मिलिए बरेली मंडल के सबसे बड़े अंडा उत्पादक परमिंदर सिंह से

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मिलिए बरेली मंडल के सबसे बड़े अंडा उत्पादक परमिंदर सिंह सेरोजाना करीब 50 हजार अडों का उत्पादन करते हैं परिमंदर

शाहजहांपुर। एक छोटे से गाँव के परमिंदर सिंह (28 वर्ष) आधुनिक तकनीक से रोजाना अपने फार्म में 50 हज़ार अंडों का उत्पादन कर अच्छा मुनाफा तो कमा ही रहे हैं साथ ही बरेली मंडल के सबसे बड़े उत्पादक भी हैं। यह मुकाम उन्होंने सिर्फ दो साल में बनाया है।

जिला मुख्यालय से लगभग 30 किलोमीटर दूर ददरौल ब्लॉक के उदयपुर कटइया गाँव में परमिंदर ने अपना फार्म बनाया हुआ है। परमिंदर बताते हैं, “इस काम को मैंने दो साल पहले शुरू किया था तब इस फार्म में पांच हजार मुर्गियां थीं। अब हमारे पास एक यूनिट में 30,000 मुर्गियां हैं। ऐसी दो यूनिट बनी हुई है।”

सात एकड़ में फैले इस फॉर्म में वैकीज बी300, स्काईलार्क बी01 नस्ल की मुर्गियां पली हुई हैं। मुर्गियों को रखने के लिए 450 फुट लंबे तीन शेड तैयार किए गए हैं एक शेड में करीब 20000 मुर्गियां है। मुर्गियों की देखभाल के लिए 5000 पक्षियों पर एक व्यक्ति तैनात है। 24 घंटे बिजली के लिए फार्म में तीन जनरेटर लगे हुए हैं।

फार्म में लगी आधुनिक मशीनों के बारे में परमिंदर बताते हैं, “मुर्गियों को दाना देने के लिए फीडिंग सिस्टम लगा हुआ है इसके द्वारा मुर्गियों तक खाना पहुंचाया जाता है। उनको कोई बीमारी न हो इसके लिए फिल्टर मशीन भी लगाई गई है ताकि उन्हें साफ पानी मिले।”

उत्तर प्रदेश सरकार कुक्कुट विकास नीति 2013 की योजना के तहत इस फार्म को परमिंदर ने खोला था। इस योजना के तहत पहले 30 हजार पक्षियों की कामर्शियल यूनिट संचालित की जाती थी जिसमें मुर्गी पालकों को एक करोड़ 80 लाख रुपए की लागत आती थी, लेकिन अब इस योजना के तहत दस हजार कामर्शियल लेयर फार्मिंग की यूनिट स्थापित की जा सकती है जिसकी वजह से छोटे किसान भी इस योजना का फायदा उठा रहे है। नोट बंदी से हुए नुकसान के बारे में परमिंदर बताते हैं, “इस समय सबसे ज्यादा घाटा हो रहा है। अंडा तो है लेकिन उसको खरीदने वाले व्यापारी नहीं है। जैसे-तैसे हम अंडे को बाजार में बेच रहे हैं।”

परमिंदर की तरह आप भी शुरु कर सकते हैं कर्मशियल मुर्गी फार्म

उत्तर प्रदेश सरकार कुक्कुट विकास नीति 2013 के तहत दस हजार कामर्शियल लेयर फार्मिंग की यूनिट भी स्थापित की जा सकती है। कुक्कुट विकास नीति 2013 के तहत पहले 30 हजार पक्षियों की कामर्शियल यूनिट संचालित की जाती थी जिसमें मुर्गी पालकों को एक करोड़ 80 लाख रुपए की लागत आती थी, लेकिन अब किसान दस हजार पक्षियों की कामर्शियल यूनिट भी स्थापित कर सकेंगे जिसमें 70 लाख रुपए का खर्चा आएगा। इस योजना से एक लाभार्थी अधिकतम दो यूनिट स्थापित कर सकता है।

पशु पालन विभाग के उपनिदेशक डॉ वी के सिंह ने बताया, ''इस योजना से छोटे किसानों को लाभ मिल सकेगा। योजना में 30 प्रतिशत यानि 21 लाख रुपए मुर्गी पालक और 70 प्रतिशत यानि 49 लाख रुपए बैंक लोन की सुविधा है। इसके साथ-साथ हर यूनिट को 400 रुपए प्रतिमाह की दर से 10 साल तक बिजली के खर्चे में छूट दी जायेगी। कुक्कुट विकास नीति-2013 के तहत कुल 630 इकाइयों को स्थापित करने का प्रावधान किया गया है, जिनकी कुल क्षमता 123 लाख पक्षी होगी।

अलग-अलग राज्यों से आता है मुर्गियों का खाना

परमिंदर बताते हैं अंडा शरीर में प्रोटीन की मात्रा को पूरी करता है फार्म में अंडा अच्छा तैयार हो इसके लिए डी ओल्ड सोया, डी ओल्ड मस्टर्ड जैसे कई फिट पंजाब गुजरात राज्यों से मंगवाते हैं। मुर्गियों के फीड पर आने वाले खर्चे के बारे में परमिंदर बताते हैं 60 हजार मुर्गियों पर प्रतिदिन 70 कुंतल दाने की खपत होती है।

एक लाख अंडा उत्पादन का लक्ष्य

अपने लक्ष्य के बारे में परमिंदर बताते हैं, “दो यूनिट चल रही हैं और दो यूनिट का काम चल रहा है जैसे ही यूनिट तैयार हो जाएंगी तो प्रतिदिन एक लाख अंडा उत्पादित होगा।”

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