कीटों व रोग से बचाएं अपनी आलू की फसल

vineet bajpaivineet bajpai   13 Jan 2016 5:30 AM GMT

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कीटों व रोग से बचाएं अपनी आलू की फसलगाँव कनेक्शन, खेती किसानी

लखनऊ। कीट हों, रोग हों या खरपतवार इनका प्रकोप अगर फसल पर हो गया तो ये पूरी फसल को बर्बाद कर देते हैं। इस लिए किसानों को हमेशा सतर्क रहना चाहिए और जैसे ही इनमें से किसी भी चीज का प्रकोप होना शुरू हो तुरन्त उसका उपचार करना चाहिए। इस संकलन के माध्यम से हम आपको बताने जा रहे हैं कि आलू की फसल में कौन से कीट व रोग लगते हैं, उनको कैसे पहचाने और क्या उपचार करें?

रोग उपचार

प्राय: आलू की फसल में झुलसा रोग लगता है। यह रोग पौंधो की पत्तियों, डंठलों, एवं कन्दो सभी पर लगता है, इस रोग के लक्षण पत्तियों में हलके पीले धब्बे दिखाई देते हैं। पत्तियों के निचले भाग पर इन धब्बो में अंगूठी नुमा सफेद फफूंदी आ जाती है, फसल में लक्षण दिखाई देने के पूर्व मैन्कोजेब 0.2 प्रतिशत का घोल बना कर छिड़काव 8-10 दिन के अन्तराल पर करते रहना चाहिए, फसल में भयंकर प्रकोप होने पर मेटालेक्सिल युक्त दवाओं में 0.25 प्रतिशत के घोल का 1-2 बार छिड़काव करना अति आवश्यक है।

कीट उपचार 

रोग के साथ-साथ आलू की फसल में कीट भी अपना प्रभाव दिखातें हैं। कीट जैसे माहू या एफिड, माहू आलू की फसल में प्रत्यक्ष रूप से हानि नहीं पहुंचाता बल्कि रोग मुक्त बीज उत्पादन पर रोक लगाने में अहम भूमिका है। फसल को माहू से बचाने के लिए फोरेट 10 जी, 100 किग्रा प्रति हेक्टर की दर से मिट्टी चढ़ाने के समय प्रयोग करना चाहिए, जब फसल पर माहू का प्रकोप दिखाई पड़े तो डाईमीथोएट 30 ईसी की एक लीटर मात्रा 1000 लीटर पानी में घोलकर प्रति हेक्टर कि दर से आलू की फसल में छिड़काव करना चाहिए। इसके साथ साथ दूसरा कीट लीफ हापर आलू की फसल में लगता है। लीफ हापर केनिफ तथा प्रौढ़ हरी पत्तियों का रस चूसते हैं, इसकी रोकथाम के लिए मोनोक्रीटोफास 40 ईसी की 1.2 लीटर कि मात्रा को 1000 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें। आवश्यकता पडऩे पर दूसरा छिड़काव 10-15 दिन के अन्तराल पर करना चाहिए।

खरफतवार

जब आलू के पौधे 8-10 सेमी ऊचाई के हो जातें हैं, तो लाइनों के बीच स्प्रिंग टायिन कल्टीवेटर या खुरपी से खरपतवार निकालने का कार्य करे। मैदानी क्षेत्रो में आलू की फसल में खरपतवारों का प्रकोप बुवाई के चार से छह सप्ताह बाद अधिक होता है, खरपतवारों के रासायनिक नियंत्रण के लिए पेडामेथलिन 30 फीसदी का 3.3 लीटर मात्रा का 100 लीटर पानी में घोलकर बुवाई के 1-2 दिन बाद तक छिड़काव कर देना चाहिए।

 

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