मधुमक्खी पालन व्यवसाय को खेती किसानी से जुड़े लोग या फिर बेरोजगार लोग अपनाकर एक साल में लाखों की कमाई कर सकते है। इस व्यवसाय को कम लागत में छतों में, मेड़ों के किनारे, तालाब के किनारे किया जा सकता है।
”जिन किसानों की जोत छोटी है वह खेती बाड़ी के साथ-साथ मधुमक्खी पालन व्यवसाय को आसानी से कर सकते हैं। ज्यादातर लोग इस व्यवसाय को इसलिए नहीं करते हैं क्योंकि उनको लगता है मधुमक्खियां तो डंक मारती है। ” ऐसा बताते हैं, आज़मगढ़ जिले के कोटवा केवीके के वैज्ञानिक प्रोफेसर डॉ. आर पी सिंह।
मधुमक्खी पालन शुरू करने के बारे में डॉ सिंह बताते हैं, ”शुरूआती दौर में पांच कलोनी (पांच बाक्स) से शुरू कर सकते है एक बॉक्स में लगभग में चार हजार रुपए का खर्चा आता है तो अगर आप पांच ऐसे बॉक्स लेंगे तो बीस हजार रुपए का खर्चा आता है। इनकी संख्या को बढ़ाने के लिए समय समय पर इनका विभाजन कर सकते हैं। अगर ठीक से विभाजन से कर लिया तो एक साल में 20000 हजार बक्से तैयार किए जा सकते हैं। दिल्ली में नेशनल बी बोर्ड से प्रमाणित संस्थाएं है उनसे आप मधुमक्खियों को खरीद सकते है। उद्यान विभाग से भी ले सकते है। कृषि विज्ञान केंद्र से भी मधुमक्खी ले सकते है।”
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देश में चार प्रकार की मधुमक्खियों की प्रजाति पाई जाती है जिसमें यूरोपियन इटेलियम बी है इसका मधुमक्खी का पालन काफी आसानी से पाल सकते है क्योंकि वह बहुत शांत स्वभाव की होती है और एक परिवार की तरह उनकी संरचना होती है उस हिसाब से वह काम करती है। इन मधुमक्खियों का अंधेरे में छत्ता होता है और सामांतर छत्ते यह लगाती है।
भारत शहद उत्पादन के मामले में अभी पांचवें स्थान पर है। किसानों की आय बढ़ाने करने के लिए और मधुमक्खी पालन को बढ़ावा देने के लिए देश के कई संस्थान इस व्यवसाय की ओर ध्यान दे रहे है। किसी मान्यता प्राप्त से संस्थान से प्रशिक्षण लेकर इस व्यवसाय को शुरू किया जा सकता है।
मधुमक्खियों पालन के बारे में जानकारी देते हुए प्रोफेसर सिंह ने गाँव कनेक्शन को बताया, ”जब कोई किसान मधुमक्खी को शुरू करता है तो उसको आधुनिक और वैज्ञानिक विधि से करेगा तो शुद्वता के साथ शहद का उत्पादन कर सकते हैं। जो पेड़ वाली मक्खियां होती है जिनको हम सारंग मक्खियां कहते है उनका शहद निकालने का तरीका बड़ा ही क्रूर किस्म का है उसमें शहद निकालने के लिए पूरे छत्ते को जला देते है और वह छत्ता निकालकर उसका रस पूरी तरह से निचोड़ लेते है। उस रस में शहद के साथ-साथ पराग होते है वो भी आ जाते है और जो उनके अंडे बचे होते है घूल जाते है। जो कि बहुत ही अशुद्वता से भरा हुआ शहद होता है।”
रानी होती है इनके परिवार की सदस्य
मधुमक्खियां भी एक परिवार की तरह काम करती है। इनके परिवार में एक रानी होती है वो पूरे परिवार में एक होती है और उसका जो आकार होता है वो अन्य सदस्यों से काफी बड़ा होता है। क्योंकि उसके उदर में अंडे भरे होते है। वो केवल अपने बक्से में ही रहती है अपने जीवनकाल में एक बार उड़ान भरती है जब उसको निषेचन की जरूरत पड़ती है। इसमें नर सदस्य होते है इनका भी काम खाना होता है और निषेचन करना होता है। इनके परिवार में सबसे बड़ा काम है वो श्रमिक मक्खियों का होता है। इनके उम्र के हिसाब से इनके कार्य का अलग-अलग विभाजन होता है। यह अपने कोष्ठक होती है उनकी सफाई करती है वहां पहरेदारी का काम करती है। अपने छत्तों का निर्माण करती है और बाहर से जाकर जो पराग और पुष्परस है उसको इकट्ठा करके ले आती है। इस तरह से इनका काम विभाजित होता है। इस तरह इनके सामाजिक संगठन को अच्छी तरह समझा जा सकता है और मधुमक्खियों के बारे में यह कहा जाता है कि इनकी बड़ी रहस्यमयी दुनिया है।
