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एक शहर जिसने छत पर सब्ज़ी उगाकर दूर की बेरोज़गारी 

शहरी खेती

दक्षिण अफ्रीका के शहरों में खेती की एक विधा शांति से देश की शहरी गरीबी और बेरोज़गारी से लड़ रही है। दक्षिण अफ्रीका में लोग इसे शहरी खेती कहते हैं। जोहेनसबर्ग जैसे शहरों में 60 प्रतिशत तक सब्जी इसी छत वाली खेती से आती है। शहरी खेती और कुछ नहीं, बल्कि घरों की छत पर की जाने वाली खेती ही है जिसे शौकिया तौर पर भारत में भी बहुत से शहरी करते हैं। लेकिन बस अंतर तकनीक और फसलों के चुनाव और प्रबंधन का है।

बेरोजगारी मिटाने के लिए एक गंभीर औजार

अफ्रीका में छत पर की जाने वाली या रूफटॉप खेती का शौक नहीं, बल्कि बेराज़गारी मिटाने के एक गंभीर औज़ार की तरह इस्तेमाल किया जा रहा है। इसके लिए वहां के प्रशासन और शोधकर्ताओं ने मिलकर ऐसी फसलों और सब्ज़ियों के सुझाव और उन्नत बीज जारी किये जो आसानी से छत पर उगाई जा सकें। इसका असर भी जल्द ही दिखने लगा।

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एक छोटी सी सोच ने दिया रोजगार

अंतरराष्ट्रीय न्यूज़ चैनल अलजज़ीरा के अनुसार, अफ्रीका जैसे देश में जहां हर चार में से एक व्यक्ति बेरोज़गार है, इस छोटी सी सोच ने बहुतों को रोज़गार दिया है। भारत में भी रूफटॉप खेती को लेकर कई प्रयास किये गए। साल 2014-15 में कर्नाटक सरकार ने नागरिकों को बढ़ावा देने के लिए रूफटॉप तकनीक में इस्तेमाल होने वाली वस्तुओं पर छूट की घोषणा की थी।

भारत के लोगों को फिलहाल फायदा नहीं

इसी तरह राजस्थान में भी घर की छत पर सब्ज़ियां उगाने वाले लोगों को सब्सिडी की तोहफा देने की घोषणा की गई थी। हालांकि भारत में ये प्रयास एकीकृत रूप से अभी तक लागू नहीं किये जा सके हैं। संगठित न होने के कारण ही इनसे लोगों और बाज़ार को फायदा नहीं हो पा रहा है

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