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औषधीय गुणों से भरपूर है तंबाकू की ये किस्म, मिलेगा अधिक उत्पादन

चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने हुक्का तम्बाकू की एक नई किस्म विकसित की है, जिससे अब तम्बाकू से दवाएं बनेगी।
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लखनऊ। तम्बाकू की खेती किसानों के लिए कम समय व कम लागत में ज्यादा मुनाफा देने वाली फसल होती है। वैज्ञानिकों ने तंबाकू की एक ऐसी किस्म विकसित की है जिससे उत्पादन तो ज्यादा मिलेगा ही साथ ही इसमें निकोटिन की मात्रा ज्यादा होने से इसका इस्तेमाल एंटी बैक्टीरियल और एंटी फंगल दवाएं बनाने में किया जाएगा।


चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने हुक्का तम्बाकू की एक नई किस्म विकसित की है, जिससे अब तम्बाकू से दवाएं बनेगी। एआरआर-27 ‘रवि’ नाम की इस तम्बाकू में शोध में पाया गया कि निकोटिन की मात्रा ज्यादा होने से इसका इस्तेमाल एंटी बैक्टीरियल और एंटी फंगल दवाएं बनाने में किया जाएगा। साथ ही औषधीय गुणों के साथ यह फसलों में लगने वाले कीड़ों से भी बचाएगा।

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विश्वविद्यालय के कृषि प्रसार विभाग के निदेशक डॉ. एचजी प्रकाश इस किस्म के बारे में बताते हैं, “विश्वविद्यालय की तरफ से कानपुर नगर के अरौल में तंबाकू रिसर्च स्टेशन बनाया गया है जो केंद्रीय तंबाकू शोध संस्थान, राजामुंदरी, आंध्र प्रदेश के साथ मिलकर तंबाकू पर नए-नए शोध करता रहता है। वहीं पर इस इस किस्म को विकसित किया गया है।”

देश का लगभग 85 प्रतिशत तम्बाकू का उत्पादन क्षेत्र मात्र चार राज्यों आन्ध्र प्रदेश (36 प्रतिशत), कर्नाटक (24 प्रतिशत), गुजरात (21 प्रतिशत) और बिहार (4 प्रतिशत) में है। आज विश्वभर में अमेरीका तथा चीन के बाद बड़े पैमाने पर तम्बाकू पैदा करने वाला तीसरा देश भारत है। हर साल करीब 45 करोड़ रुपए तम्बाकू की खेती से उत्पादकों को मिलते हैं।

तंबाकू को तीन भागों में बांटा जाता है, एक हुक्का तंबाकू, सिगार तंबाकू और चबाने वाला तंबाकू, ये किस्म हुक्का तंबाकू किस्म का है। कानपुर नगर के अरौल में इस नई किस्म एआरआर-27 ‘रवि’ की कई किसानों ने खेती भी शुरु की है, किसानों के बीच अच्छा परिणाम भी आया है।


वो आगे बताते हैं, “विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों और केंद्रीय तंबाकू शोध संस्थान के संयुक्त रूप से विकसित की गई नई प्रजाति के अच्छे रिजल्ट आए हैं। इसकी पत्तियों का साइज भी बड़ा होता है और दूसरी किस्मों के मुकाबले उत्पादन भी अधिक है, इसमें 34 कुंतल प्रति हेक्टेयर पैदावार होती है।”

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तंबाकू का इस्तेमाल शुरू से कई तरह की दवाइयां बनाने में होता है, इस किस्म में निकोटिन की मात्रा ज्यादा होने से इसका इस्तेमाल एंटी बैक्टीरियल और एंटी फंगल दवाएं बनाने में किया जा सकता है। डॉ. एचजी प्रकाश कहते हैं, “इसकी पत्तियां देखने में अच्छी होती हैं, जिसमें निकोटीन की मात्रा आम तम्बाकू से बहुत ज्यादा है।4 से लेकर 4.5 तक की मात्रा शोध में पाई गई है।”

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