पर्ची लिए घूम रहे गन्ना किसान, मिलें नहीं कर रहीं भुगतान

Ashwani NigamAshwani Nigam   14 Oct 2016 8:29 PM GMT

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पर्ची लिए घूम रहे गन्ना किसान, मिलें नहीं कर रहीं भुगतानगन्ना किसानों ने मिलों से भुगतान न मिलने पर उठाई आवाज 

लखनऊ। मुजफ्फरनगर जिले की सिसौली गांव के 65 साल के राजवीर सिंह अपने क्षेत्र के बड़े गन्ना किसान हैं। उनके खेतों में बड़ी संख्या में गन्ने की फसल इस साल भी खड़ी है, लेकिन वह चीनों मिलों को गन्ना नहीं देना चाहते हैं। कारण, उनका लाखों रुपए का बकाया चीनी मिलों ने दबाकर रखा हुआ है। पिछले दो साल से चीनी मिल उनके पैसे को भुगतान नहीं कर रही हैं। ऐसे में अपने पैसे के भुगतान की मांग को लेकर वह शुक्रवार राजधानी लखनऊ स्थित गन्ना संस्थान पहुंचे। जहां भारतीय किसान यूनियन ने राज्यभर के किसानों की स्थिति पर एक महापंचायत का आयोजन किया था।

यह किसानों को चिढ़ाने वाला फैसला

इस महापंचायत में पूरे प्रदेश से हजारों की संख्या में किसान पहुंचे और अपनी समस्याओं को बताया। किसानों का कहना है कि किसानों को उनके गन्ने के बदले चीनी मिली पर्ची पकड़ा देती हैं और पैसे का भुगतान नहीं करती हैं। जिससे किसान कर्ज लेकर किसी तरह अपना जीवन-यापन करने पर मजबूर हैं, वहीं दूसरी तरफ सरकार किसानों को बकाया मूल्य भुगतान कराने की बजाए उल्टे चीनी मिलों का ब्याज माफ कर कर रही है। यह किसानों को चिढ़ाने वाला फैसला है।

किसानी छोड़ने को भी तैयार

भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैट ने बताया कि यूपी का 70 से अधिक लोग खेती से जुड़े हुए हैं। किसान जितना अधिक परिश्रम करता है, उसके मुताबिक उसको लाभ नहीं मिल रहा है। किसानों का कर्ज का बोझ बढ़ता जा रहा है। जिसके नतीजे में हर साल 4 से लेकर 5 प्रतिशत किसान खेती छोड़।कर मजदूर बन रहे हैं। एनएसएसओ की रिपोर्ट बताती है कि अगर किसानों को कोई दूसरा धंधा मिले तो वह किसानी छोड़ने को तैयार हैं।

गन्ना किसानों की स्थिति नाजुक

बात अगर गन्ना किसानों की की जाए तो उनकी स्थिति बहुत ही नाजुक है। शामली जिले के 63 साल के प्रेमपाल सिंह भी गन्ना किसान हैं। उनका कहना है कि पिछले तीन सालों से सरकार ने गन्ना मूल्य में कोई बढ़ोत्तरी नहीं की। किसानों को उत्पादन लागत में खाद और दवाइयों के बढ़ते दामों के साथ ही मौसम की मार झेलनी पड़ रही है। पिछले तीन सालों में जिस तरह से महंगाई बढ़ी है, उसके मुकाबले गन्ना मूल्य में बढ़ोतरी नहीं की गई है। आज भी 280 से लेकर 290 रुपए प्रति कुंतल किसानों को भुगतान किया जा रहा है। वह पैसा भी समय से मिल वाले नहीं दे रहे हैं। ऐसे में वह लोग अब गन्ने की खेती छोड़ने पर विवश किए जा रहे हैं। किसानों ने प्रदेश सरकार से साल 2016-17 में 450 रुपए करने की मांग की है।

कर्ज में डूबते जा रहे गन्ना किसान

मेरठ जिले के जगवीर सिंह कभी अपने क्षेत्र में बड़े गन्ना किसान हुआ करते थे, लेकिन आज उनकी आर्थिक बहुत खराब है और उन पर लाखों रुपए कर्ज है। किसान पंचायत में लखनऊ हिस्सा लेने आए जगवीर सिंह ने कहा कि पिछले तीन साल से चीनी मिल ने उनके गन्ना मूल्य का भुगतान नहीं किया है। वह पर्ची लेकर मिल का चक्कर लगा रहे हैं। उनका कहना है कि सरकार को चाहिए वह गन्ना मिलों की जांच कराएं और जो गन्ना मिले भुगतान नहीं की हैं, उनको ब्लैक लिस्टेड घोषित करें। मगर सरकार हर साल सिर्फ गन्ना किसानों के लिए घोषणा करती है, लेकिन उस पर कभी अमल नहीं होता।

किसानों को नहीं, मिल मालिकों को हो रहा फायदा

उत्तर प्रदेश के गन्ना आयुक्त बिपिन कुमार दि्वेदी ने सभी चीनी मिलों को निर्देश दिया था कि वह किसानों को शत-प्रतिशत बकाया 30 सितंबर तक कर दें, लेकिन उनके इस आदेश का चीनी मिलों ने अभी तक पालन नहीं किया है। ऐसे में गन्ना किसानों में रोष व्याप्त है। गन्ना किसानों को कहना है कि पिछले दिनो अखिलेश यादव की सरकार ने चीनी मिल मालिकों का ब्याज माफ करने को फैसला कैबिनेट में पास किया था और घोषणा की थी कि इससे गन्ना किसानों को भी फायदा होगा, लेकिन इससे सिर्फ मिल मालिकों को फायदा हो रहा है।

   

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