लखनऊ। गर्मियों में ज्यादातर पशुपालकों को हरे चारे की कमी का सामना करना पड़ता है, ऐसे में पशुपालक हाइड्रोपोनिक तकनीक से अब एक कमरे में ही ट्रे में चारा उगा सकते हैं। यही नहीं ये चारा खेत में उगे चारे से ज्यादा पोषक भी होता है।
महाराष्ट्र में रहने वाले जगदीश गौड़ (40 वर्ष) पिछले तीन वर्षों से हाइड्रोपोनिक विधि से हरा चारा उगाकर अपने पशुओं को खिला रहे हैं। जगदीश बताते हैं, “बिना किसी ज्यादा लागत से इस चारे को उगाया जा सकता है। अपने 10 पशुओं के लिए अभी हम 30 ट्रे से 350 किलो हरा चारा निकाल रहे हैं। इस चारे से पशुओं का दूध उत्पादन भी बढ़ा है।
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“चारा अनुसंधान संस्थान झांसी के वैज्ञानिक डॉ. राजीव अग्रवाल इस तकनीक के बारे में बताते हैं, “पौधे उगाने की यह तकनीक पर्यावरण के लिए काफी सही होती है। इन पौधों के लिए कम पानी की जरूरत होती है, जिससे पानी की बचत होती है। कीटनाशकों के भी काफी कम प्रयोग की आवश्यकता होती है। मिट्टी में पैदा होने वाले पौधों और इस तकनीक से उगाए जाने वाले पौधों की पैदावार में काफी अंतर होता है। इस तकनीक से एक किलो मक्का से पांच से सात किलो चारा दस दिन में बनता है, इसमें जमीन भी नहीं लगती है।”खास बात है कि दूधारू पशुओं के दूध बढ़ाने में यह चारा दूसरे हरे चारे की तुलना में ज्यादा पोषक भी होता है।
क्या है यह तकनीक
हाईड्रोपोनिक्स एक ऐसी तकनीक है, जिसमें फसलों को बिना खेत में लगाए केवल पानी और पोषक तत्वों से उगाया जाता है। एक ट्रे में बिना मिट्टी के ही चारा सात से दस दिनों में ही उगकर तैयार हो जाता है। इस तकनीक से इस चारे को किसी भी मौसम में लगाया जा सकता है। इस विधि से हरे चारे के उगाने के बारे में डॉ. राजीव अग्रवाल बताते हैं, “सबसे पहले मक्के को 24 घंटे के लिए पानी में भिगोना होता है। उसके बाद एक ट्रे में उसे डालना होता है, और जूट के बोरे से ढक देते हैं। तीन दिनों तक इसे ढके रखने पर उसमें अंकुरण हो जाता है। फिर उसे पांच ट्रे में बांट देना होता है। हर दो-तीन घंटे में पानी डालना होता है। ट्रे में छेद होता है।”
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