को कम करने के साथ उनकी उपज का उचित मूल्य दिया जाना है ताकि किसानों की आय में वृद्धि हो। इसके साथ कृषि उपज का खाद्य प्रसंस्करण किया जाना, भंडारण की व्यवस्था के साथ खेत से लेकर बाजार तक बुनियादी ढांचा और बाजार उपलब्ध कराना है। मेगा फूड पार्क के जरिए ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार उपलब्ध कराना भी लक्ष्य है। मेगा फूड पार्क के लिए केंद्र सरकार की ओर से 50 करोड़ रुपए की वित्तीय सहायता भी प्रदान की जा रही है।