लखनऊ। सोयाबीन और उससे बनने वाले खाद्य एवं पेय पदार्थों की मांग देश-दुनिया में तेजी से बढ़ रही है लेकिन उत्तर प्रदेश में सोयाबीन की खेती स्थिर है। किसानों को समय से बीज नहीं मिलने और इसकी फसल में बीमारी की आशंका से सोयाबीन की खेती अच्छे से नहीं कर पाते हैं। ऐसे में उत्तर भारत को ध्यान में रखते हुए गोविंद बल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने सोयाबीन की तीन नई किस्मों को विकसित किया है।
इस बारे में जानकारी देते हुए पंत नगर के विश्वविद्यालय के निदेशक डा. एसएन तिवारी ने बताया “अखिल भारतीय सोयाबीन समन्वित परियोजना के अंतगर्त पन्त सोयाबीन 24 सहित दो और नई किस्मों को विकसित किया गया है।’’
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सोयाबीन की इन प्रजातियों के प्रजनक डा. पुष्पेंद्र ने बताया “उत्तर भारत में सोयाबीन की खेती में लगने वाले पीला विषाणु रोग के निरंतर बढ़ रहे प्रकोप से सोयाबीन की खेती का क्षेत्रफल घट रहा था। जिसको देखते हुए तीन नई प्रजातियों को विकसित किया गया है। यह तीनों प्रजातियां अधिक उत्पादन क्षमता के साथ पीला विषाणु के प्रति प्रतिरोधी हैं।
किसान नई प्रजातियों से खेती करके अधिक उपज भी ले सकते हैं।’’ उत्तर प्रदेश में पिछले दशक में ही प्रदेश के मैदानी क्षेत्रों में सोयाबीन की खेती की शुरूआत हुई थी। बुंदेलखंड के सभी जिलों के साथ ही बदायूं, शाहजहांपुर, रामपुर, बरेली और मेरठ में सोयाबीन की खेती हो रही है लेकिन इस सोयाबीन में बीमारी लगने के कारण किसानों को घाटा हो रहा था। ऐसे में इन तीनों किस्मों से उत्तर प्रदेश के किसानों सोयाबीन की खेती करने में फायदा मिलेगा।
खरीफ सीजन की फसल माने जाने वाले सोयाबीन की खेती के लिए इस बार कृषि विभाग ने 0.20 लाख हेक्टेयर खेती का लक्ष्य रखा है लेकिन उन्नत बीज की उपलब्धत नहीं होने के कारण किसान इसकी खेती के प्रति रूझान नहीं दिखा रहे हैं। भारतीय सोयाबीन अनुसंधान संस्थान इंदौर के कृषि वैज्ञानिक भी उत्तर प्रदेश में सोयाबीन की खेती करने के लिए यहां के किसानों को जागरूक कर रहे हैं।
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भारतीय सोयाबीन अनुसंधान संस्थान इंदौर के प्रधान वैज्ञानिक डॉक्टर एम.पी. शर्मा ने बताया सोयाबीन की बुवाई करने से पहले बीज का उपचार जरूरी है। भारतीय सोयाबीन अनुसंधान संस्थान ने देश के अलग-अलग राज्यों के लिए सोयाबीन की उन्नत किस्मों की अनुशंसा भी की है। जिसमें उत्तर प्रदेश के लिए पीके-472, जेएस-71-5, पीएस-564, जेएस-2, जेएस-93-5, जेएस-72-44, जेएस-75-46, पूसा-20, पीके-416, पूसा-16 और एनआरसी-37 नामक प्रजातियां विकसित की गई हैं। किसान इन प्रजातियों की बुवाई करके भी सोयाबीन से अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं।
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