लखनऊ। पिछले कुछ दिनों से मौसम का मिजाज बदला है, लेकिन रुक-रुककर हो रही बारिश से आलू की खेती करने वाले किसानों को नुकसान उठाना पड़ सकता है। खास करके पछेती आलू की खेती पर मौसम का असर देखने को मिल सकता है।
पाले के कारण पछेती किस्म के आलू पर लेट ब्लाइट (पछेती झुलसा रोग) लगना शुरू हो गया, जिससे आलू की खेती की लागत में भी इज़ाफा हो रहा है। आलू की बड़े पैमाने पर खेती कर रहे फर्रुखाबाद जिले के कमलापुर गांव के अन्नू सिंह ने गाँव कनेक्शन को बताया, “फरवरी में आलू का साइज बढ़ने का समय होता है, लेकिन जनवरी से लगातार पाला और शीत लहर के बाद रुककर हो रही बरसात काल बनकर आई है, जिसके कारण आलू का आकार नहीं बढ़ पा रहा है। इसका सीधा असर आलू के उत्पादन पर पड़ेगा। अबकी बार महंगे बीज लेकर आलू की बुवाई की थी और ऐसा ही आ रहा तो लागत निकालनी भी मुश्किल हो जाएगी।”
बाराबंकी जिले के सूरतगंज ब्लॉक क्षेत्र के रहने वाले जनार्दन वर्मा बताते हैं, “पिछले साल जनवरी के अंतिम सप्ताह में जब आलू की खुदाई शुरुआत हुई थी उस वक्त 900 से लेकर 1000 रुपए कुंतल तक का भाव था, लेकिन इस बार जब आलू की खुदाई शुरू हुई है, तो 500 से लेकर 700 रुपए कुंतल तक ही दाम मिल पा रहे हैं। इस साल रेट भी कम है और लागत भी ज्यादा है।”
पिछले वर्ष की तुलना में बढ़ा रकबा
जिला उद्यान विभाग के अनुसार पिछले साल आलू महंगा होने के कारण इस बार ज़्यादा किसानों ने आलू की खेती की तरफ रुख किया है और जिले में करीब 15 से 20% क्षेत्रफल में आलू की खेती का रकबा बढ़ा है। पिछले साल लगभग 16,000 हेक्टेयर में आलू की खेती की जा रही थी, जबकि इस साल 17,500 हेक्टेयर आलू की खेती की जा रही है, बाराबंकी जिले में लगभग 4.50 लाख मीट्रिक आलू के उत्पादन की संभावना है।
बाराबंकी जिले के गंधीपुर निवासी गंगा बक्स सिंह बताते हैं कि इस बार आलू का बीज करीब 3,000 रुपए कुंतल लेकर बुवाई की थी, एक बीघा में लगभग 15,000 रुपए की लागत आई थी, लेकिन एक बीघे में सिर्फ 12,000 रुपए ही छूटे हैं 3,000 रुपए का नुकसान हुआ है। बक्स सिंह के खेत में एक बीघे में करीब 20 कुंतल आलू पैदा हुआ है, जो 600 रुपए कुंतल के रेट पर बिका है।
आलू की बड़े पैमाने पर खेती करने वाले बाराबंकी जिले में बेलहरा के किसान रमेश चंद्र मौर्य बताते हैं, “धान और गेहूं की खेती में पहले ही घाटा हो चुका है अब उम्मीद आलू की खेती से थी लेकिन मौसम उस उम्मीद को भी फीका कर रहा है।”
बेलहरा निवासी सतेंद्र मौर्य बताते हैं कि लगातार पाला और धूप न निकलने के कारण दवाइयों का भी असर आलू की खेती पर नहीं हो रहा है और झुलसा रोग फसल को नुकसान पहुंचा रहा है। बारिश हो जाने के बाद यह रोग और तेज़ी से बढ़ जाएगा जिससे फसल बचाने में खासी मेहनत और लागत लगानी पड़ेगी।