कृषि विज्ञान केंद्र के प्रयास से बढ़ रहा मूंगफली की खेती का रकबा

रबी व खरीफ के बीच में किसान जायद में मूंगफली की खेती करने लगे हैं, जिससे उन्हें फायदा भी हो रहा है।

Divendra SinghDivendra Singh   25 Jun 2018 6:47 AM GMT

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कृषि विज्ञान केंद्र के प्रयास से बढ़ रहा मूंगफली की खेती का रकबा

एक समय ऐसा था जिले के ज्यादातर किसान मूंगफली की खेती किया करते थे, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में यहां पर मूंगफली की खेती खत्म हो गई। लेकिन कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों की सहायता से यहां पर फिर मूंगफली का रकबा धीरे-धीरे बढ़ रहा है।

कृषि विज्ञान केंद्र, कटिया के साथ ही मूंगफली अनुसंधान निदेशालय, जूनागढ़ गुजरात के वैज्ञानिक भी समय-समय पर किसानों को नई जानकारियां देते रहते हैं। निदेशालय के निदेशक डॉ. टी. राधाकृष्णन व प्रधान वैज्ञानिक फसल सुरक्षा डॉ. राम दत्ता ने सीतापुर में मूंगफली उत्पादन कर रहे किसानों के खेतों का भ्रमण कर किसानों से उनके अनुभव और सुझाव साझा किए।


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कृषि विज्ञान केन्द्र, सीतापुर के वैज्ञानिक डॉ. दया शंकर श्रीवास्तव बताते हैं, "बुवाई करते समय बीज शोधन जरूर कर लेना चाहिए। मूंगफली के साथ दूसरी फसले भी लगा सकते हैं, इससे जमीन की मात्रा संतुलित रहती है।"

मूंगफली खरीफ और जायद दोनों मौसम की फसल है, मूंगफली की फसल हवा और बारिश से मिट्टी कटने से बचाती है। खरीफ की आपेक्षा जायद में कीट और बीमारियों का प्रकोप कम होता है। प्रदेश में यह झांसी, हरदोई, सीतापुर, खीरी, उन्नाव, बरेली, बदायूं, एटा, मैनपुरी, फर्रुखाबाद, मुरादाबाद, और सहारनपुर के अधिक क्षेत्रफल में उगाई जाती हैI

किसानों ने गन्ना सह मूंगफली तकनीक के लिए वैज्ञानिकों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि यह तकनीक किसानों के लिए वरदान है और बड़े पैमाने पर किसान इसे अधिक से अधिक अपना रहे हैं हम सभी वैज्ञानिकों के आभारी हैं।

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इस क्रम में कृषि विज्ञान केन्द्र ने मूंगफली अनुसन्धान निदेशालय के सहयोग से मूंगफली कि खेती को जायद और खरीफ दोनों सीजन में कराने कि परियोजना पर काम शुरू कर दिया है। इस परियोजना के तहत फसल कटने के बाद कृषि विज्ञान केन्द्र उनकी सारी पैदावार को खरीद भी लेगा उन्हें और कहीं नहीं बेचना है।

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