अरहर यानी तूर की खेती करने वाले किसानों के लिए काम की ख़बर है, अब उन्हें अपनी दाल बेचने के लिए इधर-उधर भटकना नहीं पड़ेगा।
तूर के किसानों के पंजीकरण, खरीद, भुगतान के लिए ई-समृद्धि पोर्टल की शुरुआत की गई है। भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन महासंघ (नेफेड) और भारतीय राष्ट्रीय उपभोक्ता सहकारिता संघ (एनसीसीएफ) द्वारा आयोजित कार्यक्रम में इसका शुभारंभ किया गया है।
पोर्टल के ज़रिए नेफेड व एनसीसीएफ के माध्यम से किसानों को एडवांस में रजिस्ट्रेशन कर तूर दाल की बिक्री में सुविधा होगी, उन्हें एमएसपी या फिर इससे अधिक बाजार मूल्य का डीबीटी से भुगतान हो सकेगा। पोर्टल को लांच करते हुए केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने कहा कि इस शुरूआत से आने वाले दिनों में किसानों की समृद्धि, दलहन उत्पादन में देश की आत्मनिर्भरता और पोषण अभियान को भी मजबूती मिलती दिखेगी।
केंद्रीय मंत्री ने आगे कहा कि किसानों के सहयोग से दिसंबर 2027 से पहले दलहन उत्पादन के क्षेत्र में भारत आत्मनिर्भर बन जाएगा और देश को एक किलो दाल भी आयात नहीं करना पड़ेगी।
दलहन उत्पादक किसानों को सटोरियों या किसी अन्य स्थिति के कारण उचित दाम नहीं मिलते थे, जिससे उन्हें बड़ा नुकसान होता था। इसके कारण वे किसान दलहन की खेती करना पसंद नहीं करते थे। जो किसान उत्पादन करने से पूर्व ही पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन कराएगा, उसकी दलहन को एमएसपी पर शत-प्रतिशत खरीद कर लिया जाएगा।
किसानों की आय बढ़ाने के लिए मोदी जी के नेतृत्व में सहकारिता मंत्रालय निरंतर संकल्पित है।
आज NCCF और NAFED के द्वारा विकसित वेब-पोर्टल का लोकार्पण किया।
तूर (अरहर) दाल का उत्पादन करने वाले किसानों की फसल को MSP पर खरीदने व त्वरित भुगतान के लिए बने इन पोर्टल से दलहन किसानों के… pic.twitter.com/lEzbMrDvJJ
— Amit Shah (@AmitShah) January 4, 2024
फसल आने पर अगर दाम एमएसपी से ज्यादा होगा तो उसकी एवरेज निकाल कर भी किसान से ज्यादा मूल्य पर दलहन खरीदने का एक वैज्ञानिक फार्मूला बनाया गया है।
भारत सरकार ने दलहन उत्पादन बढ़ाने के लिए कई पहल की हैं। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (एनएफएसएम)-दलहन को 28 राज्यों और जम्मू और कश्मीर व लद्दाख यूटी में कार्यान्वित किया जा रहा है।