मानव सभ्यता को बचाने के लिए मधुमक्खी पालन जरुरी
मानव जीवन में मधुमक्खी की महत्वता के बारे में डॉ. सिंह बताते हैं, “मानव सभ्यता को अगर ठीक ठाक रखना है तो मधुमक्खी के रक्षा करनी बहुत आवश्यक है। क्योंकि इससे शहद, मोम, रॉयल जैली तो मिलती ही है साथ ही यह हमारे जीवन के लिए उपयोगी है। विदेशों में कई डॉलर मे इनकी बिक्री की जाती है।” मधुमक्खियां परागण का काम करती है जो परागित पुष्प होते है उनके एक पुष्प से दूसरे पुष्प तक पराग को ले जाती है जिससे निषेचन क्रिया उनकी पूरी होती है। और इस तरह से हमारे बीज की संख्या भी बढ़ जाती है और उसकी गुणवत्ता भी बढ़ जाती है तो इस तरह से मधुमक्खी पालन बहुत ही बेहतर व्यवसाय है।
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आसानी से मिलता है बाजार
- शहद को बेचने के लिए बाजार में इधर उधर भटकना नहीं पड़ता है। इसका बाजार आसानी से उपलब्ध है। अगर बाजार नहीं है तो शहद की प्रोसेसिंग कराकर बहुत समय तक रखा जा सकता है। बड़ी-बड़ी कंपनियों भी शहद के गुणवत्ता की जांच करके खरीदती है।
- मधुमक्खी पालन करते समय इन बातों का रखे ध्यान-
- किसी प्रमाणित संस्था से ही मधुमक्खियों को खरीदे।
- आसपास पुष्पीय पौधों की उपलब्धता के बाद ही उन बॉक्स को रखें। तीन किलोमीटर तक यह पराग और पुष्प रस इकट्ठा करते हैं।
- अगर मधुमक्खियों को पराग और पुष्प रस मिलता रहे जिससे इनका जीवनयापन चलता रहे। क्योंकि पुष्प रस और पराग यह अपने जीवन के लिए भी लाती है और उसी से जो ज्यादा बचता है उसे कोष्ठकों में इकट्ठा करते हैं।
- वर्ष भर अगर मधुमक्खी पालनर करना है तो वर्षभर पुष्पीय पौधों की उपलब्धता सुनिश्चित कर लें।
- शांत जगह का चुनाव करें ज्यादा शोर न हो।
- आसपास बिजली के तार मोबाइल के टावर न हो क्योंकि इनका बहुत सा ऐसा काम होता है जो संचार के माध्यम से चलता है इसलिए यह परेशान होती है और काम ठीक से नहीं करती है।
- बरसात में पुष्पीय पौधों की उपलब्धता में कमी आ जाती है तो अलग से फीडिंग कराई जाती है जिसमें चीनी का शीरा देते है जिससे इनका सरवाईवल होता रहे । उस समय ज्यादा ध्यान देने की जरूरत होती है इसकी देखरेख करते रहे।
- बीमारियों की देख-रेख करते रहना चाहिए।
ऐसे करें दो परिवारों को अलग
अच्छे मौसम में मधुमक्खियों की संख्या बढ़ती है तो मधुमक्खी परिवारों का विभाजन करना चाहिए। ऐसा न किये जाने पर मक्खियां घर छोड़कर भाग सकती हैं। विभाजन के लिए मूल परिवार के पास दूसरा खाली बक्सा रखें और मूल मधुमक्खी परिवार से 50 प्रतिशत ब्रूड, शहद व पराग वाले फ्रेम रखे रानी वाला फ्रेम भी नये बक्से में रखे मूल बक्से में यदि रानी कोष्ठ हो तो अच्छा है। दोनों बक्सों को रोज एक फीट एक दूसरे से दूर करते जाएं और नया बक्सा तैयार हो जाएगा।