एक बार किसान संगठन अपनी माँगों को लेकर दिल्ली जाने की तैयारी में हैं। हरियाणा और पंजाब के किसानों के साथ ही देश के अलग-अलग राज्यों के किसान भी 13 फरवरी को दिल्ली पहुँचेंगे।
उत्तर भारत के 18 किसान-मजदूर संगठन और संयुक्त किसान मोर्चा (गैर राजनीतिक) के संयुक्त आह्वान पर किसान इकट्ठा हो रहे हैं।
किसान नेता अभिमन्यु कोहाड़ गाँव कनेक्शन से बताते हैं, “किसानों के दिल्ली कूच की तैयारी के लिए हरियाणा और पंजाब के गाँव में हम जनसंपर्क कार्यक्रम कर रहे हैं; 24 जनवरी को पंजाब के रोपड़ में ट्रैक्टर रैली है, फिर 25 जनवरी को हरियाणा के सिरसा में, इसके बाद तीन फरवरी को हरियाणा के हिसार में किसान रैली का आयोजन किया गया है।”
वो आगे कहते हैं, “उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब के साथ ही तमिलनाडु और गुजरात जैसे राज्यों के किसान भी 13 फरवरी को दिल्ली पहुँच रहे हैं।”
13 फरवरी के किसानों के दिल्ली कूच की तैयारी के लिए हरियाणा में गाँव-गाँव तक सन्देश पहुंचाने के लिए जनसम्पर्क कार्यक्रम तय किये गए हैं।@ramanmann1974 @GaonSavera @GaonConnection @ABPNews @news24tvchannel @ANI @PTI_News @aajtak @kisanektamorcha pic.twitter.com/qkvvDcYsdp
— Abhimanyu Kohar (@KoharAbhimanyu) January 22, 2024
25 जनवरी को सिरसा में भारतीय किसान एकता और हरियाणा किसान एकता जैसे किसान संगठन मिलकर एक ट्रैक्टर रैली शुरु कर रहे हैं। जो गाँव-गाँव जाकर किसानों तक अपनी बात पहुँचाएगी और 13 फरवरी किसानों को दिल्ली ले जाने के लिए तैयार किया जाएगा।
“13 फरवरी का आंदोलन करो या मरो का आंदोलन है, अपनी अगली पीढ़ी को बचाने का आंदोलन है, अगर हम आज आगे नहीं आए तो अपनी अगली पीढ़ी से नज़र नहीं मिला पाएँगे,” किसान नेता अभिमन्यु कोहाड़ ने आगे कहा।
पिछले कई महीनों से किसान संगठन पंजाब में गाँव-गाँव जाकर किसानों तक अपनी बात पहुँचा रहे हैं।
इनकी ये प्रमुख माँगे हैं –
1) स्वामीनाथन आयोग के C2+50% फॉर्मूले के अनुसार किसानों की MSP पर खरीद की गारंटी का कानून बनाया जाए।
2) देश के किसान-मजदूरों का पूरा कर्ज़ माफ किया जाए।
3) 2015 में मॉडल एक्ट के माध्यम से 2013 के भूमि अधिग्रहण कानून में जो बदलाव किए गए हैं वो बदलाव वापस लिए जाएं और नए भूमि अधिग्रहण कानून के तहत हो रही किसानों की ज़मीन की लूट बन्द करी जाए।
4) लखीमपुर खीरी नरसंहार के दोषी गृह-राज्यमंत्री अजय मिश्रा टेनी और उनके बेटे को गिरफ़्तार किया जाए और घायल किसानों को मुआवज़ा दिया जाए।
5) भारत सरकार मुक्त व्यापार समझौतों पर रोक लगाए और भारत सरकार WTO से बाहर आए।
6) किसान आंदोलन की बची हुई माँगें पूरी की जाएँ और बिजली संशोधन बिल वापस लिया जाए।