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बीस वर्ष से आलू की खेती करने वाले इस किसान को कभी नहीं हुआ घाटा

#आलू किसान

कन्नौज (यूपी)। आलू की खेती करने वाले ज्यादातर किसान आलू के बाजार भाव से खासे परेशान हैं, लेकिन एक ऐसा भी किसान है जिसको कभी भी घाटा ही नहीं हुआ। करीब दो दशकों से आलू की फसल अच्छे दाम में बेच रहा है।

कन्नौज जिला मुख्यालय से करीब आठ किमी दूर अनंदीपुर्वा-तेरामल्लू निवासी 42 वर्षीय अनिल कटियार बताते हैं, ”हम करीब 20 सालों से आलू की फसल करते हैं। बाजार भाव कुछ भी रहा हो लेकिन हमको कभी भी आलू में घाटा नहीं हुआ है। मेरे लिए यह मुनाफे की फसल साबित हुई है।”


आगे बताया, ”मेरे बड़े भाई आदित्य कटियार (52 वर्ष) फौज में वायरलेस ऑपरेटर पद पर तैनात थे, लेकिन वर्ष 1998 में उन्होंने नौकरी छोड़ दी थी। उस दौरान करीब 2,500 रूपए मासिक वेतन ही था।”

”जब मेरे भाई नौकरी छोड़कर घर आ गए तो खेती-किसानी में लग गए। यह देखकर मैं भी कहीं नौकरी करने नहीं निकला। मैं बीएससी बॉयोलॉजी से उत्तीर्ण हूं। अगर सरकारी नौकरी करता होता तो आज खेती से जितना कर लिया शायद न कर पाता।”
अनिल कटियार, आलू किसान, कन्नौज

आलू किसान अनिल बताते हैं, ”पहले हम लोगों के पास 20 बीघा जमीन थी। उसी में आलू की पैदावार करते थे। अब 20 एकड़ खेती कर ली है। कन्नौज में एक पक्का और कानपुर में दो पक्के मकान हैं। किसी भी प्रकार की दिक्कत नहीं हैं। यह सब आलू की खेती से ही किया है।”

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यह है खेती की खास बात

किसान अनिल बताते हैं, ”हम चिप्सोना क्वालिटी का आलू करते हैं। पेप्सिको कंपनी को आलू बेचते हैं। कंपनी खुद गाड़ी भेजकर आलू मंगवा लेती है। भुगतान आठ दिनों के भीतर बैंक खाते में आ जाता है।”

आगे बताया, ”35 एमएम से नीचे का आलू बीज के लिए रख लेते हैं। गुखरू, भद्दूपुर्वा, कपूरापुर, नरायनपुर्वा, तेरामल्लू, खुर्रमपुर और आनंदीपुर्वा आदि गांवों के काफी किसान पेप्सिको को आलू बिक्री कर लाभ कमा रहे हैं।”

उन्होंने आगे बताया, ”आलू के लिए बीज हम उद्यान विभाग से भी लेते हैं। मरीनों का बीज भी मिलता है लेकिन उसका उत्पादन कुछ कम रहता है। एलआर कच्चा आलू जाता है और चिप्सोना पक्का बिकता है। एक एकड़ में करीब 150 कुंतल आलू की पैदावार होती है। इतने ही रकबे में 25 कट्टी (एक कट्टी करीब 60 किलो) बीज के लिए बच जाता है। 15-30 अक्तूबर में आलू लगा दिया था। मार्च 2019 के पहले सप्ताह में खुदाई शुरू हो जाएगा।”


आपको यकीन नहीं होगा, यह मिलता रेट

किसान अनिल की माने तो हम बीते 15 सालों से पेप्सिको कंपनी के कांटेक्ट में हैं। यह चिप्स बनाने वाली कंपनी है। खेत पर खरीदने के दौरान आलू से चिप्स बनाकर देखते हैं। उसके बाद वाहन से आलू बोरों में भरकर कलकत्ता या कंपनी के बताए स्थान पर पहुंचता है। वहां भी जांचा जाता है। पास हो जाने के बाद आठ दिनों के भीतर हमको भुगतान मिल जाता है। आलू में मिक्सिंग नहीं होनी चाहिए।

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अनिल ने आगे बताया कि पिछले साल हमको 1250 रुपए से 1750 रुपए कुंतल आलू का दाम मिला था। 60 किलो की पैकिंग पर 800-900 रूपए आलू की बचत हुई थी। यहां मानीमऊ कोल्ड स्टोरेज में कंपनी का आफिस भी है।

”पेप्सिको कंपनी का किसान से एग्रीमेंट होता है। किसान को बीज भी दिया जाता है। कंपनी के कुछ मानक होते हैं। जानकारी में है कुछ किसान इस तरह से खेती करते हैं। ऐसे किसान चिन्हित नहीं हैं। यह काफी पुराना कांसेप्ट है।”
मनोज कुमार चतुर्वेदी, जिला उद्यान अधिकारी, कन्नौज

मंडी बन जाए तो 200 रुपए और बढ़ जाए

अनिल का कहना है कि अगर जिले में आलू की मंडी बन जाए तो 200 रुपए प्रति पैकेट का मुनाफा और बढ़ जाएगा। अभी मंडी बन नहीं रही है। मंडी बनने से कई किसानों को फायदा होगा। आगे बताया कि जो दूसरे किसान यहां की मंडी में आलू बिक्री करते हैं उसका कोई भाव नहीं है। बिका या फिका पर किसान निर्भर है। जिस कंपनी के संपर्क में हम हैं वहां निर्धारित सीमा का रेट मिलता है।

”एरिया के कुछ किसान जुड़ें हैं। हमारा ऑफिस मानीमऊ कोल्ड स्टोरेज में है। समय-समय के हिसाब से किसानों की संख्या बढ़ती और घटती है। कभी 40-50 हो जाते हैं तो कभी 10-12 किसान भी रहते हैं।”
हरिगोविंद पांडेय, एग्रोनामिस्ट, कन्नौज

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