कैबिनेट ने किसानों की आय बेहतर करने के लिए 14235.30 करोड़ रुपये लागत की सात प्रमुख योजनाओं को मंजूरी दी है।
इन सात योजनाओं में डिजिटल कृषि मिशन, खाद्य और पोषण सुरक्षा के लिए फसल विज्ञान, कृषि शिक्षा और प्रबंधन को मजबूत बनाने पर काम, पशुधन स्वास्थ्य और उत्पादन को लेकर काम, बागवानी के सस्टेनेबल डेवलपमेंट पर खर्च, कृषि विज्ञान केंद्रों को मजबूत और कारगर बनाने पर काम और प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन शामिल हैं।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुई 2 सितंबर को केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में किसानों के लिए सात बड़े फैसले लिए गए हैं। केंद्र सरकार का कहना है कि इससे किसानों की आय बढ़ेगी और उनके जीवन स्तर में सुधार होगा। इन सात योजनाओं पर केंद्र सरकार ने कुल 14235.03 करोड़ रुपए की मजूरी दी है।
डिजिटल कृषि मिशन
डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे के स्वरूप पर आधारित, डिजिटल कृषि मिशन किसानों का जीवन बेहतर बनाने के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग करेगा। इस मिशन का कुल लागत 2,817 करोड़ रुपये है।
इसके दो अहम हिस्से होंगे पहला एग्री स्टैक और दूसरा कृषि निर्णय सहायता प्रणाली शामिल है।
एग्री स्टैक में किसान की रजिस्ट्री, गाँव की भूमि के नक्शे की रजिस्ट्री और बोई गई फसल की रजिस्ट्री शामिल होगी। जबकि कृषि निर्णय सहायता प्रणाली में भूस्थानिक डेटा, सूखा/बाढ़ निगरानी, मौसम/उपग्रह डेटा, भूजल/जल उपलब्धता डेटा और फसल उपज और बीमा मॉडलिंग शामिल है।
खाद्यान्न के लिए फसल विज्ञान और पोषण संबंधी सुरक्षा
कुल 3,979 करोड़ रुपये की लागत की यह पहल किसानों को जलवायु लचीलेपन के लिए तैयार करेगी और 2047 तक खाद्य सुरक्षा प्रदान करेगी। इसमें अनुसंधान और शिक्षा, पादप आनुवंशिक संसाधन प्रबंधन, खाद्य और चारा फसल के लिए आनुवंशिक सुधार, दलहन और तिलहन की फसल में सुधार, व्यावसायिक फसलों में सुधार और कीटों, सूक्ष्म जीवों, परागणकारकों आदि पर अनुसंधान शामिल होगा।
कृषि शिक्षा, प्रबंधन और सामाजिक विज्ञान को मजबूत करना
2,291 करोड़ रुपये की कुल लागत के साथ यह उपाय कृषि छात्रों और शोधकर्ताओं को वर्तमान चुनौतियों के लिए तैयार करेगा। इसमें भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के अंतर्गत कृषि अनुसंधान और शिक्षा का आधुनिकीकरण, नई शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप
नवीनतम तकनीक का उपयोग करें। डिजिटल डीपीआई, एआई, बिग डेटा, रिमोट, आदि प्राकृतिक खेती और जलवायु लचीलापन शामिल किया जाएगा।
पशुधन स्वास्थ्य और उत्पादन को बनाए रखना
कुल 1,702 करोड़ रुपये की लागत के साथ, इस निर्णय का उद्देश्य पशुधन और डेयरी से किसानों की आय बढ़ाना है। पशु स्वास्थ्य प्रबंधन और पशु चिकित्सा शिक्षा, डेयरी उत्पादन और प्रौद्योगिकी विकास, पशु आनुवंशिक संसाधन प्रबंधन, उत्पादन और सुधार, पशु पोषण और जुगाली करने वाले छोटे पशुओं की वृद्धि और विस्तार करना शामिल है।
बागवानी का निरंतर विकास
कुल 1129.30 करोड़ रुपये की लागत के साथ इस उपाय का उद्देश्य बागवानी पौधों से किसानों की आय बढ़ाना है। इसमें उष्णकटिबंधीय, उपोष्णकटिबंधीय और समशीतोष्ण बागवानी फसलें, जड़, कंद, कंदीय और शुष्क फसलें, सब्जी, फूलों की खेती और मशरूम की फसलें, बागान, मसाले, औषधीय और सुगंधित पौधे शामिल हैं।
इसके साथ ही 1,202 करोड़ रुपये की लागत से कृषि विज्ञान केन्द्रों का सुदृढ़ीकरण और 1,115 करोड़ रुपये की लागत से साथ प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन किया जाएगा।