कई बीमारियों का इलाज गौमूत्र की मांग बढ़ी

दिति बाजपेईदिति बाजपेई   21 July 2016 5:30 AM GMT

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कई बीमारियों का इलाज गौमूत्र की मांग बढ़ीgaonconnection

लखनऊ। गाय के मूत्र में पाए जाने चिकित्सकीय गुणों के चलते आने वाले दिनों में गौमूत्र की मांग बढ़ सकती है। 

आयुर्वेद और दूसरी चिकित्सकीय पद्तियों में गौमूत्र का इस्तेमाल बढ़ने से इसकी मांग बढ़ने लगी है। देश में कई जगह काऊ यूरिन थेरेपी क्लीनिक भी खुल गए हैं। इंदौर में काऊ यूरिन थेरेपी क्लीनिक के चेयरमैन और डॉक्टर वीरेंद्र जैन बताते हैं, लोग का भरोसा इस पर बढ़ा है। अब लोग मधुमेह, कैंसर, टीबी, मिर्गी और एड्स और माइग्रेन जैसी बीमारियों का इलाज कराने के लिए हमारे यहां आने लगे हैं। अगर ऐसे ही रहा तो आने वाले समय में आधे से ज्यादा मरीज़ दवाईयों को छोड़कर गौमूत्र से इलाज कराएंगे।"

डॉ. जैन का दावा है कि पिछले 18 वर्षों में वो 12 लाख से ज्यादा मरीजों का इलाज इससे कर चुके हैं। वो बताते हैं, "हमारे पास गौमूत्र की इतनी ज्यादा डिमांड है कि हम उसे पूरा नहीं कर पा रहे हैं। आसपास के जिलों की 20 गोशालाओं से हम लोग करीब 25 हजार लीटर गोमूत्र खरीदते हैं। जबकि कई गोशालोँ से बात चल रही है।"

गिर नस्ल की गायों के मूत्र में निकला था सोना

पिछले दिनों गुजरात में जूनागढ़ एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने शोध में पता चला था कि देशी नस्ल की गिर गाय के एक लीटर मूत्र में 10 मिलीग्राम तक सोना होता है। भारत में पहले भी आयुर्वेदिक दवाओं में गौमूत्र का इस्तेमाल होता है। एक ओर जहां गौमूत्र की मांग में लगातार तेज़ी हो रही है वहीं नरेंद्र मोदी सरकार ने दुधारू पशुओं के संरक्षण और गौमूत्र समेत उनसे मिलने वाली चीज़ों पर आधारित उद्योगों की मदद के लिए व्यापक कार्यक्रम तैयार किए। इन कार्यक्रमों से भी गौमूत्र के व्यापार को बढ़ावा मिला है। 

कान्हा उपवन भी एकत्र करेगा गोमूत्र

लखनऊ स्थित कान्हा उपवन गौशाला के सचिव यतिंद्र त्रिवेदी बताते हैं, "गौमूत्र से बने उत्पादों की बढ़ती मांग को देखते हुए हम लोग इस गौमूत्र को इकट्ठा करना शुरु कर रहे हैं। अभी हमारी गौशाला में 1600 पशु (गाय-बैल) हैं। अगर इनमें गायों का गौमूत्र इकट्ठा करेंगे तो रोज दो हजार लीटर से ज्यादा एकत्र करेंगे। इसके लिए पूरी रणनीति बना ली है जल्द ही गौमूत्र इकट्ठा करके उनके उत्पाद बनाकर बाजार में बचेंगे।" 

गौमूत्र की विशेषता के बारे में यंतिद्र बताते हैं, "गाय एक समय के बाद दूध देना बंद कर देती है लेकिन गोबर और गौमूत्र जन्म से मरने तक देती है। गौमूत्र को लोग खेती में भी प्रयोग कर रहे है, जिससे भी इसकी मांग में वृद्धि देखी गई है। काफी लोग गौमूत्र से बने मंजन, शैम्पू जैसी कई चीजों का इस्तेमाल भी कर रहे हैं।" 

पतंजलि गौमूत्र के सबसे बड़े खरीदारों में शामिल है। इसके अलावा देश की कई जगहों पर गौमूत्र थैरेपी हेल्थ क्लीनिक खुले हैं, जिनके ज़रिए हज़ारों मरीजों का इलाज के दावे किए जा रहे हैं।

 

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