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कृषि सलाह: रबी फसलों की कटाई के साथ ही किसान इस समय कर सकते हैं इन फसलों की बुवाई

रबी फसलों की कटाई चल रही है, किसानों को जितना खेत में तैयार फसल का ध्यान रखना होता है, उतना ही ध्यान फसल की कटाई के बाद भी भंडारण करते समय रखना चाहिए।
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अप्रैल महीने में रबी की ज्यादातर फसलें कटने को तैयार हो जाती हैं, किसान जिसकी कटाई-मड़ाई की तैयारी में जुटे हैं, साथ ही इस समय किसान जायद की फसलों की बुवाई भी कर चुके हैं। इसलिए किसान इस समय कुछ बातों का ध्यान रख सकते हैं।

आईसीएआर-भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान ने किसानों के लिए मौसम आधारित संबंधित कृषि सलाह जारी की है।

आने वाले दिनों में लू (गर्म हवा) और तापमान बढ़ने की संभावना को ध्यान में रखते हुए सब्जियों, सब्जियों की नर्सरी, जायद फसलों और फलों के बगीचों में हल्की सिंचाई नियमित अंतराल पर करें। नर्सरी व वृक्षों को लू से बचाने के लिए अवरोधकों के उपयोग की सलाह दी जाती है।

अनाज को भंडारण में रखने से पहले भंडार घर की अच्छी तरह सफाई करें और अनाज को अच्छी तरह से सुखा लें, साथ ही कूड़े-कचरे को जला या दबा कर नष्ट कर दें। भंडार घर की छ्त, दीवारों और फर्श पर एक भाग मेलाथियान 50 ई.सी.को 100 भाग पानी में मिला कर छिड़काव करें। यदि पुरानी बोरियां प्रयोग करनी पड़े तो उन्हें एक भाग मेलाथियान व 100 भाग पानी के घोल में 10 मिनट तक भिगोकर छाया में सुखा लें।

इस मौसम में तैयार गेहूं की फसल की कटाई की सलाह है। किसान कटी हुई फसलों को बांधकर रखे, नहीं तो तेज हवा या आंधी से फसल एक खेत से दूसरे खेत में जा सकती है। गहाई के उपरांत भंडारण से पूर्व दानों को अच्छी तरह से सुखा दें।

मूंग की फसल की बुवाई के लिए किसान भाई उन्नत बीजों की बुवाई करें। मूंग – पूसा विशाल, पूसा रत्ना, पूसा- 5931, पूसा बैसाखी, पी.डी एम-11, एस एम एल- 32, एस एम एल- 668, सम्राट; बुवाई से पूर्व बीजों को फसल विशेष राईजोबीयम और फास्फोरस सोलूबलाईजिंग बेक्टीरिया से अवश्य उपचार करें। बुवाई के समय खेत में पर्याप्त नमी का होना आवश्यक है।

फ्रेंच बीन (पूसा पार्वती, कोंटेनडर), सब्जी लोबिया (पूसा कोमल,पूसा सुकोमल), चौलाई (पूसा किरण, पूसा लाल चौलाई), भिंण्डी (ए-4, परबनी क्रांति, अर्का अनामिका आदि), लौकी (पूसा नवीन, पूसा संदेश), खीरा (पूसा उदय), तुरई (पूसा स्नेह) आदि और गर्मी के मौसम वाली मूली (पूसा चेतकी) की सीधी बुवाई हेतु वर्तमान तापमान अनुकूल है क्योंकि, बीजों के अंकुरण के लिए यह तापमान उपयुक्त हैं। उन्नत किस्म के बीजों को किसी प्रमाणित स्रोत से लेकर बुवाई करें। बुवाई के समय खेत में पर्याप्त नमी का होना आवश्यक है।

भिंडी की फसल में माईट कीट की निरंतर निगरानी करते रहें। अधिक कीट पाये जाने पर इथेयाँन @ 1.5-2 मि.ली./लीटर पानी की दर से छिड़काव करें।

इस मौसम में समय से बोयी गई प्याज की फसल में थ्रिप्स के आक्रमण की निरंतर निगरानी करते रहें।

बैंगन और टमाटर की फसल को प्ररोह एवं फल छेदक कीट से बचाव हेतु ग्रसित फलों और प्रोरहों को इकट्ठा कर नष्ट कर दें। यदि कीट की संख्या अधिक हो तो स्पिनोसेड़ कीटनाशी 48 ई.सी. @ 1 मि.ली./4 लीटर पानी की दर से छिड़काव करें।

रबी फसल यदि कट चुकी है तो उसमें हरी खाद के लिए खेत में पलेवा करें। हरी खाद के लिए ढ़ेचा, सनई अथवा लोबिया की बुवाई की जा सकती है। परंतु बुवाई के समय खेत में पर्याप्त नमी का होना आवश्यक है।

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