मइंदौर (मध्य प्रदेश)। सोयाबीन बुआई को लेकर किसानों के रुझान में इजाफे के कारण देश में मौजूदा खरीफ सत्र के दौरान इस प्रमुख तिलहन फसल का रकबा पांच प्रतिशत बढ़कर करीब 110 लाख हेक्टेयर पर पहुंच सकता है। खरीफ के पिछले मौसम में 105 लाख हेक्टेयर में सोयाबीन बोया गया था।
इंदौर के भारतीय सोयाबीन अनुसन्धान संस्थान (आईआईएसआर) के निदेशक वीएस भाटिया ने “पीटीआई-भाषा” को बताया, “देश में सोयाबीन की बुआई अब एकदम अंतिम दौर में है। हमारा अनुमान है कि इस खरीफ सत्र में सोयाबीन का रकबा 110 लाख हेक्टेयर के आस-पास रहेगा।” उन्होंने बताया कि देश के सबसे बड़े सोयाबीन उत्पादक मध्यप्रदेश में इस बार मॉनसून की अच्छी बारिश से इस तिलहन फसल की बुआई को बल मिला है।
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कई किसानों ने खासकर दलहनों के मुकाबले सोयाबीन बोने को तरजीह दी है। इस बीच, केंद्रीय कृषि मंत्रालय के जारी ताजा आंकड़ों में 27 जुलाई तक की स्थिति के आधार पर बताया गया है कि देश में 101.53 लाख हेक्टेयर में सोयाबीन बोया जा चुका है। पिछले खरीफ सत्र की समान अवधि में इस तिलहन फसल का रकबा 95.70 लाख हेक्टेयर के स्तर पर था।
“पीले सोने” के रूप में मशहूर सोयाबीन का रकबा मध्यप्रदेश में 47.87 लाख हेक्टेयर, महाराष्ट्र में 35.26 लाख हेक्टेयर और राजस्थान में 10.06 लाख हेक्टेयर दर्ज किया गया है। केंद्र सरकार ने वर्ष 2018-19 के खरीफ विपणन सत्र के लिये सोयाबीन का न्यूनतम समर्थन मूल्य 3,399 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है। यह कीमत पिछले सत्र के मुकाबले करीब 11.5 प्रतिशत अधिक है।
तो क्या चने की तरह सोयाबीन से भी किसानों को धोखा ही मिलेगा ?
सोयाबीन का रकबा बढ़ा है लेकिन बीते साल सोयाबीन बेचने के लिए किसान काफी परेशान हुए। किसानों की समस्या को देखते हुए सरकार ने भावांतर शुरु किया लेकिन उससे हालात और बिगड़े। मई महीने में कई जगह किसान 2200 रुपए प्रति क्विटंल तक रेट पहुंच गए थे। ऐसे में सोयाबीन का रकबा इस बार बढ़ने का असर क्या रेट पर नजर आएगा। ऐसी आशंका जाहिर की जा रही है कि फसल आते-आते बाजार में इसकी कीमतें तेजी से गिरेंगी, एक बार फिर किसान की उम्मीदों पर फिर पानी फिर सकता है।
सोयाबीन का रकबा बढ़ने से वायदा बाजार एनसीडीईएक्स में सोयाबीन का दाम तेजी से घट रहा है। इस सप्ताह दाम गिरकर 3358 (26 जुलाई के अनुसार) प्रति कुंतल तक आ गया है, जोकि पिछले हफ्ते 3535 प्रति कुंतल था। इस बारे में कमोडिटीज में काम करने वाले इंदौर के हरीश पालिया कहते हैं “तिलहन कारोबारी पिछले हफ्ते जमकर खरीदारी कर रहे थे, लेकिन जैसे ही रकबा बढ़ने की खबर आई, मांग अचानक से रुक गई. रकबा बढ़ने से पैदावार भी बढ़ने बंपर बढ़ने की उम्मीद है, ऐसे में दाम इससे ज्यादा बढ़ने से रहा।” भाषा इनपुट के साथ