उत्तर प्रदेश में आलू किसानों के साथ नया चुटकुला ... विभाग दे रहा बेढंगी सलाह

Ashwani NigamAshwani Nigam   27 Jun 2017 2:22 PM GMT

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उत्तर प्रदेश में आलू किसानों के साथ नया चुटकुला ... विभाग दे रहा बेढंगी सलाहकिसान

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में एक तरफ जहां 155 लाख टन आलू पैदा हुआ है। भंडारण और निर्यात की सुविधा न होने से किसानों को माटी मोल बेचना पड़ रहा है। लक्ष्य का एक प्रतिशत भी सरकार आलू खरीद नहीं सकी। इस खरीद में नाकाम विभाग अब किसानों को अजीबों गरीब सलाह दे रहा है।

उत्तर प्रदेश में जिस विभाग का काम किसानों की फसल का निर्यात बढ़ाकर उन्हें अच्छे दाम दिलवाना है, वो विभाग अपनी जिम्मेदारियां न निभाकर, किसानों को बेढंगी सलाह दे रहे हैं।

सरकारी खरीद केंद्रों पर आलू की खरीद न होने और मंडियों में सही कीमत न मिलने से परेशान किसानों को उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग ने सलाह दी है कि किसान अपना आलू पूर्वोत्तर और दक्षिण भारतीय राज्यों में ले जाकर बेच सकते हैं, क्योंकि वहां अच्छी कीमत मिल रही है, लेकिन उसकी व्यवस्था क्या होगी, इससे विभाग को कोई मतलब नहीं।

“आलू की अच्छी कीमत पाने के लिए किसानों को चाहिए कि वह आलू केरल, कर्नाटक, मणिपुर, त्रिपुरा और मेघालय ले जाकर बेचें, क्योंकि वहां की मंडियों में आलू का लाभकारी मूल्य मिल रहा है,” एसपी जोशी, निदेशक, उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग ने कहा। मगर विभाग की सलाह किसानों के लिए सही नहीं है।

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निदेशक ने अपनी सलाह में यह नहीं बताया कि एक छोटा किसान इन दक्षिण और पूर्वोत्तर राज्यों तक अपना उत्पाद कैसे लेकर जाए? इसमें विभाग की जिम्मेदारी कहां है?

उत्तर प्रदेश में फल और सब्जियों की पैदावार बढ़ाने, उसके विपणन और निर्यात के लिए उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग है, इसी ने किसानों को यह नायाब सलाह दी है।

इस सरकारी सलाह के बारे में फर्रूखाबाद जिले के कमालगंज ब्लॉक के अहमदपुर देवरिया गाँव के किसान विनोद कटियार कहते हैं, ‘’सलाह देना बहुत आसान होता है। जिस विभाग का काम किसानों से आलू खरीदकर निर्यात करना है, वह अपनी जिम्मेदारी से बचते हुए किसानों को सलाह दे रहा है। आलू उत्पादक विभाग के रवैये से बर्बाद हो चुके हैं।’’

उत्तर प्रदेश में एक तरफ जहां 155 लाख टन आलू पैदा हुआ है। भंडारण और निर्यात की सुविधा न होने से किसानों को माटी मोल बेचना पड़ रहा है। लक्ष्य का एक प्रतिशत भी सरकार आलू खरीद नहीं सकी। इसी तरह टमाटर उत्पादन 413.83 हजार मीट्रिक होता है, लेकिन भंडारण की सही व्यवस्था न होने से किसानों को लाभ नहीं मिल पाता। यूपी में प्याज भी 418.1 हजार मीट्रिक टन पैदा होता है, लेकिन हर साल हजारों टन सड़ जाता है।

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देश में पैदा होने वाले फल, सब्जियों और दूसरे कृषि उत्पादों का विदेश में निर्यात करने के लिए बनाए गए संगठन ‘कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा), नई दिल्ली के सलाहकार विनोद कुमार इस बारे में कहते हैं, ‘’ उत्तर प्रदेश में पैदा होने वाले फल और सब्जियों का निर्यात में जो हिस्सा होना चाहिए, वह बहुत कम है। यहां की सरकार को इस पर ध्यान देना होगा।’’

