रोबो तकनीक और भ्रूण स्थानान्तरण से बढ़ाएंगे दुग्ध उत्पादन

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रोबो तकनीक और भ्रूण स्थानान्तरण से बढ़ाएंगे दुग्ध उत्पादनप्रतीकात्मक फोटो

सुधा पालः स्वयं डेस्क

लखनऊ। रोबो तकनीक के जरिये दुग्ध उत्पादन बढ़ाया जा सकता है। यही नहीं अगर उन्नत किस्म के भ्रूणों का गर्भाधान कराने की ऐम्ब्रियो ट्रांसफर तकनीक का इस्तेमाल हो, तब भी दुग्ध उत्पादन काफी प्रचुर हो सकता है।

तकनीक और उपकरणों से दूध उत्पादन में वृद्धि संभव

यूएस डिपार्टमेंट ऑफ एग्रीकल्चर द्वारा डेयरी जेनेटिक्स एण्ड फीड मैनेजमेंट का आयोजन किया गया। यह आयोजन 2 अक्तूबर से 16 अक्तूबर तक चला, जहां आमंत्रित लोगों को इस बात का प्रशिक्षण दिया गया कि किस तरह से नई तकनीक और उपकरणों के उपयोग से दूध उत्पादन बढ़ सकता है। इसके साथ ही पशुओं की देखभाल और नस्ल सुधार के तरीकों का भी विस्तार दिया गया। आयोजन में भारत के 4 राज्य उत्तर प्रदेश, असोम, गुजरात और तमिलनाडु शामिल थे। इसमें पशुपालन विभाग, उप्र के उप निदेशक डॉ वीके सिंह भी इस आयोजन में शामिल रहे।

रोबोट द्वारा निकाला जाता है दूध, यहां भी देंगे बढ़ावा

अमेरिका में पशुओं से दूध निकालने के लिए रोबोट का इस्तेमाल किया जाता है। रोबो मिल्किंग पार्लर द्वारा सेंसर लगाकर ब्रेस्टिंग की जाती है। इसमें थनों से निकलकर दूध सीधे मशीन में पहुंचाया जाता है। दुहन खत्म होने के बाद पशु अपने आप यथास्थान आ जाते हैं। रोबो मैसेंजर के द्वारा इस बात की जानकारी दी जाती है कि कौन सा पशु दूध दे रहा है और कौन सा नहीं। इसके साथ ही रोबो पशुओं के फैले चारे को समेटकर इकट्ठा करता है।

दूध उत्पादन में की जा सकती है बढ़ोत्तरी

डॉ वीके सिंह ने स्कॉलरशिप द्वारा इस आयोजन में प्रशिक्षण प्राप्त किया। वीके सिंह ने मास्टर्स ऑफ वैटेरिनरी साइंस से पीएचडी की है। 15 दिवसीय इस प्रशिक्षण के दौरान बताया गया कि पशुओं की सही देखभाल और उन्हें संतुलित आहार उपलब्ध कराकर दूध उत्पादन में बढ़ोतरी की जा सकती है। भारत विश्व का सबसे बड़ा दूध उत्पादक है।

इस तकनीक से पशु में अच्छी नस्ल का ऐम्ब्रियो डालकर अच्छी नस्ल के बछड़े होंगे। अगर खराब नस्ल में भी अच्छी नस्ल का ऐम्ब्रियो डाला जाएगा, तब भी आने वाले बछड़े की नस्ल अच्छी ही होगी। पशुओं को रोग से बचाने के लिए भारत में भी उचित टीकाकरण की आवश्यकता है। कामधेनु योजना को बढ़ावा दिये जाने की ज़रूरत है, जिससे भारत में भी इन तकनीकों तथा उपकरणों से दूध उत्पादन को बढ़ा सकें।
डॉ वीके सिंह, उप निदेशक, पशुपालन विभाग, उप्र।

इस तरह पशुओं में बढ़ सकती है दूध देने की क्षमता

यहां 142 लाख मीट्रिक टन दूध का उत्पादन होता है। नई तकनीक और उपकरण दूध उत्पादन में काफी सहायक साबित हो रहे हैं। प्रशिक्षण में बताया गया कि अमेरिका में बड़े-बड़े डेरी फार्म हैं, जहां लगभग 3000 पशु रखे जाते हैं। वहां के पशुओं से लगभग 50 लीटर दूध प्रतिदिन प्राप्त किया जाता है। जबकि भारत के दुधारू पशु 4-5 लीटर दूध ही दे पाते हैं। जिसका कारण यह है कि भारत में पशुओं को साल भर एक तरह का आहार नहीं दिया जाता है। केवल भूसा और मक्का ही दिया जाता है। वीके सिंह का कहना है कि अगर भारतीय पशुओं को भी मक्का तथा मक्के से बने राशन के साथ सोयोबीन और अल्फागो खिलाया जो तो उनकी दूध देने की क्षमता को बढ़ाया जा सकता है।

फनैला रोग से बचाने की जरूरत

प्रशिक्षण में ब्रीडिंग कार्यक्रम भी रखा गया जिसके दौरान अंतर्राष्ट्रीय डेरी एक्सपो का भी विवरण प्रशिक्षकों को दिया गया। डॉ वीके सिंह ने बताया कि मैडिसन के विस्कॉन्सिन विश्वविद्यालय और मिस्सूरी विश्वविद्यालय में विश्व में पशुओं की सबसे अच्छी नस्ल पाई जाती है। इनमें होल्सटीन और जर्सी शामिल हैं। उन्होंने बताया कि फनैला रोग से पशुओं को बचाए रखने की जरूरत है।

This article has been made possible because of financial support from Independent and Public-Spirited Media Foundation (www.ipsmf.org).

    

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