लगभग दाेगुनी हुईं आलू की कीमतें, थोक में 800 से 1000 का रेट

Arvind ShuklaArvind Shukla   12 March 2018 11:20 AM GMT

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लगभग दाेगुनी हुईं आलू की कीमतें, थोक में 800 से 1000 का रेटयूपी समेत कई राज्यों में बड़े पैमाने पर स्टोर किया जा रहा आलू

लखनऊ। मार्च का महीना आलू किसानों के लिए अच्छा जा रहा है। आलू की कीमतें फरवरी के मुकाबले लगभग दोगुनी हो चुकी हैं। 30 जनवरी के आसपास अगैती आलू लखनऊ में 400 रुपए प्रति क्विंटल बिका था जो इस वक्त 900 से 1000 रुपए प्रति क्विंटल पहुंच गया है।

9 मार्च को उत्तर प्रदेश के बाराबंकी में सफेद आलू करीब 850 रुपए प्रति क्विंटल, दिल्ली की थोक मंडी आजादपुर में 800 से 1000 तो मध्य प्रदेश के इंदौर में भी कीमतें 1000 के आसपास रहीं। कारोबारी आलू की बढ़ती कीमतों के लिए कोल्ड स्टोरेज में भंडारण को मान रहे हैं। यूपी समेत कई राज्यों में बड़े पैमाने पर स्टोर किया जा रहा है, बड़े कारोबारी भी भंडारण करवा रहे हैं, मांग बढ़ने का सीधा असर रेट पर पड़ रहा है।

इंदौर में खजराना निवासी किसान दिलीप मुकाती के पास इस बार 8 बीघा आलू था, जिसे उन्होंने कुछ दिनों पहले 1400-1600 रुपए क्विंटल बेचा था। पिछले वर्ष आलू में काफी घाटा खाने वाले मुकाती ने इस बार चिप्स बनाने में इस्तेमाल किए जाने वाला एटीएल आलू बोया था। दिलीप फोन पर गांव कनेक्शन को बताते हैं, “इस बार का रेट अच्छा है। इंदौर की थोक मंडी 1000 रुपए प्रति क्विंटल की है। जबकि 15 दिन पहले सामान्य सफेद आलू 700-750 में बिक रहा था।”

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देश में सबसे ज्यादा कोल्ड स्टोरेज यूपी में हैं। यहां पर आगरा बेल्ट के साथ कन्नौज और बाराबंकी में भी बड़े पैमाने पर भंडारण होता है। कन्नौज में करीब 117 कोल्ड स्टोरेज में भंडारण जारी है तो बाराबंकी के 29 में तेजी से किसान आलू पहुंचा रहे हैं। बाराबंकी के जिला उद्यान अधिकारी जय करण सिंह बताते हैं, जिले के कोल्ड स्टोरेज में करीब 65 फीसदी भंडारण हो चुका है। हमारे यहां की कुल क्षमता 2 लाख 4 हजार मीट्रिक टन है।’

आलू की रेट में तेजी की वजह पूछे जाने पर डीएचओ बाराबंकी कहते हैं, यूपी सरकार ने किसानों के हित में आलू का जो न्यूनतम रेट तय किया था, रेट बढ़ने में उसकी बड़ी भूमिका है। दूसरा आलू स्टोर तो हो रही रहा है।’ होली के बाद लखनऊ की नवीन गल्ला मंडी में भी आलू के दाम तेजी से उछले थे। सब्जी कारोबारी जसवंत सोनकर बताते हैं, 6-7 मार्च को चिप्सोना आलू 1400 रुपए तक पहुंच गया था अब ये 1000 के आसपास हैं।

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हालांकि दिल्ली में आजादपुर मंडी के बड़े कारोबारी राजेंद्र शर्मा इसे फौरी तेजी बताते हुए कहते हैं,
“आजकल के रेट को देखते हुए आलू को लेकर कोई भविष्यवाणी नहीं की जा सकती है। फिलहाल तो आलू भंडारण हो रहा है। दूसरा मौसम अच्छा रहा है और उत्पादन खूब हुआ है, केंद्र और राज्य सरकारें भी कह रही हैं रिकार्ड उत्पादन हुआ है ऐसे जब उत्पादन ज्यादा है तो रेट ज्यादा कैसे हो सकते हैं ? ”

वो आगे कहते हैं, “आलू के रेट का सही आकंलन अप्रैल में करना मुनासिब होगा क्योंकि तब कोल्ड स्टोरेज फुल हो चुके होंगे, उस दौरान जितना आलू किसान के पास बचेगा उस पर भी कीमतें निर्भर करेंगी।’

पिछले वर्ष आलू किसानों को जबरदस्त घाटा उठाना पड़ा था। आलू की कीमतें पैसों तक में आ गई थीं। बहुत से किसानों ने आलू खेत में जुतवा दिया था, जबकि इस सीजन में यूपी के सैकड़ों कोल्ड स्टोरेज में हजारों किसान आलू निकालने नहीं पहुंचे, क्योंकि रेट इतने कम थे कि उनकी लागत नहीं निकल पा रही थी। आगरा समेत कई जगह पर कोल्ड स्टोरेज वालों ने अपने पैसे से आलू निकालकर फेंकवा दिया था। जिसके बाद योगी सरकार को सरकारी खरीद शुरू करानी पड़ी थी। इस बार भी आलू किसान संसय में हैं।

बाराबंकी के फतेहपुर में आलू की खरीद-फरोख्त करने वाले कारोबारी जमालू अलग कहानी कहते हैं “मेरे जानकारी वाले ज्यादातर किसानों ने अपनी उपज का आधे से ज्यादा आलू बेच दिया है, आधा अच्छे रेट के इंतजार में कोल्ड स्टोरेज भेज रहे हैं। लेकिन 2019 में आम चुनाव होने हैं, इसलिए सरकार बिल्कुल नहीं चाहेगी कि आलू और प्याज जैसी कीमतों के रेट ज्यादा बढ़ें। क्योंकि इन चीजों के रेट बढ़ने पर तुरंत हंगामा शुरू हो जाता है।’

मार्च में अच्छा रेट मिलने से किसान खुश हैं फोटो- प्रतीकात्मक

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कोल्ड स्टोरेज में इस बार भाड़ा यूपी एमपी में 200-250 रुपए के बीच है। हालांकि किसानों के मुताबिक कोल्ड स्टोरेज के भाड़े के अलावा पल्लेदारी, बारदाना (बोरा आदि) और ढुलाई मिलाकर ये करीब 400 रुपए प्रति क्विंटल का खर्ज आएगा, ऐसे में अगर स्टोर करने पर 20 रुपए का रेट मिले तब तो फायदा होगा। कारोबारियों के मुताबिक कोल्ड स्टोरेज फुल होने पर कीमतें गिर सकती हैं।

बिजनेस स्टैंडर्ड में प्रकाशित ख़बर के मुताबिक सरकारी अनुमान के मुताबिक वर्ष 2017-18 में करीब 493 लाख टन आलू पैदा होने का अनुमान है, जो वर्ष 2016-17 के 486 लाख टन उत्पादन से करीब 2 फीसदी अधिक है।

   

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