उन्होंने बताया कि भारत दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा प्याज उत्पादक देश है। पिछले साल देश ने करीब 12 लाख मीट्रिक टन प्याज का निर्यात विश्वभर में किया, जिससे 2,747.41 करोड़ रुपये मिले, लेकिन इसमें यूपी की हिस्सेदारी नगण्य रही।

अमेरिका, ब्रिटेन और अरब देशो में सब्जियों के बड़े निर्यातक गुप्ता एंड संस के निदेशक राहुल गुप्ता ने बताया, ‘’आलू की किस्म कुफरी सिन्धुरी, कुफरी चंद्रमुखी, कुफरी बादशाह, कुफरी बहार और टमाटर की वैशाली, रूपाली, रश्मि, रजनी, पूसा रूबी की विदेशों में बड़ी डिमांड है, लेकिन हम चाहकर भी इसका निर्यात नहीं कर पा रहे हैं।’’

वह आगे बताते हैं, “विदशों में सब्जियों के निर्यात के लिए आधुनिक पैकहाउस, सब्जियों के ग्रेड और गुणवत्ता के लिए जो मापदंड होने चाहिए, वह यहां पर नहीं मिलता, इसलिए यहां की सब्जियां बाहर नहीं जा पा रही हैं।”

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सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ पोस्ट हार्वेस्ट इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी की एक रिपोर्ट के अनुसार, देश में हर साल दो लाख करोड़ की फल और सब्जियां बर्बाद हो जाती हैं, जिसमें उत्तर प्रदेश में 10,312 करोड़ रुपयों की फल-सब्जियां हर साल भंडारण नहीं होने से खराब हो जाती हैं, जिसमें आलू, प्याज और टमाटर सबसे ज्यादा बर्बाद होता है।

कृषि लागत एवं मूल्य आयोग, नई दिल्ली के अध्यक्ष प्रो. विजय पाल शर्मा ने कहा, “उत्तर प्रदेश के किसानों को सब्जियों के उत्पादन और विपणन के संबंध में समय-समय पर उचित प्रशिक्षण दिया जाए, साथ ही प्रदेश की मुख्य सब्जियों को नेशनल एग्रीकल्चर मार्केटिंग के अंतर्गत लाया जाए। अगर ऐसा हुआ तो किसानों को सब्जियों के उचित दाम मिल पाएंगे।”

यूपी में बड़ी मात्रा में पैदा होता है आलू, टमाटर और प्याज

निर्यातक ग्रीन वेज एक्सपोटर्स प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक रोशन गुप्ता बताते हैं, ‘’यूपी में बड़ी मात्रा में आलू, टमाटर और प्याज पैदा हो रहा है, लेकिन हम इसको बाहर के देशों में निर्यात नहीं कर पा रहे हैं, क्योंकि सरकार की तरफ से जो व्यवस्था और सुविधा मिलनी चाहिए, वो नहीं मिलती।’’

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विभाग से सवाल

  • एक छोटा किसान इन राज्यों तक कैसे लेकर जाए अपना उत्पाद?
  • किसानों को उपज की अच्छी कीमत मिले, विभाग की क्या है व्यवस्था?
  • पिछले वर्ष देश ने करीब 12 लाख मीट्रिक टन प्याज का निर्यात किया, यूपी की हिस्सेदारी नगण्य क्यों?
  • उत्तर प्रदेश में करीब 10,312 करोड़ रुपयों की फल-सब्जियां हर साल भंडारण न होने से खराब होने के क्या हैं कारण?

फर्रूखाबाद के अहमदपुर देवरिया गाँव केकिसान विनोद कटियार बताते है सलाह देना बहुत आसान होता है। जिस विभाग का काम किसानों से आलू खरीदकर निर्यात करना है, वह अपनी जिम्मेदारी से बचते हुए किसानों को सलाह दे रहा है। आलू उत्पादक विभाग के रवैये से बर्बाद हो चुके हैं।

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