फूलों की खेती से बदल रही किसानों की किस्मत, कमा रहे अच्छा मुनाफ़ा

Divendra SinghDivendra Singh   10 March 2017 2:34 PM GMT

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फूलों की खेती से बदल रही किसानों की किस्मत, कमा रहे अच्छा मुनाफ़ाअरैल गाँव फूलों की खेती में अपनी अलग पहचान बना रहा है।

दिवेंद्र सिंह, स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

इलाहाबाद। कुछ साल पहले तक यमुना से सटे हुए अरैल गाँव कच्ची शराब के लिए जाना जाता था, लेकिन आज वही अरैल फूलों की खेती में अपनी अलग पहचान बना रहा है। आध्यात्मिक नगरी प्रयाग में हर दिन हज़ारों कुंतल फूलों की खपत हो जाती है, यहां के किसानों की मेहनत से न केवल जिलेभर में यहां से फूल जाता है, बल्कि कानपुर, सोनभद्र, मिर्जापुर, प्रतापगढ़ जैसे कई जिलों में यहां से गुलाब, गेंदा, बेला का फूल जाता है।

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जिला मुख्यालय से लगभग आठ किमी दूर दक्षिण-पूर्व दिशा में यमुना नदी के किनारे दूर-दूर तक फूलों के खेत दिखायी देते हैं। अरैल गाँव में पिछले आठ वर्ष से गुलाब की खेती कर रहे हैं रमेश कुमार (44 वर्ष) बताते हैं, “जिलेभर से लोग यहां देखने आते रहते हैं कि हम लोग कैसे खेती कर रहे हैं, सबसे ज्यादा फायदा हमें शादियों और माघ मेला के समय में होता है, बाकि समय भी फायदा होता है लेकिन उतना नहीं होता।”

पूरे साल यहां गुलाब की खेती की जाती है और भारी मात्रा में इसकी बिक्री की जाती है। शादी व नवरात्र के अवसर पर यहां के किसानों को काफी फायदा होता है। मार्च से जून और अक्टूबर से दिसंबर माह में गुलाब की पैदावार बिक्री बढ़ जाती है। पित्रपक्ष में गुलाब की मांग कम हो जाती है। जो देशभर में भेजा जाता है। खेत में काम कर रही सुशीला देवी (45 वर्ष) बताती हैं, “सबसे ज्यादा परेशानी गर्मी में होती है, जब खूब तेज धूप हो जाती है और फूल झुलसने लगते हैं। जंगली जानवर भी बहुत आते हैं उनसे भी फूलों को बचाना होता है।” वो आगे बताती हैं, “सुबह ही हम लोग फूल तोड़ने आ जाते हैं, जिससे समय से मंडी पर फूल पहुंच जाए।”

जिस तरह से शिवगढ़, सोरांव वाला क्षेत्र सब्जियों की खेती के लिए जाना जाता है ऐसे ही अरैल में फूलों की खेती से किसान फायदा कमा रहे हैं, जिले भर से फूल यही से जाता है माघ मेला में इनका बहुत फायदा हो जाता है।
उमेश कुमार उत्तम, जिला उद्यान अधिकारी

इलाहबाद में चार जगह फूलों की मंडी लगती है, गऊघाट और पुराने पुल की फलमंडी, मुंडेरा मंडी यहां पर जिले के साथ ही आसपास के जिलों से भी व्यापारी आते हैं और फूल ले जाते हैं। जिला उद्यान अधिकारी उमेश कुमार उत्तम कहते हैं, “जिस तरह से शिवगढ़, सोरांव वाला क्षेत्र सब्जियों की खेती के लिए जाना जाता है ऐसे ही अरैल में फूलों की खेती से किसान फायदा कमा रहे हैं, जिले भर से फूल यही से जाता है माघ मेला में इनका बहुत फायदा हो जाता है।” सूखने के बाद भी गुलाब अच्छे दाम में बिक जाता है, किसान फूलों को सुखाकर जबलपुर और कानपुर के व्यापारियों को ये फूल बेच देते हैं।

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