सीए की पढ़ाई छोड़कर शुरु किया वर्मी कंपोस्ट बनाने का काम, लाखों में होती है कमाई

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सीए की पढ़ाई छोड़कर शुरु किया वर्मी कंपोस्ट बनाने का काम, लाखों में होती है कमाईसीए की पढ़ाई बीच में छोड़कर प्रतीक ने शुरु किया अपना काम। 

अमरकांत/ करनपाल सिंह, स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

बरेली (यूपी)। बचपन से लेकर युवा होने तक अभिभावक बच्चों को पढ़ा-लिखा कर डॉक्टर, इंजीनियर व सरकारी नौकरी कराना चाहते हैं। युवा भी प्रोफेशनल कोर्स करने के बाद कारपोरेट जगत में नौकरी करने का ख्वाब देखता है वहीं बरेली का एक 22 वर्षीय युवा ऐसा भी है जिसने सीए की पढ़ाई छोड़ जैविक ढंग से खाद बनाने और बेचने का कार्य शुरू किया जिससे उसे अच्छा मुनाफा हो रहा है।

तीन वर्ष पहले 12वीं की परीक्षा उत्तीर्ण की फिर सीए बनने के लिए बीकॉम में प्रवेश लिया, फिर सीए में सीपीटी की परीक्षा क्वालीफाई की। उसी समय बड़े भाई मोहित बजाज के साथ आईवीआरआई में कामधेनु योजना के एक कार्यक्रम में गया था। वहां वर्मी कम्पोस्ट खाद बनाने को लेकर एक लेक्चर सुना। तभी से जैविक खाद बनाने का मेरे अंदर रुझान बढ़ा।
जिला मुख्यालय से लगभग 21 किमी दूर बरधौली गाँव बड़ा बाई पास भोजीपुरा ब्लाॅक के रहने वाले प्रतीक बजाज (22 वर्ष)

कृषि विज्ञान केंद्र से वर्मी कम्पोस्ट खाद बनाने का प्रशिक्षण लिया। इसके बाद इसे बनाने का काम शुरु किया और इसे ही अपना व्यवसाय बना लिया। नीम जैविक खाद और जैविक खाद से लगभग एक वर्ष में 10 से 12 लाख की सालाना कमाई हो रही है।
प्रतीक बजाज, किसान

प्रतीक ने प्रशिक्षण लेने के बाद सात बीघा जमीन पर वर्मी कम्पोस्ट प्लांट स्थापित किया। यहां तैयार होने वाली जैविक खाद को वह आस-पास के कई गाँवों और शहरों के किसानों को मामूली दामों पर उपलब्ध करा रहे हैं। उनके प्लांट की खाद का उपयोग करने से तमाम किसान फसल का बहुत अच्छा उत्पादन ले रहे हैं। साथ ही फसल लगाने की कीमत में कमी आई है।

अगर कोई किसान एक एकड़ के लिए यूनिट डालना चाहता है तो उसको 10 हजार का खर्च करना पड़ेगा जिसमें उसे थाल बनवाना पड़ेगा और केंचुएं खरीदने पड़ेंगे। एक एकड़ के लिए लगाई गई यूनिट में किसान लगभग 7200 रुपए का मुनाफा कमा सकता है।
प्रतीक बजाज

मैं 10 एकड़ खेत में खेती करता हूं। पहले रासायनिक खाद डालता था जिसकी प्रति एकड़ 10 हजार की लागत आती थी जो पूरे खेत में सीधे-सीधे 60 हजार की हो जाती थी। सिर्फ खाद में ही खर्चा अधिक हो जाता था फिर मैंने प्रतीक से नीम वर्मी कम्पोस्ट खाद खरीदकर फसल में डाला अच्छा परिणाम मिला, काफी किफायती भी है।
अनिल प्रजापति (44 वर्ष),नयनपुर गाँव के किसान

नीम की पत्तियों से तैयार वर्मी कम्पोस्ट खाद में उर्वरक और कीटनाशक दोनों की क्षमता है। इससे फसल की जड़ों में रहकर नुकसान पहुंचाने वाले कीटों का नाश हो जाता है। साथ ही उत्पादन भी कई गुना बढ़ जाता है।
डॉ. रंजीत, कृषि विज्ञान केंद्र बरेली के वैज्ञानिक

नीम पर रिसर्च कर बनाई नीम जैविक खाद

प्रतीक ने नीम की पत्तियों पर एक रिसर्च की जिसके फलस्वरूप नीम जैविक खाद तैयार की।

नीम की पत्तियों और निबौलियों से खाद बनाना आसान नहीं था। शुरुआत में मैंने नीम पर काफी रिसर्च की फिर मैंने केचुए वाली जैविक खाद में नीम की पत्तियों को सड़ाकर उसमें मिलाया जिसके फलस्वरूप नीम वर्मी जैविक खाद तैयार हुई।
प्रतीक बजाज

मंडी के कचरे से बनाई खाद

प्रतीक ने शुरुआती तौर पर फसलों के कचरे से खाद बनाना शुरू किया। एक दिन बड़ा बाइपास से गुजरते हुए उनकी नजर मंडी से बड़ी मात्रा में फेंकने को आए केले के पत्तों, खराब सब्जियों और उनके पत्तों पर पड़ी। प्रतीक ने इनसे खाद बनाने की सोची और बनाई जिससे बड़ा बाइपास पर कचरे की समस्या भी दूर हो गई और उन्हें खाद के लिए कच्चा माल भी मिल गया।

This article has been made possible because of financial support from Independent and Public-Spirited Media Foundation (www.ipsmf.org).

     

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