बासमती निर्यात प्रतिष्ठान के वैज्ञानिकों ने पाया धान में फुदका का प्रकोप
गाँव कनेक्शन 18 Sep 2017 3:11 PM GMT
साक्षी,स्वयं कम्यूनिटी जर्नलिस्ट
मेरठ। पश्चिमी यूपी में धान की फसल पर भूरा फुदका कीट का प्रभाव दिख रहा है। यह कीट तेजी से हमला करता है, और पौधों को नष्ट कर देता है। मेरठ समेत अन्य जिलों में भी धान की फसल पर इनका हमला बढ़ गया है। इसकी रोकथाम के लिए बासमती निर्यात प्रतिष्ठान के वैज्ञानिकों ने फसल बचाव के लिए देसी तकनीक लाइट ट्रैप अपनाने का तरीका किसानों को बताया।
धान की फसल धीरे-धीरे तैयार होने लगी है, पकने से पहले ही भूरा फुदका कीट का हमला बढ़ गया है, जो फसलों को नुकसान पहुंचा रहा है। बासमती निर्यात प्रतिष्ठान के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. रितेश शर्मा और संदीप तोमर ने मेरठ, बागपत, बिजनौर, शामली, मुज्जफरनगर, सहारनपुर, गाजियाबाद, मुरादाबाद, संभल, रामपुर, बरेली सहित पश्चिमी यूपी के कई जिलों का दौरा किया। साथ ही किसानों से बातचीत भी की, जिसमें उन्हें पता चला कि इस वक्त धान पर भूरा फुदका कीट का भयंकर प्रकोप है। इस कीट के हमले से फसल को तेजी से नुकसान पहुंचता है, और फसल धीरे-धीरे खराब हो जाती है। जिसका उत्पादन पर बहुत ज्यादा असर पड़ता है।
ये भी पढ़े- अविशान से मिलेगा यूपी में भेड़ पालन को बढ़ावा
क्या है भूरा फुदका कीट
काफी खतरनाक यह कीट तने के उपरी हिस्सों में सैंकड़ों की संख्या में लगता है। साथ ही रस चूसना शुरू कर देता है। इससे तना कमजोर हो जाता है और फसल जमीन पर गिर जाती है। गिरने के बाद सूखने लगती है, जिससे 20 से 40 फीसदी तक उत्पादन कम हो सकता है।
इस बार धान की फसल बारिश कम होने के चलते भी काफी हद तक अच्छी है। अगर फुदका कीट की रोकथाम नहीं की तो फसल को भारी नुकसान होगा, इसके लिए किसान लाइट ट्रैप का प्रयोग करें, किसान चाहे तो जानकारी के लिए वैज्ञानिकों से भी संपर्क कर सकते है।डॉ. रितेश शर्मा, प्रधान वैज्ञानिक बीईडीएफ मोदीपुरम
कैसे बचाए धान की फसल
लाइट ट्रैप बाजार में 400 रुपए किलो से 1000 रुपए तक बिकता है। किसानों पर इसका भार न पड़े इसके लिए बासमती निर्यात संस्थान के वैज्ञानिकों ने देसी विधि बल्ब से लाइट ट्रैप को तैयार किया है। इसके लिए खेत में 200 वॉट का बल्ब जलाकर छोड़ दें, बल्ब के नीचे बर्तन में पानी भरकर उसमें मिट्टी का तेल या पेट्रोल डाल दें। लाइट के कारण हजारों कीट लाखों की संख्या में आकर्षित होते हैं। जिस कारण बल्ब से टकराकर नीचे बर्तन में गिरकर मर जाते हैं। यह विधि किसानों के लिए काफी लाभकारी है। इसके प्रयोग से वह इस समय धान की फसल को काफी हद तक बचा सकते हैं।
ये भी पढ़े- ये जैविक उत्पाद बचाएंगे कीटों से गन्ने की फसल
गर्दन तोड़ का भी असर
वर्तमान मौसम को देखते हुए कुछ स्थानों पर गर्दन तोड़ बीमारी का असर दिख रहा है। इसका असर तब ही फसल को जकड़ लेता है, तब बालियां निकलनी शुरू होती है। डॉ. रितेश बताते हैं कि इसके लिए ट्राइक्सलाजोन 120 ग्राम प्रति एकड़ में छिडकाव करें, जिससे काफी हद तक गर्दन तोड़ का असर कम हो जाता है।
प्रकाश प्रपंच का प्रयोग लाभकारी
इसके लिए विभाग ने देसी वैज्ञानिक विधि से लाइट ट्रैप यानि प्रकाश प्रपंच का प्रयोग लाभकारी बताया है। इसके लिए किसानों को जगह-जगह गोष्ठियों के माध्यम से जानकारी भी दी जा रही हैं। डॉ. संदीप बताते हैं, “कीट से कृषि विभाग को भी सचेत किया गया है, ताकि वह भी धान किसानों की मदद के लिए जागरूकता अभियान चलाए।”
ये भी पढ़े- गैर परंपरागत क्षेत्रों में भी दस्तक दे रही काजू की खेती
ताजा अपडेट के लिए हमारे फेसबुक पेज को लाइक करने के लिए यहां, ट्विटर हैंडल को फॉलो करने के लिए यहां क्लिक करें।
More Stories