खेतों में पैदावार बढ़ाने के लिए किसान कई उपाय करते हैं। अच्छी गुणवत्ता के बीज, अच्छी सींचाई, खाद का इस्तेमाल करते हैं, लेकिन एक बहुत ज़रूरी चीज़ ज़्यादातर किसान नज़रअंदाज़ कर देते हैं…मिट्टी की जांच। मिट्टी की जांच सिर्फ खेतों की उर्वरा क्षमता जानने के लिए ही ज़रूरी नहीं, बल्कि ये जानने के लिए भी ज़रूरी है कि ज़मीन में किन पोषक तत्वों की कमी है। ताकि वही खाद खेतों में डाली जा सके, जिसकी वाकई मिट्टी को ज़रूरत है। मिट्टी की जांच हर कृषि विकास केंद्र में मुफ्त में हो जाती है, लेकिन इसके लिए पहले ये जानना ज़रूरी है कि मिट्टी की जांच के लिए नमूना कैसे लिए जाए
देश के सभी किसान विकास केंद्रों में मिट्टी की जांच मुफ़्त में की जाती है। इसके लिए मिट्टी के नमूने के साथ अपनी और अपने खेत से जुड़ी जानकारी के साथ किसान विकास केंद्र भेजें। जांच के नतीजे आने के बाद ही अगली फसल की बुआई करें।
मिट्टी का नमूना कैसे इकट्ठा करें?
- मिट्टी का नमूना इकट्ठा करने के लिए एक एकड़ ज़मीन पर 8 से 10 जगह V के आकार के गड्ढे बनाएं। इन गड्ढ़ों की गहराई करीब 6 इंच होनी चाहिए।
- फिर गड्ढे के किनारे से करीब एक सेमी मिट्टी की परत निकालकर एक साफ पॉलीथीन में इकट्ठा कर लें
- सभी 8-10 जगहों से नमूना इकट्ठा करके एक पॉलीथीन शीट या साफ कपड़े के ऊपर रखकर मिला कर संयुक्त नमूना बनाएं
- इस नमूने में से कंकड़-पत्थर और घास वगैरह निकालें
- संयुक्त नमूने में से करीब 500 ग्राम मिट्टी लेकर एक साफ पॉलीथीन में भरें और जांच के लिए भेजें।
- मिट्टी के नमूने के साथ किसान को अपना नाम, पिता का नाम, मोबाइल नंबर, खसरा नंबर, नमूना लेने की तारीख, नमूना लेने से पहले बोई गई फसल और जो फसल आप बोना चाहते हैं उसकी जानकारी लिखकर प्रयोगशाला को भेजनी चाहिए। प्रयोगशाला से कुछ दिनों बाद मृदा कार्ड आता है, जिस पर खेत के की मिट्टी की पूरी रिपोर्ट होती है।”
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- मिट्टी की जांच लिए कब लें नमूना?
- गर्मियों में रबी की फसल की कटाई और खरीफ़ की फसल बोने के बीच में कभी भी नमूना लिया जा सकता है
- जहां पूरे साल फसल बोई जाती है, वहां कटाई के तुरंत बाद मिट्टी का नमूना लेना चाहिए
- मिट्टी का नमूना लेते समय इन बातों का रखें खयाल
- मिट्टी की जांच कराना जितना ज़रूरी है, उतना ही ज़रूरी ये भी हो कि नमूना सही तरह से लिया जाए, इसलिए मिट्टी का नमूना इकट्ठा करते हुए इन बातों का खयाल रखना ज़रूरी है-
- खाद या ऊर्वरक डाली जगह से नमूना नहीं लेना चाहिए
- पेड़ के नीचे, सींचाई वाली नाली या मेड़ के बिल्कुल पास से भी मिट्टी का नमूना नहीं लेना चाहिए
- खड़ी फसल से नमूना लेना हो तो पंक्तियों के बीच से ही नमूना लेना चाहिए
- अगर फसल के लिए मिट्टी की जांच करवानी हो तो छह इंच गहराई से नमूना लेना चाहिए, लेकिन अगर मिट्टी की जांच बागवानी के लिए करवानी हो तो 60 सेंटीमीटर गहराई से मिट्टी का नमूना लेना चाहिए
- फसल की बुवाई 15 से 20 दिन पहले मिट्टी का नमून प्रयोगशाल को भेज देना चाहिए, ताकि मिट्टी जांच के नतीजे आने के बाद फसल की बुआई के लिए वक्त रहे।