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उत्तर भारत में लाल केले की दस्तक, बाराबंकी के किसान ने की खेती की शुरुआत

BARABANKI

लाल रंग का केला ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका, वेस्टइंडीज, मेक्सिको जैसे देश के साथ ही भारत में सिर्फ तमिलनाडु राज्य के कुछ हिस्सों में पैदा किया जाता है।

बाराबंकी जिले के दौलतपुर गाँव में आजकल किसान राम शरण वर्मा के खेतों में किसानों का जमावड़ा लगा हुआ है। आसपास के गाँवों से लेकर दूसरे जिलों से किसान उनके खेत पर केले की खेती देखने पहुंच रहे हैं। यह केला आम नहीं बल्कि बहुत खास है क्योंकि अभी तक आपने हरे और पीले रंग के केले के बारे में सुना होगा और इसका स्वाद भी लिया है लेकिन लाल रंग के केले के बारे में आप कम ही जानते होंगे।

लाल रंग का केला ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका, वेस्टइंडीज, मेक्सिको जैसे देश के साथ ही भारत में सिर्फ तमिलनाडु राज्य के कुछ हिस्सों में पैदा किया जाता है।

उत्तर भारत में लाल केले की खेती की पहली शुरुआत बाराबंकी जिले से हो रही है। यहां के किसान राम शरण वर्मा ने प्रयोग के तौर पर पिछले साल पुणे की एक नर्सरी से 400 केले के पौधों को लाकर अपने खेत में लगाए थे। 16 महीने बाद जब केले की फसल तैयार हुई तो उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा।

देखने में यह केले आम केलों के मुकाबले बड़े और वजन में भी अधिक थे। इससे उत्साहित होकर इस साल उन्होंने बड़े पैमाने पर लाल केले को अपने खेतों में लगाया है। राम शरण वर्मा का कहना है कि दिल्ली में एक केला प्रदर्शनी के दौरान उन्होंने लाल केला देखा और उसके उत्पादक किसानों से मिलकर उन्होंने इसके बारे में जानकारी ली। उसके बाद लाल केले की खेती करने का फैसला किया।

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ज़्यादा कमाई

रोजाना एक लाल केला खाने से शरीर के लिए आवश्यक फाइबर की आपूर्ति हो जाती है और डायबिटीज होने का खतरा भी कम हो जाता है।

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कैंसर और दिल की बीमारियों के लिए वरदान है लाल रंग का केला

इंडियन डाइटिक एसोसिएशन की सीनियर डायटीशियन विजश्री प्रसाद का कहना है कि लाल केले में पोटेशियम, आयरन और विटामिन ज्यादा पाई जाती है। इसका छिलका लाल और फल हल्का पीला होता है। इस केले में जहां शुगर की मात्रा कम पाई जाती है वहीं हरे और पीले केले के मुकाबले इसमें बीटा कैरोटीन अधिक पाया जाता है। बीटा-कैरोटीन धमनियों में खून का थक्का जमने नहीं देता है जिसके कारण लाल केला कैंसर और दिल से जुड़ी बीमारियों को दूर रखने में मददगार होता है। इसमें भरपूर मात्रा में फाइबर पाया जाता है। रोजाना एक लाल केला खाने से शरीर के लिए आवश्यक फाइबर की आपूर्ति हो जाती है। साथ ही इसके खाने से डायबिटीज होने का खतरा भी कम हो जाता है।

इस केले में जहां शुगर की मात्रा कम पाई जाती है वहीं हरे और पीले केले के मुकाबले इसमें बीटा कैरोटीन अधिक पाया जाता है। बीटा-कैरोटीन धमनियों में खून का थक्का जमने नहीं देता है जिसके कारण लाल केला कैंसर और दिल से जुड़ी बीमारियों को दूर रखने में मददगार होता है।

हाजीपुर और भागलपुर के किसानों ने भी दिखाया उत्साह

बिहार के हाजीपुर और भागलपुर जिले में भी बड़ी मात्रा में केले की खेती की जाती है। वहां के किसानों ने भी लाल केला उत्पादन के लिए दौलतपुर के किसान राम शरण वर्मा से संपर्क किया है। भागलपुर जिले के पकरा गाँव के उमेश कुमार अपने गाँव के बड़े केला उत्पादक किसान हैं। उनके यहां कई दशक से केले की खेती हो रही है।

उन्होंने बताया कि लाल केले की खेती की बारे में उन लोगों से सुन रखा था लेकिन कभी उसको उगाया नहीं। अब जब यूपी के बाराबंकी में इसकी सफल खेती हो रही है तो वह लोग भी इसको उगाने की सोच रहे हैं क्योंकि बाराबंकी की जलवायु भागलपुर से मिलती जुलती है। भागलपुर जिले में पैदा होने वाला केला बड़ी मात्रा में यूपी खासकर लखनऊ की मंडियों जाता है। लाल केले की खेती अगर सफल रही तो यह उन लोगों के लिए अच्छा होगा क्योंकि इसकी डिमांड आम केलों से अधिक होगी।

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