मूंगफली खरीफ और जायद दोनों मौसम की फसल है, मूंगफली की फसल हवा और बारिश से मिट्टी कटने से बचाती है। खरीफ की आपेक्षा जायद में कीट और बीमारियों का प्रकोप कम होता है। प्रदेश में यह झांसी, हरदोई, सीतापुर, खीरी, उन्नाव, बरेली, बदायूं, एटा, मैनपुरी, फर्रुखाबाद, मुरादाबाद, और सहारनपुर के अधिक क्षेत्रफल में उगाई जाती हैI
हरदोई जिले के कोथावां ब्लॉक के काकूपुर गाँव के किसान धन्वन्तर प्रसाद मौर्य (34 वर्ष) पिछले कई वर्षों से मूंगफली की खेती कर रहे हैं। वो बताते हैं, “हमारे यहां दर्जनों किसान मूंगफली की खेती कर रहे हैं, गेहूं कटने के बाद खेत खाली होने के बाद हम लोग मूंगफली की बुवाई करते हैं। इससे काफी फायदा हो जाता है।”
कृषि विज्ञान केन्द्र, सीतापुर के वैज्ञानिक डॉ. दया शंकर श्रीवास्तव बताते हैं, “ये समय मूंगफली की बुवाई का सही समय होता है, बुवाई करते समय बीज शोधन जरूर कर लेना चाहिए। मूंगफली के साथ दूसरी फसले भी लगा सकते हैं, इससे जमीन की मात्रा संतुलित रहती है।”
इसके लिए शुष्क जलवायु की आवश्यकता होती है, मूंगफली की खेती के लिए दोमट बलुअर, बलुअर दोमट या हल्की दोमट भूमि अच्छी रहती है, जायद में मूंगफली की फसल के लिए भरी दोमट भूमि का चुनाव नहीं करना चाहिएI यह आलू, मटर, सरसो और गेहूं की कटाई के बाद खाली भूमि में की जा सकती है।
प्रजातियां- जायद के लिए जो प्रजातियां है- डीएच-86, आईसीजीएस-44,आईसीजीएस-1, आर-9251, टीजी37, आर-8808
खेत की तैयारी- जायद में मूंगफली की खेती हेतु खेत की तैयारी अच्छी तरह करनी चाहिएI खेत की एक गहरी जुताई के बाद दो-तीन जुताई देशी हल या कल्टीवेटर से करके भुरभुरा बना लेना चाहिएI जायद में आखिरी जुताई के बाद पाटा लगा कर खेत को समतल बना लेना चाहिएI जिससे की पानी लगाने में सुविधा रहे और सभी जगह पानी सफलता से लगाया जा सके।
बीज बुवाई और शोधन- जायद में बुवाई मार्च से अप्रैल तक की जा सकती है, जिससे की फसल अच्छी पैदावार दे सकेI बुवाई लाइनों में करना चाहिए, लाइन से लाइन की दूरी 25 से 30 सेमी और पौधे से पौधे की दूरी 8 से 10 सेमी रखनी चाहिए।
जायद की फसल में 95-100 किग्रा प्रति हेक्टेयर बीज बुवाई में लगता हैं बोने से पहले बीज को थीरम दो ग्राम और एक ग्राम 50 प्रतिशत कार्बेन्डाजिम के मिश्रण को दो ग्राम प्रति किग्रा बीज की दर से शोधित करना चाहिएI इस शोधन के पांच-छह घण्टे बाद बोने से पहले बीज को मूंगफली के राइजोबियम कल्चर से उपचारित करना चाहिए।
सिंचाई- जायद की फसल में चार-पांच सिंचाई करना चाहिए। पहली सिंचाई जमाव पूर्ण होने पर और सूखी गुड़ाई के 20 दिन बाद दूसरी सिंचाई 35 दिन बाद तीसरी सिंचाई 50 से 55 दिन बाद साथ ही हर समय नमीं रहने के लिए गहरी सिंचाई करनी चाहिएI चौथी सिंचाई फलियां बनते समय 70-75 दिन बाद तथा पांचवी सिंचाई दाना बनने के बाद दाना भरते समय करना होता है।
खरपतवार प्रबंधन- खरपतवार भी नियंत्रण जरूरी होता हैI अच्छी पैदावार लेने के लिए निराई-गुडाई, खरपतवार निकलना बहुत ही आवश्यक हैI रसायनों द्वारा खरपतवार नियंत्रण के लिए पेंडीमिथिलिन 30 प्रतिशत की 3.3 लीटर या एलाक्लोर 50 प्रतिशत की चार लीटर मात्रा प्रति हैक्टेयर की दर से 800-1000 लीटर पानी में घोलकर बुवाई के 2-3 दिन तक और बीज जमाव से पहले छिड़काव करना जरूरी होता है।