सरकार कराएगी जैविक खेती की जांच

Ashwani NigamAshwani Nigam   10 Dec 2016 5:10 PM GMT

  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
सरकार कराएगी जैविक खेती की जांचजैविक खेती की जांच करेगी उत्तर प्रदेश राज्य जैविक प्रमाणीकरण संस्था।

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में रासायनिक खेती पद्धति अपनाते हुए कृषि में उत्पादन बढ़ा है, लेकिन इसका नुकसान भी अब दिखने लगा। ऐसे में सरकार प्रदेश में जैविक खेती के विकास योजना-2016-17 संचालित कर रही है, जिसमें किसानों को जैविक खेती करने के लिए सरकार सहायता दे रही है। मगर सरकार को इस बात की शिकायत मिल रही है कि जैविक खेती के नाम पर कुछ लोग अब भी अपने खेतों में रासायनिक खादों और संकर बीज का इस्तेमाल कर रहे हैं। इससे सबसे बड़ा नुकसान प्रदेश के जैविक उत्पादों की ब्रांडिंग पर पड़ रहा था। सरकार ने फसलों की जांच के लिए उत्तर प्रदेश राज्य जैविक प्रमाणीकरण संस्था को यह जिम्मा दिया है कि वह किसानों की फसलों की जैविक जांच करें।

भारत सरकार से मान्यता प्राप्त संस्था

यह संस्था भारत सरकार और उत्तर प्रदेश सरकार दोनों से मान्यता प्राप्त है। जैविक फसलों और उसके उत्पादों के प्रमाणीकरण के लिए वाणिज्य मंत्रालय भारत सरकार ने विदेश व्यापार एवं विकास अधिनियम-1992 के अनुसार, राष्ट्रीय जैविक उत्पादन कार्यक्रम के अंतर्गत उत्तर प्रदेश राज्य जैविक प्रमाणीकरण संस्थान की स्थापना 8 अगस्त 2014 को की थी। इस संस्था को मुख्य उद्ददेश्य भूमि, पशु-पक्षी, मनुष्य और पौधों के स्वस्थ बनाए रखना और बढ़ावा देना है। यह संस्था राष्ट्रीय जैविक मानकों के अनुसार फसलों की जांच करके किसानों को स्कोप प्रमाणपत्र और कारोबार प्रमाणपत्र जारी करना है। इसके बारे में जानकारी देते हुए इस संस्था के निदेशक ऋषिराज सिंह ने बताया कि यह संस्था किसानों के बीच प्रमाणिक जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए काम कर रही है।

किसान खुद करा सकते हैं जांच

प्रदेश में जो किसान जैविक खेती कर रहे हैं, वह अपने जैविक खेती का प्रमाणीकरण करने के लिए उत्तर प्रदेश राज्य जैविक प्रमाणीकरण संस्था में अपना रजिस्ट्रेशन करा लें। जिसमें जैविक संस्था किसानों को सहायता देने के साथ ही उन्हें जैविक खेती कैसी करनी है, इसको लेकर भी सलाह देगी। साथ ही प्रमाणित जैविक खेती को कैसे बढ़ाया जाए, यह भी बताएगी। प्रमाणित जैविक खेती कृषि उत्पादन की नई विधा है। जिसमें खेती में फसल उगाते समय विभिन्न विधियों का निर्धारण प्रमाणिक जैविक खेती के मानकों के अनुसार होता है। जैविक खेती में किसानों को रासायनिक उर्वरकों, कीटनाशकों और अन्य सिंथेटिक रसायनों का प्रयोग वर्जित है। इसके अलावा हारमोन्स का प्रयोग, जीए फसलें, जीएम प्रजातियां, जीमए उत्पाद, मनुष्य का मल एवं सीवरेज का पानी, सीवेज स्ल्ड्स और रेडिएशन का इस्तेमाल खेती में नहीं होना चाहिए।

पलायन रोकने में काम आती है यह खेती

प्रमाणित जैविक खेती के उत्पाद की बहुत ज्यादा डिमांड है। देश से लेकर विदेश तक इसके उत्पाद 50 से लेकर 300 प्रतिशत तक अधिक दाम पर बिकते हैं। इससे किसानों को अच्छा पैसा मिलता है। जैविक खेती से मृदा की प्राकृतिक उर्वरकता में सुधार होता है और मृदा संरचना बनी रहती है। जैविक खेती में प्राकृतिक संसाधन का उपयोग होता है, इससे जैविक विविधता का संरक्षण भी होता है। जैविक खेती में अधिक मजदूरों की जरुरत पड़ती है जिससे गांव के लोगों को काम मिलता है और गांव से शहर की ओर पलायन कम होता है।

   

Next Story

More Stories


© 2019 All rights reserved.