धान की कटाई के साथ ही ज्यादातर क्षेत्रों में आलू की बुवाई शुरू हो जाती है, लेकिन कई बार किसान मंहगा खाद बीज तो डालता है, खेती में मेहनत भी करता है, लेकिन अच्छी उपज नहीं मिल पाती। ऐसे में किसान शुरू से ही कुछ बातों का ध्यान रखकर आलू की खेती से बढ़िया मुनाफा कमा सकते हैं।
आलू की खेती की शुरूआत खेत की तैयारी से लेकर बीज के चयन से होती है, इसलिए किसानों को शुरू से ही धान देना चाहिए। कृषि विज्ञान केंद्र सीतापुर के कृषि वैज्ञानिक (फसल सुरक्षा) डॉ दया शंकर श्रीवास्तव और आलू की खेती के लिए कई बार सम्मानित किए गए कानपुर के प्रगतिशील किसान भंवर पाल सिंह आलू की खेती का गणित बता रहे हैं।
कृषि वैज्ञानिक डॉ दया शंकर श्रीवास्तव बताते हैं, “जो किसान आलू की खेती करना चाहते हैं, कुछ ऐसे भी किसान होंगे जो पहले से आलू की खेती करते आ रहे होंगे और नए किसान भी जुड़ते हैं जो आलू की खेती करना चाहते हैं। जो नए किसान हैं उन्हें मैं बताना चाहूंगा। सबसे पहले मिट्टी की जांच करा लेनी चाहिए। जिस खेत में आप आलू की खेती करने वाले हैं, क्या वो भूमि आलू की खेती के लिए सही है।”
वो आगे कहते हैं, “इसके लिए सबसे जरूरी है, मिट्टी की जांच करा लें, अगर मिट्टी की जांच नहीं हो पायी है तो देखना चाहिए कि खेती की मिट्टी बलुई दोमट होनी चाहिए और पीएच की जांच आसानी से हो जाती है अगर मिट्टी का पीएच मान छह से आठ के बीच में है और उचित जल निकास वाली मृदा है पानी अच्छी तरह से खेत से निकल जा रहा है तो खेत आलू की खेती के लिए सही है।”
आलू ही नहीं किसी भी खेती की शुरूआत करते समय ये देखना चाहिए की खेत की मिट्टी का स्वास्थ्य कैसा है। इसलिए ये देखना होगा कि खेत में ऑर्गेनिक कॉर्बन यानी की जीवांश की मात्रा कितनी है। खेत की मिट्टी में जैविक खाद जैसे वर्मी कम्पोस्ट, गोबर की खाद या मुर्गी की खाद डालेंगे तो आपके खेत का आलू हरा नहीं होगा। मीठा नहीं होगा, उत्पादन अच्छा होगा और कीट और बीमारियों से लड़ने की क्षमता भी ज्यादा रहेगी। इसलिए मिट्टी में जितना हो सके जैव उर्वरकों का प्रयोग करें।
अपने क्षेत्र के हिसाब से करें रोग मुक्त बीजों का चयन करें
आलू के खेत में बीजों का चयन सबसे जरूरी होता है। खेत की तैयारी के बाद सबसे जरूरी काम होता है, अच्छी गुणवत्ता के रोगमुक्त बीज का चयन करना। डॉ दया बताते हैं, “आलू में सबसे बड़ी समस्या अगेती और पछेती झुलसा रोग की होती है। इससे किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ता है। तो इसके लिए हमें पहले से तैयारी करनी होगी। इसके लिए कई सारी अवरोधी किस्में भी हैं। इसलिए अगर आप पहली बार आलू की खेती करने जा रहे हैं तो बुवाई के लिए अवरोधी किस्मों का ही चयन करें। ताकि इन प्रजातियों में बीमारी से लड़ने की क्षमता हो। इसलिए आप सामान्य आलू की किस्मों से ही खेती की शुरूआत करिए।”
