अप्रैल महीने में बसंत कालीन गन्ने की बुवाई पूरी चुकी होती है, ऐसे में कई तरह के रोग और कीट लगने की संभावना भी बढ़ जाती है। उत्तर प्रदेश गन्ना शोध संस्थान ने गन्ना किसानों के लिए सलाह जारी की है।
बसंतकालीन गन्ने के पूर्ण जमाव के बाद अगर पंक्तियों में खाली जगह (60 सेमी से अधिक) हो तो वहाँ 2 या 3 गन्ने के टुकड़ों को लगाकर खाली जगह भर देनी चाहिए। इसी समय खेत की गुड़ाई कर दें और इसके एक सप्ताह बाद सिंचाई कर दें।
शरदकालीन गन्ने में बेधक कीटों से बचाव के लिए क्लोरएन्ट्रानिलिप्रोल (18.5 एससी) 375 मिली. प्रति हेक्टेयर की दर से अप्रैल के अन्तिम सप्ताह में 1000 लीटर पानी में घोल बनाकर गन्ने की जड़ो के पास ड्रेन्चिंग कर 24 घण्टें के अन्दर सिंचाई कर दें।
खरपतवार नियन्त्रण के लिए कस्सी, फावडे या कल्टीवेटर से गुड़ाइ करें। मजदूरों के कमी होने पर रासायनिक नियन्त्रण के लिए संकरी पत्ती वाले खरपतवारों का नियन्त्रण के लिए मैट्रीब्युजीन (70 डब्लू. पी.) 500 ग्राम और चौड़ी पत्ती वाले खरपतवारों के लिए 2-4 डी. (58 प्रतिशत ) 2.5 लीटर को 1000 लीटर पानी मे मिलाकर छिड़काव करें और मोथा घास की अधिक प्रचुरता की स्थिति में हालोसल्फयुरान मिथाइल (75 प्रतिशत) घुलनशील दाना 90 ग्राम तथा मैट्रीब्युजीन (70 डब्लू. पी.) 750 ग्राम प्रति हेक्टेयर 1000 ली. पानी में घोलकर छिड़काव कर दें।
इसी माह में गन्ने की पेड़ी और बावक फसलों में नत्रजन की एक-तिहाई मात्रा उचित नमी स्तर पर टॉप ड्रेसिंग कर दें।
सभी बेधक कीटों से बचाव के लिए फेरोमोन ट्रैप्स लगाएँ। ट्रैप्स पेस्ट कंट्रोल ऑफ इण्डिया के यहाँ उपलब्ध है।
इस समय खेतों में सभी रोगों के लक्षण प्रकट होने लगते हैं। इसलिए खेत का नियमित निरीक्षण करना चाहिए। रोग ग्रसित पौधों को खेत से निकालकर नष्ट कर दें।
रोगों के लक्षण
कंडुआ (स्मट): गन्ने के सिरे पर काली चाबुक जैसी संरचना दिखाई देगी।
पर्णदाह (लीफ स्कॉल्ड): नव-जनित पत्तियों में मध्य शिरा के समांतर सफेद धारियाँ दिखाई देंगी, पत्तियाँ बाद में सूखने लगेंगी।
घासी प्ररोह (ग्रासी शूट): पौधा घास जैसा दिखाई देगा और सभी पत्तियाँ सफेद हो जाती हैं।
पाइरिला: अप्रैल के अंतिम सप्ताह में खेत में पाइरिला दिखाई देने लगेगा। इसके नियंत्रण के लिए निचली पत्तियों के पृष्ठ भाग में धवल सफेद अंड समूह दिखाई देंगे ऐसी पत्तियों को काटकर नष्ट करें।
ब्लैक बग: इसी माह पेड़ी फसल में काला चिटका (ब्लैक बग) का प्रकोप होता है, जिससे फसल की पत्तियाँ पीली पड़ने लगती है। ऐसी अवस्था में 3 प्रतिशत यूरिया और प्रोफेनोफास 40 प्रतिशत $ साइपर 4 प्रतिशत 750 मिली प्रति हेक्टेयर 650 ली. पानी में घोलकर कट नाजिल से छिड़काव करें।