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यूपी में दस कीटनाशकों के इस्तेमाल पर लगाई रोक; कहीं आप भी तो नहीं करते हैं इनका इस्तेमाल

बासमती चावल के निर्यात को बढ़ावा देने और इसे अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप बनाने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने 10 कीटनाशकों पर प्रतिबंध लगाया गया है।

अगर आप बासमती धान की खेती करते हैं तो आपके काम की ख़बर है। क्योंकि यूपी सरकार ने प्रदेश में दस कीटनाशकों पर प्रतिबंध लगा दिया गया है और इस आदेश को प्रदेश के 30 जिलों में लागू कर दिया गया है।

बासमती चावल के निर्यात को बढ़ावा देने और इसे अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप बनाने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने 10 कीटनाशकों पर प्रतिबंध लगाया गया है। इन कीटनाशकों के अवशेष चावल में पाए जा रहे थे, जिससे निर्यात प्रभावित हो रहा था।

बासमती चावल का निर्यात बढ़ाने और इसे अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुकूल बनाने के उद्देश्य से प्रदेश सरकार ने दस कीटनाशकों के प्रयोग को प्रतिबंधित किया है।

बासमती चावल में लगने वाले कीटों व रोगों की रोकथाम के लिए किसानों द्वारा कृषि रक्षा रसायनों का प्रयोग किया जाता है। इन रसायनों के अवशेष चावल में पाए जा रहे हैं, जिससे निर्यात प्रभावित हो रहा है।

एपीडा (एग्रीकल्चर एंड प्रोसेस्ड फूड प्रोडक्ट्स एक्सपोर्ट डेवलपमेंट अथारिटी) ने कृषि विभाग को जानकारी दी है कि यूरोपीय संघ द्वारा बासमती चावल में ट्राईसाइक्लाजोल का अधिकतम कीटनाशी अवशेष स्तर 0.01 पीपीएम (पार्ट्स पर मिलियन) निर्धारित किया गया है।

चावल में फफूंदनाशक रसायन ट्राईसाइक्लाजोल निर्धारित एमआरएल से अधिक पाए जाने के कारण इसके यूरोप, अमेरिका और खाड़ी देशों के निर्यात में कमी आई है।

30 जिलों में प्रतिबंधित हुईं कीटनाशक
यूपी के 30 जिलों आगरा, अलीगढ़, औरैया, बागपत, बरेली, बिजनौर, बदांयू, बुलंदशहर, एटा, कासगंज, फर्रुखाबाद, फिरोजाबाद, इटावा, गौतमबुद्धनगर, गाजियाबाद, हापुड़, हाथरस, मथुरा, मैनपुरी, मेरठ, मुरादाबाद, अमरोहा, कन्नौज, मुजफ्फरनगर, शामली, पीलीभीत, रामपुर, सहारनपुर, शाहजहांपुर व संभल में बासमती चावल में कीटनाशकों का प्रयोग प्रतिबंधित किया गया है।

इन कीटनाशकों पर लगाई गई रोक
बासमती की खेती में इस्तेमाल होने वाले ट्राईसाइक्लाजोल, बुप्रोफेजिन, एसीफेट, क्लोरपाइरीफास, हेक्साकोनोजोल, प्रोपिकोनाजोल, थायोमेथाक्साम, प्रोफेनोफास, इमिडाक्लोप्रिड व कार्बेंडजिम कीटनाशकों के सभी प्रकार के फार्मूलेशन की बिक्री, वितरण और प्रयोग को रोका गया है।

देश में 20 लाख हेक्टेयर में होती है बासमती की खेती

भारत में करीब 20 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में बासमती चावल की खेती होती है और दुनिया का सबसे बड़ा उत्पादक देश है।

47 फीसदी में पूसा बासमती 1121 किस्म की खेती की जाती है। चावल के इस किस्म की काफ़ी डिमांड हैं। इसके अलावा देश के 53 फीसदी हिस्सों में 44 किस्मों के चावल की खेती होती है।

ख़ास बात ये हैं कि देश के 7 राज्यों को बासमती चावल का जीआई टैग (ज्योग्राफिकल इंडिकेशन्स) भी मिला हुआ है। इनमें हरियाणा, पंजाब, उत्तराखंड, दिल्ली और हिमाचल प्रदेश शामिल हैं।

उत्तर प्रदेश के 30 जिले और जम्मू कश्मीर के 3 जिलों को भी ये टैग मिला है। हालाँकि इसके उत्पादन के मामले में पंजाब सबसे आगे हैं। यहाँ देश के कुल बासमती चावल का 44 फीसदी उत्पादन होता है।

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