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कम समय में तैयार होगी मूंग की पीला मोजेक प्रतिरोधी रोग नई किस्म

वैज्ञानिकों ने मूंग की नई किस्म विकसित की है जोकि पीला मोजेक रोग प्रतिरोधी है, साथ ही दूसरी किस्मों की तुलना में कम समय में तैयार भी हो जाती है।
mung bean

मूंग की खेती करने वाले किसानों को सबसे ज्यादा नुकसान पीला मोजेक और सफेद मक्खी से होता है, इनकी वजह से उत्पादन पर काफी असर पड़ता है। लेकिन अब वैज्ञानिकों ने मूंग की नई किस्म विकसित की है, जो पीला मोजेक रोग प्रतिरोधी है, साथ ही सफेद मक्खी भी इसे नुकसान नहीं पहुंचाती हैं।

चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय ने मूंग की नई किस्म केएम 2342 (आजाद मूंग-1) विकसित की है। इसकी खेती जायद और खरीफ दोनों मौसम में की जा सकती है। इसपर कीट और रोग लगने का खतरा नहीं होगा।

मूंग की नई किस्म को विकसित करने वाले वैज्ञानिक डॉ मनोज कटियार बताते हैं, “ज्यादातर किसान जायद और खरीफ में मूंग की खेती करने हैं, जायद में तो फसल कम समय में तैयार हो जाती है, लेकिन खरीफ की फसल में 75 दिन का समय लग जाता है। लेकिन आजाद मूंग-1 जायद और खरीफ दोनों समय में कम समय, लगभग 60 दिनों में तैयार हो जाती है। इससे किसानों को दूसरी फसल बुवाई का सही समय मिल जाता है।”

मूंग की खेती में सबसे ज्यादा नुकसान पीला मोजेक बीमारी की वजह से होता है, ये बीमारी विषाणु की वजह से होता है। इसकी शुरूआत एक पौधे से होती है और धीरे-धीरे पूरे खेत को बर्बाद कर देता है। पीला मोजेक रोग सफेद मक्खी द्वारा फैलती है, मक्खी एक रोगग्रस्त पौधे की पत्ती पर बैठती है और मक्खी जब दूसरे पौधे पर बैठती है तो पूरे खेत में संक्रमण फैल जाता है। डॉ मनोज कटियार आगे बताते हैं, “नई किस्म पीला मोजेक रोग प्रतिरोधी किस्म है, इससे किसानों को नुकसान नहीं होगा और अच्छा उत्पादन भी मिलेगा और सफेद मक्खी भी फसल बर्बाद नहीं कर पाएंगी।”

देश में राजस्थान, मध्य प्रदेश महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, उड़ीसा, तमिलनाडू और उत्तर प्रदेश में मूंग और उड़द की लगभग 65 लाख हेक्टेयर में खेती होती है।

कृषि विश्वविद्यालय के शोध विभाग के निदेशक डॉ. हर ज्ञान प्रकाश बताते हैं, “इस किस्म से दूसरी किस्मों के मुकाबले उत्पादन भी ज्यादा मिलेगा। केएम 2342 की बुवाई से प्रति हेक्टेयर क्षेत्र में लगभग 12 कुंतल मूंग का उत्पादन होगा। इसका रंग चमकदार हरा है। किसी भी मौसम में उगने की वजह से किसानों को फायदा मिलेगा। प्रोटीन, विटामिन और दूसरे तत्व भी इसमें काफी ज्यादा हैं।”

अभी तक इस नई किस्म का ट्रायल उत्तर प्रदेश के कई जिलों में किया जा चुका है, जिसके बेहतर परिणाम भी मिले हैं। डॉ मनोज कटियार बताते हैं, “अभी मूंग की नई किस्म का उत्तर प्रदेश में फील्ड ट्रायल हो गया है, अच्छा उत्पादन भी मिला है। इसको आईसीएआर से भी मंजूरी मिल गई, जल्द ही दूसरे प्रदेशों के लिए ट्रायल शुरू हो जाएगा। उम्मीद है कि दूसरे प्रदेशों में भी बेहतर परिणाम मिलेगा।”

किसानों को मूंग की नई किस्म बीज जायद 2021 से मिलने लगेंगे, किसान चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, कानपुर से फरवरी 2021 से बीज खरीद सकते हैं।

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