यूपी के गोण्डा जिले में किसानों को कमाई का जरिया बन रही ये फसल, दूसरे राज्यों के व्यापारी आते हैं खरीदने

Divendra SinghDivendra Singh   29 April 2017 3:35 PM GMT

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यूपी के गोण्डा जिले में किसानों को कमाई का जरिया बन रही ये फसल, दूसरे राज्यों के व्यापारी आते हैं खरीदनेतम्बाकू की खेती कम समय व कम लागत में ज्यादा मुनाफा देने वाली फसल है।

गोण्डा। तम्बाकू की खेती किसानों के लिए कम समय व कम लागत में ज्यादा मुनाफा देने वाली फसल है।गोण्डा जिले में बड़ी मात्रा में तम्बाकू की खेती की जाती है। जिले के तरबगंज तहसील क्षेत्र के नवाबगंज, वजीरगंज, तरबगंज व बेल्सर ब्लॉक क्षेत्र में करीब 20 हजार हेक्टेयर क्षेत्रफल में किसान तम्बाकू की खेती करते हैं। गोण्डा के इन किसानों से तम्बाकू खरीदने बिहार और झारखंड तक के व्यापारी आते हैं।

वजीरगंज ब्लॉक के सहजनी चौकी गाँव के किसान विनोद सिंह (45 वर्ष) ने इस बार पंद्रह बीघे में तम्बाकू की फसल बोई थी। विनोद बताते हैं, "तम्बाकू की खेती में बहुत फायदा है, इसमें लागत भी बहुत ज्यादा नहीं लगती है और इसे नीलगाय नुकसान भी नहीं पहुंचाती हैं।"

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विनोद आगे बताते हैं, "इसकी फसल कम समय में तैयार हो जाती है और इसे बेचने के लिए हमें इधर-इधर भटकना भी नहीं पड़ता है, व्यापारी यहीं पर आकर तम्बाकू खरीद ले जाते हैं।"

इस समय तम्बाकू की फसलें खेत में भी हैं और जिनकी फसल तैयार हो गयी हैं, उन्होंने सुखाने के लिए रख दी है। खाने वाली तम्बाकू की फसल 120 दिनों में, बीड़ी वाली तम्बाकू की फसल 140 से 150 दिनों में और सिगार व चुरुट वाली तम्बाकू की फसल 90 से 100 दिनों में कटाई के लायक हो जाती है।

सहजनी चौकी गाँव के ही अजीत सिंह बताते हैं, "जब पौधे हरे होते हैं तभी इनकी कटाई कर लेते हैं। कटाई के बाद तीन दिन तक इन्हें खेत में ही छोड़ देते हैं।" जब पत्तियां पीली पड़ जाती हैं तो उन्हें खेत से उठाकर सही जगह पर दोबारा फैला कर सूखने के लिए छोड़ देते हैं। सूखने के दौरान तम्बाकू में नमी व सफेदी जितनी ज्यादा आती है उतना ही अच्छा गुण, रंग, स्वाद व गंध पैदा होती है। ऐसे में तम्बाकू की पलटाई समय से करते रहना चाहिए, इससे इसका बढ़िया दाम मिलता है।

तम्बाकू की एक एकड़ फसल के लिए करीब 15000 रुपए की लागत आती है, जबकि एक एकड़ से फसल अच्छी होने की दशा में चार महीने में करीब एक-डेढ़ लाख रुपए की आमदनी हो जाती है।
विजय सिंह, किसान

एक हफ्ते तक सुखाने के बाद पत्तियों में चीरा लगाकर अलग-अलग किया जाता है। उसके बाद कुछ दिनों के लिए पत्तियों को पॉलीथीन से ढंक कर सुगंध पैदा करने के लिए छोड़ दिया जाता है। जब उन में अच्छी सुगंध उठने लगती है, तो इस की गठिया बांध कर इसमें पानी का छिड़काव कर के छटका जाता है। जब इस में सफेदी आने लगे तो यह मान लिया जाता है कि तंबाकू की गुणवत्ता अच्छी स्थिति में हो गई है।

किसान विजय सिंह कहते हैं, "तम्बाकू की एक एकड़ फसल के लिए करीब 15000 रुपए की लागत आती है, जबकि एक एकड़ से फसल अच्छी होने की दशा में चार महीने में करीब एक-डेढ़ लाख रुपए की आमदनी हो जाती है।"

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