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एक ऐसा राज्य, जहां किसानों के मुनाफे का सौदा बनी खेती

sikkim

एक ओर जहां देश में किसान आंदोलन कर रहे हैं और बेबसी में आत्महत्या करने को मजबूर हो रहे हैं, दूसरी ओर अपने देश में एक ऐसी राज्य सरकार है, जिसने किसानों की किस्मत का न सिर्फ ताला खोला, बल्कि अपने राज्य के किसानों को हर स्तर पर मदद कर खेती को मुनाफे का सौदा बनाया। यही कारण है कि इस राज्य में किसी भी किसान ने आत्महत्या नहीं की।

भारत में सिक्किम देश का पहला जैविक राज्य बना, जहां करीब 75 हजार हेक्टेयर कृषि भूमि पर पूरी तरह से जैविक खेती हो रही है। दूसरे राज्य के किसान जहां रासायनिक और नकली कीटनाशकों के इस्तेमाल से फसलों में नुकसान झेल रहे हैं और बढ़ती समस्याओं से आत्महत्या करने को मजबूर होते हैं, वहीं सिक्किम ने पूर्ण जैविक प्रदेश होते हुए किसानों की आत्महत्या के आंकड़े से मुक्त होकर देश के किसानों के सामने एक अनुपम उदाहरण पेश किया है।

आईए जानते हैं कि कैसे सिक्किम के किसानों ने प्रकृति के साथ सामांजस्य बैठाकर पूरी तरह से जैविक खेती को अपनाकर कृषि को नया आयाम दिया।

सबसे पहले जैविक नीति की घोषणा

रासायनिक कीटनाशकों और उर्वरकों के उपयोग से सिक्किम की भूमि की घटती उर्वरक क्षमता और पर्यावरण पर पड़ते प्रतिकूल प्रभाव को देखते हुए तत्कालीन मुख्यमंत्री पवन कुमार चामलिंग ने वर्ष 2003 में बड़ा फैसला लेते हुए विधानसभा में राज्य को जैविक खेती की ओर ले जाने के लिए जैविक नीति की घोषणा की। चामलिंग सरकार ने न सिर्फ कार्ययोजना बनाई, बल्कि कानून बनाकर उसे राज्य में पूरी तरह से लागू भी कराया।

रासायनिक कीटनाशकों और उर्वरकों पर पूरी तरह से प्रतिबंध

कानून बनाने के साथ सिक्किम सरकार ने चरणबद्ध तरह से रासायनिक कीटनाशकों और उर्वरकों पर राज्य में पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया और खेती में इसके उपयोग करने पर सजा और जुर्माने का भी प्रावधान रखा। रासायनिक कीटनाशकों और उर्वरकों के उपयोग पर एक लाख रुपए का जुर्माना और तीन महीने कैद की सजा तय की गई। चामलिंग सरकार ने इस कानून को राज्य में पूरी ईमानदारी से लागू भी कराया।

राज्य में जैविक बोर्ड का गठन

सिक्किम सरकार ने राज्य में जैविक बोर्ड का गठन किया। साथ ही जैविक उत्पादों को लेकर राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई साझेदारियां की। जल्द ही सिक्किम सरकार ने केंद्र सरकार से मिलने वाला रासायनिक उर्वरक का कोटा लेना भी बंद कर दिया और ऐसे में किसानों को भी मजबूरी में जैविक खेती को पूरी तरह से अपनाने के प्रेरित होना पड़ा। इसके साथ ही राज्य में जैविक खेती के लिए निगरानी और समन्वय के लिए‘सिक्किम जैविक मिशन’ बनाया।

मिशन से मिली किसानों की मदद

मिशन के तहत अलग-अलग क्षेत्रों में किसानों की अलग-अलग समस्याओं को देखते हुए नीतियां बनाई गईं और किसानों को प्रशिक्षित करने के लिए कई शिविर लगाए गए। शिविर में जैविक उत्पादों को लेकर किसानों को मार्केटिंग को लेकर प्रशिक्षित किया गया। मिशन के तहत बड़े स्तर पर किसानों को जैविक खाद उपलब्ध कराना सुनिश्चित किया गया। इसके अलावा बीज उत्पादन के लिए नर्सरियां लगाईं। छोटे-छोटे स्तर पर राज्य की कृषि भूमि को पूरी तरह से जैविक खेती करने के लिए काम किया।

2016 में पूर्ण जैविक राज्य बना सिक्किम

लगभग 12 सालों की पवन कुमार पामलिंग सरकार और किसानों की कड़ी मेहनत के बाद वर्ष 2016 में सिक्किम को पूर्ण जैविक राज्य घोषित किया गया। राज्य के सभी किसान 100 फीसदी जैविक उत्पादों का उत्पादन कर रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उस दौरान कहा कि सिक्किम ने देश में कृषि का मतलब ही बदल दिया है। उन्होंने कहा कि सभी राज्यों को सिक्किम का अनुसरण करना चाहिए कि कैसे सिक्किम ने प्रकृति के साथ सामंजस्य बैठाकर कृषि क्षेत्र में कर दिखाया है। बता दें कि सिक्किम में करीब 75 हजार हेक्टेयर भूमि पर किसान करीब 8 लाख टन जैविक उत्पादों का उत्पादन कर रहे हैं, जो पूरे देश में कुल जैविक उत्पादों का लगभग 65 प्रतिशत है। सिक्किम के किसानों ने यह साबित किया कि जैविक खेती की राह पर चलते हुए उत्पादन में बढ़ोत्तरी की जा सकती है।

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Posted by Pawan Singh on Monday, November 13, 2017

भारत ने की जैविक कृषि विश्व कुंभ की मेजबानी

देश में जैविक खेती को बढ़ावा देने के साथ जैविक उत्पादों की पूरी दुनिया में बढ़ती मांग को देखते हुए हाल में भारत को जैविक कृषि विश्व कुंभ की मेजबानी करने का मौका मिला। इस कुंभ में पूरी दुनिया से जैविक खेती करने वाले किसान, कृषि विशेषज्ञ, कृषि वैज्ञानिक और कृषि उत्पाद बनाने वाली कंपनियों ने भागेदारी की। देश के कोने-कोने से आए किसानों को यहां जैविक खेती सीखने के साथ-साथ जैविक उत्पादों की ब्रांडिंग कैसे की जाए, सीखने का मौका मिला।

जैविक कृषि विश्व कुंभ में छा गया था सिक्किम, देखें तस्वीरें…

फोटो: गाँव कनेक्शन

क्या अन्य राज्यों में भी बदलेगी जैविक खेती से तस्वीर?

इस बारे में कृषि मामलों के जानकार अरुण तिवारी बताते हैं, “देश में जैविक खेती को जरूर बढ़ावा दिया जाना चाहिए, सिक्किम ने ऐसा इसलिए कर दिखाया क्योंकि यह सरकार और किसानों की ओर से ईमानदारी और पूरी निष्ठा के साथ किया गया साझा प्रयास रहा। यही कारण है कि सिक्किम में किसी किसान ने आत्महत्या नहीं की।“ उन्होंने आगे कहा, “अगर हर राज्य में क्षेत्र के अनुसार किसानों की समस्याओं को देखते हुए नीतियां बनाई जाएं और उनकी समस्याओं का निराकरण किया जाए, तो किसान जैविक खेती को अपनाएंगे।“

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