ख़बर का असर: संसद में गूंजा यूपी के स्कूलों की बिजली कटने का मुद्दा

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ख़बर का असर: संसद में गूंजा यूपी के स्कूलों की बिजली कटने का मुद्दाgaonconnection, ख़बर का असर: संसद में गूंजा यूपी के स्कूलों की बिजली कटने का मुद्दा

नई दिल्ली/लखनऊ। बिल न चुकाने पर सरकारी स्कूलों की बिजली काटे जाने का मामला शुक्रवार को संसद में गूंजा। हापुड़ लोकसभा के सांसद राजेंद्र अग्रवाल ने कनेक्शन काटे जाने को बच्चों के लिए दुखदाई बताते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश में प्राथमिक शिक्षा का हाल बुरा है।

सांसद राजेंद्र अग्रवाल ने लोकसभा के शून्यकाल में सरकारी स्कूलों में बिल न जमा होने पर स्कूलों की बिजली काटे जाने का मुद्दा उठाते हुए कहा, “उत्तर प्रदेश में भवन, सफाई और शिक्षकों का मामला तो है कि बिजली अलग से नहीं आ रही। इतनी गर्मी में बच्चों का पढ़ना मुश्किल हो रहा है।

दिल्ली से गाँव कनेक्शन से फोन पर सांसद राजेंद्र अग्रवाल ने कहा, “सरकार करोड़ों रुपये खर्च कर प्राथमिक स्कूलों पर कापी-किताबें ड्रेस देती है, लेकिन बच्चे 40-42 डिग्री तापमान में स्कूलों में तप रहे हैं क्योंकि बिल न जमा होने से बिजली काट दी गई है। बिल देना विभाग और प्रशासन की जिम्मेदारी है। हापुड़-मेरठ समेत पूरे प्रदेश में प्रथामिक शिक्षा की हालत बड़ी डांवाडोल है।”

गाँव कनेक्शन ने 18 अप्रैल को स्कूलों में बिजली न होने और बिल न चुकाए जाने के मुद्दे को प्रमुखता से प्रकाशित किया था। मेरठ के 1516 विद्यालयों में से करीब 1500 में बिजली नहीं है। मेरठ के स्कूलों पर करीब डेढ़ करोड़ का बिल बाकी है।

मेरठ के बेसिक शिक्षा अधिकारी श्रवण कुमार यादव ने कहा था, ‘’हम क्या कर सकते हैं अपने पास से तो बिल जमा करेंगे नहीं काफी बार शासन को इस बात से अवगत कराया जा चुका है, जब बजट आएगा तो जमा करेंगे।”

लखनऊ और बाराबंकी, रायबरेली, सीतापुर समेत कई जिलों के अधिकांश स्कूलों में पंखे लगे हैं लेकिन कईयों में कनेक्शन तो नहीं हुआ, तो जहां कनेक्शन हैं वहां बिल न देने पर कनेक्शन काट दिया गया है। 

लखनऊ में बीएसए दफ्तर की बिजली ही एक महीने तक कटी रही है। वर्ष 2008 में सर्व शिक्षा अभियान के तहत प्राथमिक और पूर्व माध्यमिक विद्यालयों में बिजली पहुंचाने की कोशिश शुरू हुई थी, लेकिन आठ साल बाद भी सभी स्कूलों में बिजली पहुंचाने का लक्ष्य पूरा नहीं हो पाया है।

 

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