जींद (हरियाणा)। कपास के खेत में दर्जन भर बैठी महिलाएं अपनी हरियाणवी भाषा में एक सुर में रागिनी गा रही हैं। यह रागिनी किसी शादी या त्यौहार के लिए नहीं बल्कि खेतों में कीटनाशकों का इस्तेमाल न करने के लिए गा रही हैं।
जींद जिले के ललितखेडा गांव में हर हफ्ते कीट पाठशाला चलती है। इस पाठशाला में जिले के आस-पास से गाँव से आए पुरुष और महिला किसानों को शाकाहारी और मांसाहारी कीटों की पहचान कराई जाती है। इस क्लास में आने इस क्लास में आने वाले किसानों को 43 किस्म के शाकाहारी 162 किस्म के मांसाहारी कीटों की पहचान है। इस पाठशाला पाठशाला का मकसद किसानों को कीटों के प्रति जागरुक करना है ताकि को अपने खेतों में कीटनाशकों का इस्तेमाल न करें।
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किसानों को जागरुक करने के लिए यह पाठशाला में गीत भी गाती है। ऊपर वीडियो में जो महिलाएं गीत गा रही है उसके बोल ये हैं…
हो पिया तेरा हाल देखकै, मेरा कालजा धड़कै हो।
कांधे ऊपर जहर की टंकी, मेरै कसूती रड़कै हो।।
नरे ढ़ाल के कीट फसल मैं, न्यारी नस्ल के आंवै हो।
बीस ढ़ाल की मकड़ी आरी, बारहा ढ़ाल के बुगड़े पांवै हो
मोटी ताजी तेलन आरी, पंखुड़ी पुकेसर खावै हो
मादा न तो न्यूए छोड़ दे, उस तै टिण्डा बनजा हो।
कांधे ऊपर……….। हो पिया तेरा…….।
धोली माक्खी हरे तेले चुरड़े रस न चूसै हो।
जब तै बुगड़े आए खेत मैं, खड़े-खड़े ये मूतै हो।
बारहा ढ़ाल की माक्खी आरी, पंजा बीच फैसावै हो।
सारे ढ़ाल के कीढ़ा न ये, डंक मार पी जावै हो।
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कांधे ऊपर……….। हो पिया तेरा…….।
मेरा कहैणा मान पियाजी, करो स्प्रे का टाला हो।
स्प्रे तो नुकसान कर सै, धरती में जहर फैलावै हो।
स्प्रे तै कीड़े ना सपड़ते, ये घणे-घणे बधावै हो।
धाम पचास की मात्रा मैं, ये परपेटिये मर जाव हो।
कांधे ऊपर……….। हो पिया तेरा…….।
खेड़े गाम के लोग-लुगाई, खेत मैं क्लास चलावै हो।
जामण नीचै बैठ के कीड़ां, का हिवांब लगावै हो।
सारे ग्रुप के कट्ठे हो कै, सब न्यू समझावै हो।
मांसाहारी कीड़े आरे स्प्रां की थोक पुगावै हो।
कांधे ऊपर जहर की टंकी, मेरै कसूती रड़कै हो।
कांधे ऊपर……….। हो पिया तेरा…….।
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