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गेहूँ के बढ़िया उत्पादन के लिए अभी से कर लें ये तैयारी

पिछले कुछ वर्षों से बेमौसम बारिश तो कभी अचानक बढ़ते तापमान की वजह से गेहूँ के उत्पादन पर असर पड़ रहा है। भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के अनुवांशिक संभाग के डॉ राजबीर यादव किसानों को बता रहे हैं कि कैसे जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम किया जा सकता है।
wheat farming

आप कई साल से देखते आ रहे होंगे कि ज़्यादातर गेहूँ की फसल तेज़ बारिश या फिर तेज़ हवाओं के कारण गिर जाती है। इसके लिए किसानों को शुरू से ही कुछ बातों का ध्यान रखना होगा।

जैसे गेहूँ की सीधी बुवाई करनी चाहिए, जिसमें पहले धान की फसल लगाई गई थी उसी खेत में बुवाई करनी चाहिए। क्योंकि धान फसल अवशेष एक चैनल का काम करते हैं, इसके जरिए पानी चला जाता है। यानी पानी लंबे समय तक नहीं रुकेगा, जिसकी वजह से फसल की ग्रोथ नहीं रुकेगी और कम नुकसान होगा।

दूसरा; कोशिश करिए की ज़ीरो टिलेज ही बुवाई हो, क्योंकि जो फसल अवशेष होता है वो मिट्टी के तापमान को नियंत्रित रखता है, यानी जब तापमान ज़्यादा बढ़ेगा तो मिट्टी का भी बढ़ेगा, लेकिन नियंत्रित होता रहता है।

तीसरा, जब भी किसी किस्म की बुवाई करें तो ये ज़रूर ध्यान रखें कि उसकी टीलिंग कैपिसिटी (फुटाव) कितनी है, अगर किसी की क्षमता ज़्यादा है तो कम बीज इस्तेमाल करें। उदाहरण के लिए जैसे एचडी 3224, एचडी3298 किस्में हैं, इन दोनों की फुटाव की क्षमता बहुत ज़्यादा होती है, अगर अच्छी फ़सल लेनी है तो कम बीज का इस्तेमाल करें, जैसे 40 कर रहे हैं तो 35 करिए, 45 करते हैं तो 40 ही करिए।

कम बीज के इस्तेमाल से लागत भी कम लगती है और पौधों को बढ़ने की जगह भी मिल जाती है।

साथ ही अगर जल्दी बुवाई कर सकते हैं तो जल्दी करिए, इसके भी फायदे हैं; इससे जब मार्च-अप्रैल में अचानक से तापमान बढ़ता है तब आपकी फ़सल तैयार होगी, बढ़े तापमान का असर नहीं पड़ेगा।

एक बात और हर साल का मौसम अलग होता है, पहले से कोई अनुमान नहीं लगा सकते हैं, इसलिए सही किस्म का चुनाव करें। जिससे समय से बढ़िया उत्पादन मिल जाए। 

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