बीज और भूमि शोधन भी जरूरी
आलू की खेती में बीज शोधन के साथ ही भूमि शोधन भी बहुत जरूरी होता है। जैविक और रसायनिक दोनों विधियों से बीज का शोधन कर सकते हैं। अगर आप जैविक तरीके से बीज का शोधन करते हैं तो ट्राईकोडर्मा और स्यूडोमोनास दोनों को पांच मिली प्रति लीटर पानी में थोड़े से गुड़ को मिलाकर घोल लेते हैं और किसान रसायनिक तरीके से बीज शोधन करते हैं तो कार्बेंडजिम से दो ग्राम प्रति लीटर के हिसाब से बीज का शोधन कर सकते हैं। इसमें कई तरह के कीटों की समस्या भी आती है, इसलिए क्लोरोपाइरोफास को दो मिली प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर शोधन कर सकते हैं।
ये तो बीज का शोधन हो गया है। अब बारी आती है, जिस खेत में आलू की बुवाई करनी है उसके शोधन की, क्योंकि उसमें पहले से ही कई तरह के जीवाणु या फिर फंफूदी रहती है। तो इसके लिए एक कुंतल गोबर की खाद लेकर उसमें एक-दो लीटर ट्राईकोडर्मा और एक दो किलो गुड़ लेकर उसका घोलकर बनाकर दस बारह दिनों के लिए छोड़ दें। 10-12 दिनों में वो पूरी खाद में फैल जाएगा। इसी के साथ ही बिवेरिया बेसियाना लेकर एक कुंतल गोबर की खाद लेकर एक दो किलो गुड़ का घोल डालकर उसे छाया में रख दें। 10-12 दिन के लिए इसे भी रख दें, साथ ही मेटाराइजियम को भी एक कुंतल गोबर की खाद में मिलाकर रख दें। अब दस-बारह दिनों के बाद इन तीनों को एक साथ मिलाकर खेत की तैयारी के समय पूरे खेत में मिला दें। इससे आपके खेत की आधी समस्या खत्म हो जाएगी।
प्रगतिशील किसान भंवर पाल सिंह आलू की खेती का अपना अनुभव साझा करते हैं, “जिस खेत में आलू की बुवाई करनी हो, उस खेत में उड़द जैसी दलहनी फसलें एक बार जरूर लगानी चाहिए, ताकि मिट्टी में नाइट्रोजन की मात्रा बरकरार रहे और सनई, ढैंचा जैसी हरी खाद का भी प्रयोग जरूर करना चाहिए। गर्मी में एक बार खेत की गहरी जुताई कर लें, जिससे खेत में कीट पतंगे मर जाएं।”
बुवाई का सही तरीका
बुवाई के लिए 25-25 मिमी से 45 मिमी का बीज होना चाहिए। कोशिश करें कि बीज काटकर न बोना पड़े, लेकिन अगर बीज 45 से 50 तक होता है तो बीज काटना ही पड़ता है। अगर हम सीड के लिए बुवाई कर रहे हैं तो बिल्कुल न काटें, भले ही उनकी दूरी बढ़ा दें। खेत एक दम साफ सुथरा होना चाहिए, मिट्टी भुरभुरी होनी चाहिए। अगर हम मशीन से बोते हैं तो दस-बारह कुंतल प्रति एकड़ बीज लगता है।
इन बातों का भी रखें ध्यान
भंवर पाल सिंह कहते हैं, “समय से बुवाई और रोग मुक्त बीजों का ही चयन करें। आलू का सबसे भयंकर रोग होता है पछेती झुलसा रोग। अगर किसान आलू के बीज की खेती करते हैं तो जनवरी फरवरी में सफेद मक्खी का खतरा रहता है, इसलिए आलू की फसल के सारे पत्ते काट देने चाहिए। कोशिश करिए कि कम से कम पेस्टीसाइड या इंसेक्टिसाइड डालना पड़े, इसलिए सबसे जरूरी है, नियमित रूप से खेत का निरीक्षण करते रहे हैं।