आप भी पाल सकते हैं शांत स्वभाव की ये मधुमक्खियां

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आप भी पाल सकते हैं शांत स्वभाव की ये मधुमक्खियांजो नए किसान मधुमक्खी पालन को अपना व्यवसाय बनाना चाहते हैं वो इटली की मधुमक्खियों (एपिस मैलीफेरा) के साथ इसकी शुरुआत कर सकते हैं।

रिपोर्टर- सुधा पाल

लखनऊ। खेती के साथ मधुमक्खी पालन को अपना व्यवसाय बनाकर आज किसान दोगुना मुनाफा कमा रहे हैं, जो नए किसान मधुमक्खी पालन को अपना व्यवसाय बनाना चाहते हैं वो इटली की मधुमक्खियों (एपिस मैलीफेरा) के साथ इसकी शुरुआत कर सकते हैं।

मधुमक्खी पालन के लिए उचित जानकारी के साथ प्रशिक्षित होना भी आवश्यक है। किसानों ने इसे खेती के साथ अपने व्यवसाय में शामिल किया है।

कम लागत में हो रहे अच्छे मुनाफे को देखकर अन्य लोग भी इसके लिए प्रोत्साहित हो रहे हैं। ये लोग कोई किसान नहीं हैं लेकिन मधुमक्खी पालन में दिलचस्पी ले रहें हैं। साधारण लोगों में मधुमक्खियों को लेकर वैसे भी डर होता है कि कहीं ये मक्खियां उन्हें किसी तरह का नुकसान न पहुंचा दें। ऐसे लोग इटली की मधुमक्खियों के साथ मधुमक्खी पालन की शुरुआत कर सकते हैं क्योंकि ये शांत स्वभाव की होती हैं और कम काटती हैं।

यहां से प्राप्त की जा सकती हैं ये मधुमक्खियां

इन मधुमक्खियों को पालक एपीकल्चर (मधुमक्खीपालन) से जुड़ी संस्थाओं से व्यवसाय के तौर पर खरीद सकते हैं। इसके लिए खरीद के बाद सरकार की तरफ से पालकों को 50 फीसदी सब्सिडी डीबीटी (डायरेक्ट बेनीफिट ट्रांसफर) के जरिए पालकों को उनके बैंक खातों में दी जाती है। मधुमक्खियों के साथ पालकों को पालन संबंधित उपकरण भी दिए जाते हैं जिसमें बक्सों की सफाई के लिए उपकरण भी मौजूद रहते हैं। उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग, उप के वरिष्ठ स्रोत सहायक अमृत वर्मा के अनुसार ये मधुमक्खियां शहद का अधिक उत्पादन नहीं कर पाती हैं। इसके बावजूद इनका शुरुआती तौर पर उपयोग किया जा सकता है। इसके लिए पालक छोटे स्तर पर पालन का अनुभव लेने के लिए केवल एक बक्से के साथ इन मधुमक्खियों का पालन कर सकता है।

मधुमक्खियों की किस्में

  • एपिस फ्लोरिया

(यूरोप की मधुमक्खी)

  • एपिस मैलीफेरा

(इटली की मधुमक्खी)

  • एपिस सेरोनाइंडिका
  • एपिस डोरसाटा

प्रदेश के गोसाईंगंज और मोहनलालगंज में अच्छा शहद उत्पादन हो रहा है। गोसाईंगंज के 1000 परिवार इस व्यवसाय से जुड़े हुए हैं और मोहनलालगंज में भी लगभग 50 परिवार इस व्यवसाय में शामिल हैं। कुल मिलाकर लगभग 10 क्विंटल तक शहद उत्पादन हो सकता है।
डीके वर्मा (डीएचओ, उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग, उ.प्र.)

ठंड की वजह से परागण में आती है कमी

मौसम में आए बदलाव और बढ़ रही ठंड का मधुमक्खियों के साथ शहद के उत्पादन पर भी असर देखने को मिलता है। इसी के साथ ज्यादा ठंड और कोहरे के कारण मधुमक्खी पालकों पर भी इसका बुरा प्रभाव पड़ता है। परागण के लिए लगभग तीन महीने तक सरसों के फूलों पर मक्खियों का काम चलता है। ठंड के कारण मधुमक्खियां बॉक्स से बाहर नहीं निकल पाती हैं, जिसकी वजह से मधुमक्खियों को फ्लोरा की कमी होने पर पराग उपलब्ध नहीं हो पाता है परागण की कमी से उत्पादन में कमी आती है। इसके लिए मधुमक्खियों को पराग खिलाया जाता है जिसे पहले से ही फूलों से निकालकर सुखा लिया जाता है। इसके अतिरिक्त मोनीरोटी को चीनी और पानी के घोल के साथ मधुमक्खियों को दिया जाता है। मोनीरोटी मकरंद और पराग का मिश्रण होता है। इससे मधुमक्खियों की प्रजनन क्षमता बढ़ती है। पालक को मक्खियों को कुछ समय के लिए घोल देना चाहिए।

मक्खियों को कैसे रखें ठंड से सुरक्षित

मक्खियों को ठंड से बचाने के लिए दो फ्रेम वाले बक्सों का उपयोग नहीं करना चाहिए। इन दो फ्रेम वाले बक्सों को आपस में मिला कर चार फ्रेम का बक्सा तैयार कर लेना चाहिए। बक्सों में चार फ्रेम लगाने के बाद बची हुई जगह को थर्माकोल या अन्य किसी चीज से ढक देना चाहिए जिससे बॉक्स सभी जगहों से बराबर से बंद हो सकें। इससे मधुमक्खियों को ठंड से सुरक्षित रखा जा सकता है।

     

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