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जानिए कैसे बचाएं गन्ने को इस रोग से

sugar cane

उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक समेत कई राज्यों में गन्ने की बंपर खेती होती है। इस समय ज्यादातर इलाकों में पिछले साल बोए गए गन्ने की पेराई चल रही है, जबकि नई फसल तैयार हो रही है। नई फसल के साथ पुरानी फसल में कई किसान दूसरी फसल लेते हैं।

गन्ने की उपज अच्छी हो इसके लिए किसान काफी खर्च और मेहनत करते हैं, लेकिन बावजूद इसके कई रोग लग जाते हैं। ऐसा ही एक रोग है उकठा है, जिसके चलते गन्ना सूखने लगता है। अगर ये रोग गन्ने की खड़ी फसल में लग गया तो इसका कोई उपाय नहीं है। जल्द इसका समाधान न हो तो पूरी फसल चौपट हो सकती है। गांव कनेक्शन आज आप को बता रहा है इस रोग के लक्षण और बचने के उपाय।

कैसे होता है उकठा रोग

उकठा रोग फंगस लगने की वजह से होता है। यहां पर एक बात ध्यान देने वाली है कि अगर किसी किसान के खेत में एक भी गन्ने में उकठा रोग लगा है और उसने खेत में पानी लगा दिया तो पानी के जरिए भी ये रोग और भी गन्ने की फसलों में लग सकता है या फिर गन्ने को नमी मिल जाए तो भी ये रोग फैल सकता है।

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रोग से बचने के उपाय

कृषि विज्ञान केन्द्र, सीतापुर के कृषि वैज्ञानिक (फसल सुरक्षा) डॉ. दया शंकर श्रीवास्तव ने गाँव कनेक्शन को बताया कि इसके लिए अगर हम जैविक खेती की बात करें तो ट्राइकोडर्मा और सूडोमोनाज उपलब्ध है। अगर रसायन की बात करें तो कार्बान्डाजिम या थीरम उपलब्ध है। यहां पर एक बात ध्यान रखें अगर एक सीजन में गन्ने में ये रोग लगा है और अगले सीजन में खेत में एक पेड़ी भी बची है तो दोबारा सीजन में भी ये रोग हो सकता है क्योंकि खेत में ये रोग पहले से ही है। इसके लिये किसान को चाहिये कि गोबर की खाद में या केचुए की खाद में ट्राइकोडर्मा मिलाकर खेतों में डाल दें भूमि शोधन के लिये। ढाई से तीन किलो प्रति हेक्टेयर ट्राइकोडर्मा खेत में डाल दें। इस उपाय को करने से खेत में इस रोग की समस्या खत्म हो जाती है।

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ऐसे करें रसायनिक उपचार

इसके लिये एक लीटर पानी में दो ग्राम थीरम का घोल मिलाकर रख लीजिए और कटिंग को काटकर 20 से 25 मिनट के लिये उस घोल में डाल दीजिये ताकि दवाई पूरी तरह से उसमें पहुंच जाए। उसके बाद बीज को खेत में लगाइए।

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ऐसे करें जैविक उपचार

अगर आपको जैविक तरीके से रोग की रोक थाम करनी है तो इसके लिये प्रति लीटर पानी में पांच ग्राम ट्राईकोडर्मा और सूडोमोनाज मिलाकर और करीब 50 से 100 ग्राम गुड़ मिलाकर इसका घोल बनाकर उसमें कटिंग को 20 से 25 मिनट तक डुबा दीजिए ताकि दवा उसमें ठीक तरह से घुल जाएं।

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