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देश में 10,000 किसान उत्पादक संगठनों के गठन की तैयारी, सरकार ने जारी किए नए दिशा-निर्देश

इन किसान उत्पादक संगठनों यानी एफपीओ के गठन और उनको बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार 6,866 करोड़ रुपए खर्च करेगी। इससे पांच साल तक हर एफपीओ को सरकार आर्थिक सहायता भी प्रदान करेगी।
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केंद्र सरकार ने देश में 10,000 किसान उत्पादक संगठन यानी एफपीओ के गठन की तैयारी शुरू कर दी है। इसके लिए सरकार ने नए दिशा-निर्देश भी जारी कर दिए हैं।

हाल में केंद्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग के जरिये विभिन्न प्रदेशों के कृषि मंत्रियों के साथ बैठक की। कृषि की अन्य योजनाओं की चर्चाओं के साथ इस बैठक में केंद्रीय मंत्री ने साल 2023-24 तक देश में कुल 10,000 एफपीओ के गठन को लेकर गाइडलाइन्स भी जारी कीं।

इन एफपीओ के गठन और उनको बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार 6,866 करोड़ रुपए खर्च करेगी। इसके तहत पांच साल तक हर एक एफपीओ को सरकार आर्थिक सहायता प्रदान करेगी।

किसान उत्पादक संगठन (FPO) किसानों का एक ऐसा समूह होता है जो फसल उत्पादन के साथ-साथ कृषि से जुड़ी तमाम व्यावसायिक गतिविधियां चलाता है। ऐसे में एफपीओ से किसानों को न सिर्फ अपनी फसल बेचने की सुविधा मिलती है बल्कि कृषि उपकरण के साथ-साथ खाद, बीज, उर्वरक जैसे तमाम उत्पाद भी अच्छी गुणवत्ता और उचित मूल्य में मिलते हैं।

इस समय लघु कृषक कृषि व्यापार संघ (SFAC) और राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक (NABARD) देश में किसान उत्पादक संगठनों के गठन और उनको बढ़ावा देने के लिए कार्य कर रहे हैं। इनके जरिये अब तक देश में करीब 5,000 किसान उत्पादक संगठनों का गठन हो चुका है। 

दूसरी ओर केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने बैठक में एफपीओ को लेकर दिशा-निर्देशों की एक बुकलेट भी जारी की है। इन दिशा-निर्देशों में कहा गया है कि हर एक एफपीओ में 50 प्रतिशत छोटे, सीमान्त और भूमिहीन किसान शामिल होंगे। इसके अलावा प्रत्येक एफपीओ के उसके काम के अनुरूप 15 लाख रुपए का अनुदान भी दिया जाएगा। इसके लिए देश भर की सहकारी समितियां एफपीओ के गठन में सहयोग करेंगी ताकि ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि में निवेश को बढ़ाया जा सके।

एफपीओ को लेकर जारी दिशा-निर्देशों के अनुसार पहाड़ी क्षेत्रों और पूर्वी राज्यों में बने एफपीओ को छोड़कर हर एक एफपीओ में कम से कम 300 किसान सदस्य हों, इनमें भी महिला किसानों का अधिकतम प्रतिनिधित्व होना चाहिए। दूसरी ओर पहाड़ी क्षेत्रों और पूर्वोत्तर राज्यों में बने एफपीओ में न्यूनतम 100 सदस्य हो सकते हैं। इससे पहले बने एफपीओ में न्यूनतम सदस्यों की अनिवार्यता नहीं थी।

इसके अलावा नयी गाइडलाइन्स में एफपीओ के सीईओ और लेखाकार के पारिश्रमिक को लेकर भी सरकार आर्थिक सहायता करेगी। इसी तरह एफपीओ के लिए मुख्यधारा के बैंकों और वित्तीय संस्थानों से क्रेडिट तक पहुंच सुनिश्चित करने के लिए सरकार एक क्रेडिट गारंटी फंड (सीजीएफ) बनाएगी जो एफपीओ को क्रेडिट गारंटी कवर प्रदान करेगा। 

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