ये किसान सहफसली खेती कर कमा रहा बेहतर मुनाफा 

सहफसली खेती

मोविन अहमद, गाँव कनेक्शन

लखनऊ। “हमारे पास खेती योग्य जमीन कम है। हम पहले धान और गेहूं की फसल की खेती किया करते थे फसल जब अच्छी होती थी तो सही दाम नहीं मिलते थे और खराब हो जाने पर अधिक नुकसान होता था। दोनों ही तरफ से हमें ही नुकसान झेलना पड़ता था। फिर मैंने अपने दो बीघे खेत में सब्जियों की बुवाई की फसल तैयार होने पर मैंने उसे मंडी में थोक दाम पर ना बेचकर क्षेत्रीय बाजारों में फुटकर दाम पर बेचना शुरू किया। जिससे मुझे लाभ मिला और मेरी आर्थिक स्थिति सुधरी, “ऐसा कहते हैं 56 वर्षीय हरिसेवक मौर्य।

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जिले के बछरावां ब्लॉक से पांच किलोमीटर पूर्व दिशा में ग्राम सभा थुलेंडी में हरीसेवक मौर्या ने छोटी जोत वाले किसानों को अधिक कमाई का रास्ता दिखाया है। जिन किसानो के पास कृषि योग्य भूमि कम है वह किसान मौसम और समय को देखते हुए क्रमानुसार सब्जियों की खेती करें और क्षेत्रीय बाजारों में फुटकर दाम पर बेचे तो प्रतिदिन के हिसाब से 400 से 500 रुपए तक कमा सकते हैं।

मौसम के अनुसार करते हैं सब्जियों की की खेती

हरिसेवक मौर्य बताते हैं, “मैं हमेशा मौसम के अनुसार मौसमी सब्जियों की बुवाई करता हूं जो कि मौसम के साथ अच्छी तरह से तैयार हो जाती हैं। और क्षेत्रीय बाजारों में आसानी से बिक जाती हैं। इस समय मेरे पास खेतों में बैंगन, मूली, और पालक तैयार हैं। जिसे मैं प्रतिदिन तोड़कर क्षेत्रीय बाजारों में जाकर भेज देता हूं जैसे ही यह तीनों फसलें समाप्ति की ओर होंगी तो दूसरी तरफ टमाटर, गोभी, मिर्च और लहसुन तैयार हो जाएंगे और यह फसले जब समाप्ति की ओर होंगी तब तक आलू, सीताफल, और लौकी तैयार हो जाएगी। इस तरह से मैं हर रोज़ सब्जिया तोड़कर बाजार में फुटकर दाम पर बेचकर चार-पांच सौ से हज़ार रुपए तक कमा लेता हूं।

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सहफसली तकनीक से करते हैं सब्जियों की बुवाई

आधुनिक कृषि में सह फसली खेती को अधिक बढ़ावा दिया जा रहा है। जिस से प्रेरित होकर प्रदेश के कई किसान केले के साथ फूल, गन्ने के साथ टमाटर जैसी सहफसली खेती करते हैं। इन्हीं से प्रेरित होकर हरिसेवक अपने छोटे से खेत में कई तरह की सहफसली सब्जियां उगाते हैं।

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हरि सेवक बताते हैं-एक ही खेत में एक साथ कई तरह की सब्जियां उगाने से समय और लागत बहुत ही कम हो जाती है और मुनाफा दोगुना होता है। बस हमें ऐसी फसलों का चुनाव करना होता है जिसमें खाद-पानी और दवाएं एक जैसी लगे। मैंने दो बिसवा खेत में गोभी और सौफ बोई है। पाँच बिसवा खेत में पालक, मूली और सीताफल की बुवाई की है। इनमें मेरी लागत बहुत ही कम आती है। एक फसल को पोषक तत्व देता हूं तो वह अपने आप दूसरी फसल तक पहुंच जाता है। इस तरह खर्च एक फसल पर करके दो या तीन फसलों का लाभ कमा लेता हूं।

राजकीय बीज भंडार के प्रभारी वीरेन्द्र सिंह बताते हैं, “हम किसानों की आय बढ़ाने के लिए हर संभव कोशिश करते रहते हैं। ताकि किसान सशक्त और मजबूत बने। हम किसानों को पारंपरिक खेती के साथ कुछ नकदी फसलों की बुवाई के लिए प्रेरित करते हैं। जिससे उनकी आमदनी होती रहे और फसलों में लगने वाली लागत फसलों से ही कमाकर लगाएं। क्षेत्रीय किसान हरसेवक मौर्या से प्रेरणा लें और सब्जियों की नगदी फसलों को बढ़ावा दें।”

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