रामपुर, उत्तर प्रदेश। दीनपुर गांव के किसान 60 वर्षीय किसान रामबाबू बीमा वालों से मिलने जा रहे थे। “मैं यह देखने के लिए जा रहा हूं कि क्या मेरे नुकसान की भरपाई हो सकती है, “राम बाबू ने गांव कनेक्शन को बताया। रामपुर जिले में अचानक हुई तेज बारिश से उनकी उड़द की तैयार फसल बर्बाद हो गई। रामबाबू ने जुलाई और अगस्त के महीने में अपने लगभग 10 बीघा खेत में उड़द की बुवाई की थी।
रामबाबू आगे कहते हैं, “यह जल्दी तैयार होने वाली फसल है और तीन महीनों में तैयार हो जाती है, लेकिन बारिश से उड़द के फूल झड़ गए और फसल पानी में डूब गई।” किसानों के अनुसार उनकी 50 प्रतिशत फसल बर्बाद हो गई है।
“मुझे अपनी अगली फसल के लिए एक बार फिर से कर्ज लेना है। मेरे पास बैंक को चुकाने के लिए पहले से ही एक कर्ज है,” राम बाबू चिंतित थे। हालांकि उन्होंने कहा कि उनकी फसल का बीमा एक बैंक के साथ किया गया था, उन्होंने बताया इसलिए इसके बारे में कोई और जानकारी नहीं थी। उन्होंने कहा, “बैंक अधिकारी हमें कभी भी ठीक से नहीं समझाते हैं और मुझे केवल इतना पता है कि बीमा भुगतान के लिए पैसे काट लिए जाते हैं,” उन्होंने कहा।
उड़द की खेती अन्य फसलों की तरह व्यापक नहीं हो सकती है, लेकिन रामपुर में बड़ी संख्या में किसान हैं जो इसे अपनी मुख्य फसलों के साथ उगाते हैं, जबकि कुछ अन्य जैसे राम बाबू इसे विशेष रूप से उगाते हैं। इन किसानों को विशेष रूप से बहुत नुकसान हुआ है क्योंकि बेमौसम बारिश और कोसी और रामगंगा जैसी नदियों के बाढ़ के पानी के कारण उनकी उड़द की फसल को नुकसान पहुंचा है। राजारामपुर, दीनपुर, मनकारा और हरयाल में किसान विशेष रूप से प्रभावित हैं।
“बरसात में उड़द के फूल गिर गए। फंगस की भी पूरी संभावना है, और हम दाल नहीं बेच पाएंगे, “दीनपुर गाँव के एक किसान अंकित शर्मा ने भी गाँव कनेक्शन को बताया। उनके अनुसार 17, 18 और 19 अक्टूबर को रुक-रुक कर लेकिन भारी बारिश हुई थी।
राम बाबू की तरह, 25 वर्षीय अंकित बीमा की प्रक्रिया के बारे में अनिश्चित थे और यह कैसे काम करता है। “मैंने अपने किसान क्रेडिट कार्ड से कर्ज लिया, और ब्याज के साथ, बीमा राशि भी काट ली गई, “उन्होंने कहा। “मैं इसके पीछे की गिनती को कभी नहीं समझ सका, “अंकित ने सिर हिलाया।
पड़ोस के हरियाल गांव में, जहां कई किसान उड़द की खेती करते हैं, हालात ऐसे ही हैं। मोहम्मद साजिख ने उड़द के अपने 22-बीघा खेत में यह देखने की कोशिश कर रहा थे कि क्या वह किसी भी तरह फसल को बचा सकता है। “मेरी कटी हुई फसल अभी भी खुले मैदान में थी जब वह डाली गई। सब कुछ सड़ गया है, “उन्होंने गांव कनेक्शन को बताया।
मनकारा गांव के विशाल अग्रवाल ने बताया कि उड़द के ज्यादातर किसान उड़द की खेती उस मौसम के हिसाब से बढ़ाते या घटाते हैं। अग्रवाल के पास 28 बीघा जमीन थी, जिस पर उड़द की खेती होती थी।
“उड़द की दाल आमतौर पर अच्छी दर पर बिकती है। इससे अधिक, कई किसान इसे अपनी प्राथमिक फसलों के साथ उगाना पसंद करते हैं, क्योंकि उड़द मिट्टी में पोषण जोड़ता है, “53 वर्षीय अग्रवाल ने समझाया। अग्रवाल ने कहा, “किसान धान के साथ उड़द की बुवाई करते हैं और गेहूं की बुवाई से पहले इसकी कटाई कर ली जाती है।”
उनके अनुसार एक एकड़ उड़द से लगभग 16,000 रुपये की उपज होती है जिसमें 6000 रुपये प्रति एकड़ का लाभ भी शामिल है। “लेकिन जिनकी उड़द की फसल कटने के लिए तैयार थी, और जिन्होंने पहले ही फसल काट कर खेत में छोड़ दी थी, वे गंभीर संकट में हैं,” अग्रवाल ने कहा, जिन्होंने अपनी उड़द की फसल का पचास प्रतिशत बारिश में खो दिया था।
अग्रवाल ने हर साल अपने फसल बीमा का नवीनीकरण कराया, लेकिन इस बार नहीं। “जब मेरी फसल खराब हुई तो मुझे कभी कोई बीमा राशि नहीं मिली। इसलिए, मैंने इस बार अपनी फसलों का बीमा नहीं कराया, “उन्होंने कहा।
रामपुर में किसान उड़द की खेती सिर्फ इसलिए नहीं कर रहे हैं क्योंकि यह जल्दी उगने वाली फसल है, बल्कि इसलिए भी कि यह मिट्टी में पोषण जोड़ती है। हालांकि इस साल हुई बारिश ने उड़द के किसानों के लिए कयामत ला दी है।
जिले के कृषि अधिकारी नरेंद्र पाल ने गांव कनेक्शन को बताया कि रामपुर में लगभग 3,500 हेक्टेयर भूमि पर उड़द की खेती होती है। उन्होंने कहा कि प्रभावित क्षेत्र ज्यादातर बिलासपुर, स्वर, टांडा, मिलाक, शाहाबाद और सदर में हैं। पाल ने उड़द की फसल को हुए नुकसान को स्वीकार करते हुए प्रभावित किसानों को मदद का आश्वासन दिया। “अब तक यह अनुमान लगाया गया है कि उड़द की पंद्रह प्रतिशत तक फसल खराब हो गई है। फसल बीमा वाले किसानों को बीमा कंपनी द्वारा मुआवजा दिया जाएगा, और संबंधित तहसीलों द्वारा उनकी भूमि का सर्वे किए जाने के बाद उन्हें मदद की जाएगी, “उन्होंने कहा।
अनुवाद: संतोष कुमार