लखनऊ (उत्तर प्रदेश)। लगातार बारिश और बदलते मौसम ने किसानों की परेशानी बढ़ा दी है, ये बारिश कई फसलों के लिए फायदेमंद है तो कई फसलों के लिए नुकसानदायक भी है। कृषि विशेषज्ञों से जानिए किस फसल को नुकसान होगा और किसको फायदा।
उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार, राजस्थान, हरियाणा जैसे कई राज्यों में बारिश हुई है और मौसम विभाग के अनुसार अभी 18 जनवरी के बाद मौसम साफ होगा। मौसम विभाग उत्तर प्रदेश के निदेशक जेपी गुप्ता बताते हैं, “अभी एक-दो दिनों तक ऐसा ही मौसम रहेगा, 18 जनवरी के बाद मौसम कुछ सही होगा। उत्तर प्रदेश के ज्यादातर जिलों में बारिश हुई है, कहीं पर ज्यादा बारिश हुई है कहीं पर ज्यादा है। पश्चिमी विक्षोभ की वजह से ऐसा मौसम बना हुआ है।” हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कई जिलों में बारिश के साथ ओले भी गिरे हैं।
इस समय ज्यादातर किसानों की फसल में बालियां आने लगी हैं, अभी कुछ ही किसानों के खेत में फूल हैं। बारिश का सरसों पर क्या असर होगा, इस बारे में सरसों अनुसंधान निदेशालय, भरतपुर, राजस्थान के निदेशक डॉ. प्रमोद कुमार राय बताते हैं, “बारिश के साथ जहां पर हवा चल रही है, वहां पर नुकसान होने की संभावना बढ़ जाती है। क्योंकि सरसों में बालियां लगने के बाद जब उसमें दाने भरते हैं तो पौधे गिर जाते हैं, जिससे नुकसान हो सकता है। साथ ही इस समय लगातार नमी रहने से सरसों में स्टेम रॉट (तना गलन) की बीमारी भी हो सकती है, फंगस से होने वाली ये बीमारी काफी नुकसान करती है। इसमें पौधों के तने गलने लगते हैं, जिससे पौधे सूख जाते हैं।”
स्टेम रॉट (तना गलन) से बचाव के बारे में वो कहते हैं, “इससे बचाव के लिए किसान .2 % कॉर्बेंडाजिम का स्प्रे करें, इससे सरसों को तना गलन से बचाया जा सकता है।
केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय की ओर से जारी ताजा आंकड़ों के अनुसार देशभर में गेहूं की बुवाई 297.02 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है। वहीं अगर सभी रबी फसलों की बात करें तो कुल रकबा 571.84 लाख हेक्टेयर हो चुका है। इस साल अभी तक तिलहनी फसलों की बुवाई 74.12 लाख हेक्टेयर में ही हुई है।
इस समय बारिश से सबसे से फायदा गेहूं की फसल को होगा। गेहूं और जौ अनुसंधान संस्थान, करनाल, हरियाणा के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. बीएस त्यागी कहते हैं, “इस समय बारिश गेहूं के किसानों के लिए फायदेमंद ही है, बस खेत में पानी नहीं भरना चाहिए, क्योंकि पानी भरने से पत्तियां पीली पड़ जाती हैं। लेकिन अभी कहीं पर ज्यादा बारिश नहीं पड़ी है, तो जितनी बारिश हुई है उससे सिंचाई ही बच जाएगी।”
बेमौसमी बारिश से इस समय आलू की फसल में लेट ब्लाईट बीमारी आ जाने की संभावना बढ़ गई है। फंगस से होने वाली इस बीमारी में पत्तियों धब्बे पड़ जाते हैं। संक्रमित पत्तियों की निचली सतह पर देखे जा सकते हैं, जो हल्के से गहरे भूरे रंग के घावों के तने को घेरे रहते हैं। प्रभावित तने और पत्तियां ऐसे स्थानो पर कमजोर हो जाते हैं और गिर सकते हैं।
केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्थान, मोदीपुरम, मेरठ (यूपी) के निदेशक डॉ मनोज कुमार बताते हैं, “अगर किसानों ने फसल को ठीक से नहीं बचाया है तो आने वाले समय में झुलसा रोग की संभावना बढ़ जाती है, पछेती रोग से बचाव को लिए उन सभी को सलाह है कि मैंकोजेब युक्त फफूंदनाशक 0.2 प्रतिशत की दर से यानि दो किग्रा. दवा 1000 लीटर पानी में एक हेक्टेयर के हिसाब छिड़काव करें।। जहां पर जलभराव की समस्या है। साथ ही जो लेट ब्लाईट बीमारी लग सकती है, इससे बचाव के लिए इनमें एजोक्सीस्ट्रोबिन 23 प्रतिशत एससी दवा के 500 एमएल को 500 लीटर पानी में घोलकर प्रति 2.5 एकड में स्प्रे करें।
कई किसान अभी से जायद की कद्दू वर्गीय सब्जियों की नर्सरी की तैयारी कर लेते हैं। उनमें इस बारिश से नुकसान हो सकता है। साथ ही टमाटर और मिर्च, मटर जैसी फसलों में जलभराव की समस्या से कई बीमारियां हो सकती हैं।
बारिश से सब्जियों को नुकसान से बचाने के लिए भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान, वाराणसी के प्रमुख वैज्ञानिक डॉ पीएम सिंह बताते हैं, “सब्जियों की फसल के लिए ज्यादा और कम पानी दोनों नुकसानदायक होता है। सबसे ज्यादा अभी बुरा असर मटर पर पड़ेगा। जिन्होंने नर्सरी लगा रखी है, उसे ढककर रखें, ताकि गलन रोग न हो।”
सर्दी के साथ हो रही बारिश फसल के लिए वरदान साबित होगी, लेकिन ऐसे ही कुछ दिन और बारिश हुई तो चना, मसूर व मटर की फसल को नुकसान होने की संभावना हो सकती है। अब तक किसान बारिश से अधिक चितित नहीं है लेकिन उनको चिता यह सता रही है कि आगे मौसम न खुला तो चना, मसूर व मटर की फसल की बढ़वार हो जाएगी और फूल फली कम लगेंगे। कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार किसी भी फसल पर अब तक हुई बारिश का विपरीत प्रभाव नहीं पड़ेगा। बस आगे बारिश न हो।