सीमैप के 60 साल पूरे होने पर पिपरमिंट की नई किस्म और मेंथा मोबाइल ऐप लॉन्च

#मेंथा

लखनऊ। किसानों को मेंथा जैसी नगदी फसल देने वैज्ञानिक और शोध संस्थान सीमैप ने अपने साठ साल पूरे होने पर पेपरमिंट की नई किस्म (सिम मोहक) और मेंथा किसान की मदद के लिए मेंथा मित्र मोबाइल ऐप किसानों को समर्पित किया। सीमैप में आयोजित समारोह के मुख्य अतिथि पद्म श्री प्रो. अनिल कुमार गुप्ता रहे। सीएसआईआर-सीमैप ने 26 मार्च को अपना हीरक जयंती वार्षिक दिवस मनाया।

इस दौरान संस्थान के कार्यवाहक निदेशक डॉ. आलोक कालरा ने संस्थान की उपलब्धियां गिनाईं उन्होंने बताया कि सीमैप का उल्लेखनीय योगदान, मेंथॉल मिंट में भारत को अग्रणी देश बनाने में रहा है और आज दुनिया में भारत मिंट का प्रमुख निर्यातक बन गया है। मेक इन इंडिया” के तहत सीमैप ने आर्टिमीसिया ऐनुआ की खेती तथा उसके प्रसंस्करण की तकनीक से देश को एंटी-मलेरिया ड्रग आर्टेमिसिन में आत्म-निर्भरता दिलवायी है। संस्थान द्वारा खस की कम-अवधि और उच्च-उपज देने वाली किस्मों को भी विकसित किया गया है जो कि आज बाढ़ प्रभावित तटीय क्षेत्रों के लिए एक लाभदायक फसल बन चुकी है। इन वर्षों के दौरान, सीमैप ने बुंदेलखंड, विदर्भ, कच्छ और मराठवाड़ा जैसे वर्षा-आधारित क्षेत्रों में लेमनग्रास और पामारोजा की खेती को बढ़ावा दिया है।


डॉ. कालरा ने बताया कि सीमैप ने कई उन्नत खोजों की है, जो लोगों के लिए बहुत हितकारी साबित हुई हैं। एनबीआरआई के साथ मिलकर खोजी गई बीजीआर-34 जैसे एंटी-डायबिटिक दवा आज एक प्रभावकारी और सुरक्षित आयुर्वेदिक दवा है। उन्होंने कहा कि अरोमा मिशन के द्वारा सगंध फसलों की खेती तथा प्रसंस्करण किया जा रहा है।

वार्षिक दिवस समारोह की अध्यक्षता, प्रो. अनिल कुमार गुप्ता, संस्थापक, हनी बी नेटवर्क, सृष्टि, जीआईएएन और एनआईएफ ने की। प्रो. गुप्ता ने अपने संबोधन में सीएसआईआर-सीमैप द्वारा ग्रामोत्थान के लिए किये जा रहे कार्यों की प्रशंसा की तथा कहा कि वैज्ञानिक संस्थानों को अपने ज्ञान को आम जन मानस के भले के लिए उपयोग करना चाहिये। उन्होंने संस्थान से कहा कि वो महिला वैज्ञानिकों और उद्यमिता को बढ़ाने में काम करे।

इस अवसर पर डॉ सुशील कुमार, डा. एस पी एस खनूजा, प्रो. राम राजशेखरन, प्रो. अनिल कुमार त्रिपाठी, प्रो. आलोक धवन, डॉ. एस के बारिक और डॉ. एस के कुंडू भी उपस्थित थे।

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